सोमवार, 21 अगस्त 2023
EK KAUVE KI KAHANI/एक कौवे की कहानी
शनिवार, 19 अगस्त 2023
GHAS KE PHOOL AUR GULAB KE PHOOL KI KAHANI/ घास के फुल और गुलाब के फुल की कहानी .
घास के फुल और गुलाब के फुल की कहानी. घास के फूल जमीन से लगकर इट के सहारे में जी रहे थे , बहुत ही छोटे थे , इटो के आड में जीते थे, सूरज के गर्मी नही लगती थी, बरसात में भी वे सुरक्षित थे , तुफानो में वे इटो के सहारे में सुरक्षित रहते थे , वे नैसर्गिक आपदा से पूरी तरह सुरक्षित थे,उन्हे किसी भी आपदा का समाना नही करना पढ़ता था. उनके की बाजुमे गुलाब का फूल था , उसे देखकर घास का फूल अपने साथियों से बोला देखो कितना सुंदर यह फूल है , कितने सारे लोग इसे प्यार करते है , मुझे भी गुलाब का फूल बनाना है , उसके साथी बोले हम जैसे है वैसे ठीक है , मत पड तु इस झांझट में , उस घास के फूल ने उनकी नही सुनी और वो , परमात्मा से प्रार्थना करने लगा , की परमात्मा मुझे भी गुलाब का फूल बनादो, परमात्मा उसकी पुकार सुनकर उसके समक्ष आए और बोले की क्यू तुम्हे गुलाब का फूल बनाना है , तुम जैसे ही वैसे बहुत सुरक्षित हो , तुम गुलाब की पीड़ा नही झेल सकोगे , उसे प्रतिदिन तेज धूप का सामना करना पड़ता है, तेज आंधी में उसके पंखुड़ी या गिर जाते है, तेज तूफान में उसकी जड़े भी उखड़ जाती है, और कही बार तो इसके खिलने से पहले ही तोड़ देते है , तो तु ईस झंझट में मत पड़, तू यही सुरक्षित है , फिर भी वह घास का फूल नही माना , परमात्मा से बोला कब तक मैं इस ईट के आड का सहारा लू, कृपया मुझे एक दिन के लिए गुलाब का फूल बनावो , परमात्मा ने कहा जैसी तुम्हारी इच्छा, तथास्तू , आगले ही दिन वह घास का फूल गुलाब का फूल गुलाब का फूल बन गया , सुबह सुबह उसे बड़ी ही ठंड का सामना करना पड़ा , उसके कुछ देर बाद तेज धूप निकल आई , उस धूप ने उसे बेहाल कर दिया , फिर कुछ समय बाद जोर से हवा चली , तेज आंधी आई , वह उस आंधी से जूझता रहा, उसकी कुछ पंखुड़ी या भी झड़ गई, तूफान शांत हुव न हुवा तभी तेज बरसात आई , फिर वो उस बरसात में जूझता रहा, धीरे धीरे उसकी जड़े उखड़ने लगी , बरसात खत्म होते होते उसकी जड़े पूरी तरह से उखड़ गई, और वो जमीन पे घास के पुलो के बाजू में गिर पड़ा , उसके साथियों ने उसे कहा , आखिर क्या हासिल हुवा तुम्हे , यह तुम्हारी जिंदगी आराम से काट रही थी , क्यू इस झंझट में पड़े तुम , आखिर एक दिन में , जान भी गवा दी, उस पर पर वह गुलाब का फूल बोला , मैने इस एक दिन में मैने अपनी जिदगी जीली, सारी अपादा से लड़ा , तूफान , वर्षा , धूप ,इनका स्वाद चखा , मैने अपनी जिंदगी एक दिन में जी लिया , पर तुम जीतेजी मृत्यु समान हो , किसी की आड में जीना , यह कोई जीना नही है , जीना हो तो गुलाब के फूल के तरह हर मौसम का आनंद लेके मरना , इसीलिए दुनिया भर में गुलाब के फूल का नाम है, और घास के फूल को कौन पूछता है, यह बोलके गुलाब का वह फुल जो पहीले घास का फुल था उसने मृत्यु को गले लगया और अमर हो गया .
इस कहानी का बोध :- हमारी जिंदगी तभी सफल होगी जब हम हर एक कठिन परिस्थिति का सामना करने की हिम्मत रखते हैं, किसी आड में जीना यह कोई जीना नही होता , हमे हमारा comfort zone से निकलना ही होगा , जिंदगी में सफल होने के लिए , अच्छी नींद , अच्छा खाना , टीवी , what's app, ऐसे बहुत सारी चीज़ जो सफल होने में बाधा बने , उसे त्यागना चाहिए । और अपने प्रगती की ओर ध्यान देना चाहीये.
