दोस्तो यह कहानी हर एक इंसान को पता है। फिर भी मैं इसे लिख रहा हूं, यह कहानी है , भगवान शिव के परिवार की। देवो में सभी को एक बात का प्रश्न पड़ा की हम में से प्रथम पूज्य कोन है और किसकी पूजा प्रथम होनी चाहिए , सभी देवो को ऐसा लग रहा था की मै प्रथम पूज्य हु , मैं संसार को चलता हु, सब में अहंकार आ गया था , सभी देव भगवान शिव के पास आए और हम में से प्रथम पूज्य कोन है इसका फैसला किया जाय । सभी देव लोग अपने अपने विचार रखने लगे , इंद्र बोले मैं हु, वरुण बोले मैं हु, सूर्य बोले मैं हु, सभी ने अपनी अपनी बात रखी , यह सुनकर महादेव बोले, हम एक प्रतियोगिता रखेंगे जो जीत जायेगा उसे प्रथम पूज्य का मान प्राप्त होगा । सभी उत्सुक थे की प्रतियोगिता क्या होगी तभी भगवान शिव बोले की इस पृथ्वी की इस संसार की ,तीन पर परिक्रमा लगानी है जो भी प्रथम आयेगा वह प्रथम पूज्य देव होगा , कल सुबह इसकी शुरवात होगी तुम सब तयारी को लग जावो , सभी अपने अपने वाहन को प्रतियोगिता जितने के लिए तयार करने लगे। अगली सुबह प्रतियोगिता शुरू हो गई, सभी अपने वाहन पे बैठकर दौड़ने लगे, पर इनमे गणेश जी का वाहन जो की एक चूहा था , वह इतनी तेजी से दौड़ नही पा रहा था , ऐसा लग रहा था की वह हार जायेंगे , फिर गणेश जी को अपनी पिता की कही बात याद आई, की मां और पिता ही एक संतान का संसार होता है पृथ्वी होती है , इनकी पूजा और परिक्रमा करना मतलब संसार की पूजा और परिक्रमा करना। गणेश जी अपने वाहन चूहे पे से उतरकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की और तीन बार उनकी परिक्रमा की , यह देख भगवान शिव अति प्रसन्न हुए, और बोले तुम इस प्रतियोगिता में प्रथम आए , तुमने हमारी पूजा और परिक्रमा लगाई इसका मतलब तुमने पूरे संसार की परिक्रमा लगाई ।उसके बाद सबसे पहिले कार्तिकेय आए उसके बाद अन्य देव, भगवान शिव ने उन्हें समझा के बताया की गणेश कैसे प्रथम पूज्य हुवे। सभी ने भगवान गणेश जी को अभिनंदन करते कहा की तुम्हारी भक्ति शक्ति और बुद्धि ने तुम्हे इस प्रथम पूज्य का स्थान दिया।
इस कहानी का बोध। हम शरीर से कितने भी विकलांग क्यू न हो, अगर हमारे पास बुद्धि ज्ञान हो तो हम किसी भी चीज को हासिल कर सकते है , जैसे गणेश जी ने किया उनका वाहन बहुत ही धीमे गति से चल रहा था। फिर भी अपने बुद्धि और भक्ति से आज वह प्रथम पूज्य बने।
!!धन्यवाद!!