ये कहानी है विर विक्रम आदीत्य की . यह बहुत प्राचिन कथा है। इस कहानि को अग्यनि पडे तो मनोरंज समझे .और ग्यनि पडे तो जिवन का सरा सार समझ मे आये. राजा रोज अपने दरबार मे सबेरे के समय लोगो की समस्या सुनने बैटते थे . राजा के नगर के नीवासी रोज अपनी कुछ न कुछ समस्या बताते और कुछ लोग राजा को भेट दे जाते . उस मे एक फकीर रोज राजा को एक जंगली फल भेट देता . कभी राजा ने देखा नही ऐसा जंगली फल राजा को देता . राजा उस फल को वजीर को देता . ऐसा ही क्रम दस सालो तक चलता रहा . वो फकीर रोज आता था और रोज एक बडा सा जंगलि फल राजा को भेट देता . राजा भी उस फल को वजिर के पास देता . एक दीन रोज की तरह वो फकिर आया और वही जंगल फल राजा को दिया . उस दिन राजा ने उस फल को वजीर के हात मे न देते अपना एक पाला हुक बंदर को दे दिया . बंदर ने जैसे ही फल को खाना सुरु किया . तब उसमे से एक बडा सा हीरा नीकला वह हिरा बहुत ही मौल्यवान और बडा था रजा ने कभिभि ऐसा हिर नहि देखा था. यह देख के राजा के हो श ऊड गये . उसने वजीर सो कहां की बाकी के फल किदर हे . वजीर को भी राजा के साथ काम करते समय बहुत सावधानी बरकनी पडती है .क्योकि रजा कभिभि किसि भि वस्तु का हिसाब मांग लेते। इसि वजहसे वजीर ने वे सारे फल मह ल के तलघर मे फ़ेके थे . जब राजा और वजीर वे फल देखने गये तब वाहां से बहुत गंदी बदबू आ रीही थी . सारे फल सड गये थे . फर उस हर . एक फल मेसे हीरे चमक रहै थे . चारो तरफ हीरे ही हीरे . रजा ने उस फ़किर से कहां कि ये क्या चम्तकार है तुम क्यो दस साल से मुझे ये जंगली फल दे रहे हो तब उस फ़किर ने राजा से कहां होश ना हो तो जिन्दगि ऐसे हि छुट जाति है. तुम जगे तो थे पर होश तुम्हे दस साल के बाद आया.
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बुधवार, 22 मार्च 2023
STORY OF VEER VIKRAM ADITYA /कहानी है विर विक्रम आदीत्य की, जिंदगी हमे रोज नये अवसर या नई भेट देती है.
दोस्तो यह कहानि बेताल पच्चीसी की हे . हैतो ये बहुत मामुली सी कहानी पर इसका अर्थ बहुत बडा हे।
बोध . यह . कहानी ये सीखाती है की जिंदगी हमे रोज नये अवसर या नई भेट देती है पर हम उसे देख नही पाते . जोसे राजा तो जगा था सब देख रहा था पर उसे होश आने . के लिये दस साल लगे . जागो तो होश पुर्ण नहि तो जिंदगि ऐसे हि कट ति जयेगि
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