!!धन्यवाद!!
सोमवार, 7 अगस्त 2023
EK HATTINI AUR KUTTIYA KI KAHANI/एक हत्तीनी और कुतिया की कहानी
एक हत्तीनी और कुतिया की कहानी. एक हत्तीनी और कुतीया की गहरी दोस्ती थी, दोना भी एक साथ प्रेगनेन्ट हो गये कुछ दिनो बाद कुतीया ने छे बच्चे को जन्म दिये, ये खुश खबर उसने हत्तीनी को दी, और कहां तुमारी बारी कब आयेगी हत्तीनी,ने कहां अभी समय है . और छे महिने के बाद . कुतिया ने औरp आठ बच्चे को जन्म दीये, फीर वो हत्तीनी क पास आई ओर फीर एक बार खुश खबर दी,फीर वापस हत्तीनी को सवाल किया की कब तुम्हारी बारी आयेगी. हत्तीनी ने कहां अभी समय है. फीर छे महीने बाद और छे बच्चे को जन्म दोये, इसी तरह कुतिया ने कुछ २ सालो मे २० से 22 बच्चे को जन्म दिया. फीर वो हत्तीनी के पास आई और फिर कहां की कब होयेगा तुम्हे बच्चा, मेरे तो २० २२ हो गये, तुम्हारा एक भी नही, हत्तीनी ने परेशान होके कहा की ये हाती का बच्चा हे, इसे समय लगता है जब ये पैदा होता है तो धरती भी इसकी भारी वजन को मेहसूस करती है,और जब वो चलता हे तो सारे लोग एक बजुमे खडे रहकर उसे देखते रहते है और उसे जाने के लिये रास्ता देते है. समज गई कुत्तीया.
इस कहानी का बोध. अप जो भी काम काम करोगे या कर रहे होगे, शुरुवात मे भले ही आप कठीन परीस्थिती का सामना ही क्यु ना करना पडे पर आप हाताश मत हो जाना, भले आपका साथी आपसे जल्दी कामयाब हो जाये,उसे देख लोग आपको बोलंगे कोसेगे पर आप हाताश मत होजाना उपने कर्य को पुरी मेहनत और इमानदरी से करते रहो , और कभी भी अपने आप को Target मात करो,याने की इतने समय के बाद कामयाब नहि दुवा तो मै दुसरा काम करूंगा, कुछ और करूंगा ऐसा वीचार मत करो.जब आप कामयाब होगे. तब आप से कहानी बनेगी आप सब जगह छा जावो गे ओर फीर आप कभी भी पीछे तरफ नही जावोगे. आगे ही बडते रहोगे .
!!धन्यवाद!!
शनिवार, 5 अगस्त 2023
GAUTAM BUDDHA AUR RAJA SHRON KI KAHANI/गौतम बुद्ध और राजा श्रोण की कहानी.
एक राजा था, बड़ा ही ऐयाश था, उसे अपने राज्य की कोई चिंता नहीं थी नही परवा थी, वो बस अपने आप में मग्न रहता था, उसने अपना महल सबसे सुंदर बनाया था,स्वर्ग से भी सुंदर , बहुत ही कीमती हीरे ,सोने ,चांदी से सजाया था , सब कुछ था उसके पास किसी भी चीज की कमी नही थी , महंगी शराब का सेवन करता था, दूसरे देशों से महंगी से महंगी शराब खरीदता था , और दिन रात पिता था , रात भर शराब पीता था , नर्तकी का नर्तक देखता था , सबसे सुंदर उसने सेविका रखी थी , अपसरा से भी सुंदर , दिन रात उसी मे डूबा रहता था , रात देर तक जागना जिंदगी का आनंद लेना और दुपहर देर से उठाना बस ये ही उसका काम था , उसके महल में सेवक कम और सेविका ज्यादा , अपने आजू बाजू में नग्न स्त्री को रखता था ,उसने ऐयाशी की पुरी हद पार कर दी थी।