एक पत्थर की कहानी। एक दिन एक तूफान आया उस तूफान में पेड़ पौधे उड़ रहे थे , जमीन के ऊपर से हर वो एक चीज जो हल्की थी वह भी उड़ रही थी। फिर तेज हवा के चलते जंगल में आग भी लग गई, पेड़ पौधे जलने लगे , पर उनके बीच एक पत्थर को कुछ भी नहीं हुवा, यह देख पत्थर को घमेंड होने लगा , उसे अपने भार और मजबूती पे बहुत ही ज्यादा घमेंड हुवा , वह उन सभी पेड़ पौधे को देख कर बोल रहा था की देखी मेरी ताकत मेरा वजन मेरी मजबूती, वह पत्थर उनपे हसने लगा, तभी एक पेड़ ने उसे कहा की ज्यादा घमेंड करना अच्छी बात नहीं है । इसी घमेंड के कारण एक दिन तुम्हे पछतावा होगा, कई दिन बीत गए, एक दिन जोर से बरसात आई , चारो तरफ पानी भरने लगा , पेड़ पौधे गा रहे थे झूम रहे थे,पर पत्थर रो रहा था क्यो की पानी बड रहा था और वह अपने मजबूत और भार के कारण डूब रहा था , देखतेही देखते पत्थर पूरी तरह से डूब गया । अब उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा । देख ते ही देखते पत्थर डुबके मार गया।
इस कहानी का बोध। दोस्तो पत्थर कितना भी बजबूत और वजनदार क्यों न हो , पर जब उसका सामना नदी से होता है तो वह डूब जाता हैं। इसीलिए कभी भी किसी भी चीज का घमेंड नही करना चाहिए, सबको साथ लेके चलना चाहिए, सबका साथ सबका विकास इसी में है।
!!धन्यवाद!!