फिर एक दिन राज्य भर में चर्चा हुई की महाराज श्रोण अब दीक्षा ले ने जा रहा है वो अब बौद्ध भिक्षु बनाने जा रहा है , पूरे राज्य में और भिक्षु संघ में भी इसकी चर्चा हो रही थी,की इतना ऐयाश राजा भिक्षु बन रहा है , कुछ दिन बाद उसने दीक्षा लेली . और वो बौदध भिक्षू बन गया , सबके मन में यह अतुरता थी जानने की, की ऐसा सम्राट , जो ऐयाश था , इतना सारा सुख होते हुवे भी ये भिक्षु कैसे बन गया, फिर सबने मिलकर तथागत गौतम बुद्ध से उनके संबंधित प्रश्न पूछे, भगवान बुद्ध ने कहा की येतो होना ही था , उसने बहुत ही ज्यादा सुख भोगा था , उसने उसमे अति करदी थी, अब उसके पास करने को कुछ बाकी ना रहा, उसके अहंकार , सुख के सामने एक दीवार सी आ गई थी , उसके पर कुछ नही था , जब आगे पाने को ही कुछ नही था , तब ऐसा इंसान परम संन्यासी बन जाता है , वह जान लेता है , की अब आगे कुछ भी नही है, और कुछ नया करने को भी नही है, रोज रोज वही सब है, उससे उसका मन ऊबने लगा , और फिर ऐसे इंसान परम संन्यासी हो जाते है, इसीलिए ज्यादा अति करना जीवन में ठीक नही, हमारा जीवन एक वीणा की तरह है , वीणा की तार ढीली हो तो उसमे से ठीक से संगीत नही आयेगा , उसका आवाज नही उठेगा, और अगर ज्यादा कसली तो वे तार छेड़ते ही टूट जायेगी , जीवन भी ऐसा ही है, माध्यम जीवन सबसे सुखमय जीवन है , जो हर सुबह नही चाह नई सोच और नई प्रगति को लेके आती हैं। इसीलिए ये भिक्षु वो , मनुष्य को माध्यम तरीके का जीवन जीना चाहिए । ऐसा कहके तथागत गौतम बुद्ध ने अपने भिक्षुवो को समझाया ,
इस कहानी का बोध। हमारा जीवन एक वीणा की तरह है , वीणा की तार ढीली हो तो उसमे से ठीक से संगीत नही आयेगा , उसका आवाज नही उठेगा, और अगर ज्यादा कसली तो वे तार छेड़ते ही टूट जायेगी , जीवन भी ऐसा ही है, माध्यम जीवन सबसे सुखमय जीवन है , जो हर सुबह नही चाह नई सोच और नई प्रगति को लेके आती हैं। इसीलिए ये भिक्षु वो , मनुष्य को माध्यम तरीके का जीवन जीना चाहिए ।
!!धन्यवाद!!
गुरुवार, 3 अगस्त 2023
EK CHUHE KI KAHANI/एक चुहे की कहानी
एक चुहे की कहानी. हीरे का एक बडा व्यापरी था, उसे एक चुहे ने बडा परेशान किया था. एक दीन तो उस चुहे ने हद कर दी. उस व्यापरी का एक बडा ही मौल्यवान हीरा उस चूहे ने नीगल लीया , व्यापरी उस चुहे के पीछे भागने लगा . जब वो व्यापारी चुहे के पीछे एक गुफा मे पहुंचा तो वहां हजारो चुहे थे व्यापारी यह देखकर हाताश हो उठा . अब उसे समझ नही आरहा था की क्या करू कैसे उस चुहे को खोजू . तब उसने एक शिकारी को बुलाया और उसने सारी हकीकत बताई . शिकारी को उस जगह पर ले गया और कहां इन हजारो चुहे मे से एक चुहा है जिसने मेरा कीमती हीरा नीगल लीया ,शीकारी ने व्यापरी से कहां की आप चिंता मत करो आपका हीरा मील जायेगा, व्यापरी अपने घर चला गया, कुछ समय बाद वह शिकारी व्यापारी के समक्ष खडा हो गया, व्यापरी ने कहां क्या हुवा क्या तुमने हार मानली, शिकारी ने कुछ न बोलते हुवे अपने जेब से हीरा निकाल कर व्यापरी को दे दिया . व्यापरी बहुत खुश हुवा . उसने कहां की तुमने इतने जल्दी उस चुहे को कैसे पहचान लिया , शिकारी ने कहां की बहुत सरल हिसाब है सहाब . इस दुनीया मे ऐसे मुर्ख लोग हे की जीनको पैसे का घमंड हो जाता है तो वो दुसरे लोगो से नही मिलते , और फीर उन्हे अपने भी पराये लगने लगते है . इस चुहे ने भी हैस ही किया, ये भी एक पथ्यर के उपर चडके अकेले ही काफी देर से बैठा था.वह देख कर मै समझ गया की हीरा इसने ही नीगला होगा, व्यापरी ने उसे धन्यवाद किया और कुछ इनाम भी दिया .
बोध. इस कहानी का बोध यही है,की किसी भी चीज का आंकार नही करना चाहिये . घमंड नही करना चाहिए . जो कुछ है आपके पास उसे मील बाट के खाना चाहिए।
!! धन्यवाद!!
बुधवार, 19 जुलाई 2023
EK PATTHAR AUR MURTIKAR KI KAHANI/एक पत्थर ओर मूर्तिकार की कहानी।
एक दिन एक व्यक्ती ने मूर्तीकार को अपने मंदिर के लिये एक मूर्ती बनांने के लिये काहा। मूर्तिकार ने जंगल मे जकर २ बहुत की उमदा किसम के पत्थर ले आया, और मूर्ती कार अपने सभी औजार लेके पत्थर को ताराशने लगा, जैसे ही मूर्तिकार ने पहिली छीनी पत्थर पे मारी,तो अंदर से एक आवाज आई की मुझे दर्द हो रहा है, मूर्तिकार ये सून नाही पाय ओर वापस अपने काम मे लग गाय , जैसे ही उसने छीनी दोबारा पत्थर मारी, तो अंदर से जोरसे आवाज आई , की मुझे बहुत दर्द हो रहा है , मूर्ती कार ने उससे कहा , की मे एक मूर्ती कार हु, मै तुम्हे तराश के मूर्ती बना रहा हू , अब तुम थोडा दर्द सह लो , तब ऊस पत्थर ने काह की नाही मे इस दर्द को नही सह सकुंगा तुम दुसरा पत्थर धुंड लो, उसने बाजू मे रखे पत्थर से पूछा की मे एक मूर्ती कार हू, क्या मे तुम्हे तराष के मूर्ती बनावू , तुम्हे थोडा बहुत दर्द होगा , ऊस पत्थर ने काह , तुम बनवो मूर्ती मेरी सहमती है, कुछ दिनो के बाद मूर्ती बनके तयार हो गई , बहुत ही सुंदर लग रही थी, अगले ही दीन वाह व्यक्ती मूर्ती कार के पास अपनी मूर्ती लेने जाने आ गया , वाह मूर्ती देख कार बहुत की खुश हो गया, बहुत ही अलोकिक मूर्ती ऊस मूर्तिकार ने बनवाई थी , जब वाह व्यक्ती मूर्ती को ले जा रहा था , तभी उसकी नजर ऊस पाहिले वाले पत्थर मे पाडी, उसने मूर्ती कार से काह क्या तुम मुझे ये पत्थर दे सकते हो, ऊस मूर्ती कार ने काह , हा जरूर पर तुम इसका क्या कारोगे, उसने काह की इस मूर्ती के सामने रखुंगा, भक्त जन को नारियाल फोडने के लिये काम आएगा, ओर फिर वाह व्यक्ती ऊस मूर्ती को ले गाय ओर उसकी स्थापना की, ऊस पत्थर को नारियल फोडणे के लिये मूर्ती के सामने रख दिया, अब रोज उसपे नारीयल फोडे जाते हैं, ओर मूर्ती पे फुल बरसाये जाते हैं
इस कहानी का बोध । हम अपने आप को तराश ते नाही, हम अपने comfort zone से निकल नाही पाते, हम जब तक कठीण परिश्रम ओर कडी मेहनत नही कार लेते तब तक हम मूर्ती नही बन सकते हैं, नहीतो ऊस पत्थर की तरह रोज दीन भर ऊस नारीयाल से आजीवन पिडा मिलती रहेगी और उस पीड़ा को सहने भी पड़ेगी।तो दोस्तो तुम्ही हो तुम्हारे जीवन के शिल्पकार।
!!धन्यवाद!!
सोमवार, 17 जुलाई 2023
APANE HUNAR KO PEHACHANO/अपने हुनर को पहचानो।
EK CHIDIYA AUR CHIDE KI KAHANI/ एक चिड़िया और चीडे की कहानी।
एक चिड़िया और चौड़े में प्रेम हो गया, दोनो ने सोचा की अब हमे शादी कर लेनी चाहिए, दोनो ने शादी कर दी अब वह दोनो एक साथ रहने लगे, चिड़िया ने ...
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एक बहुत ही खूबसूरत चिड़िया थी, अपनी सुन्दरतासे उसने जंगल के सारे पक्षियोको मोहित कर दिया था। सभी उसके सुन्दरतकी वाह वाह करते रहते, वह चिड़ि...
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एक दिन एक मुर्गे को बड़ा अहंकार चढ़ा, उसे लगा की मै बांग देता हु तभी सूरज निकलता हा, और फिर मनुष्य उठाते है , अपने काम करते है पैसे कमाते ह...
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एक दिन एक सरीपुत नाम का आदमी भाग्य और मेहनत में क्या अंतर है , क्या इनकी व्याख्या है , इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए कई मंदिर, मस्जिद, ग...