दोस्ती की पहचान ।इस कल युग में हर कोई, अपने मतलब के पूर्ति के लिए हर किसी के साथ रहता है। जैसे ही मतलब पूरा हुवा तब वह इंसान धीरे धीरे उस व्यक्ति से अपना पीछा छुड़ाता है। इस दुनिया में , पिता , माता और गुरु बिना मतलब के साथ रहते है, सिखाते है, नई दिशा भी देते है, फिर भी इस दुनिया में हमे दोस्तो की जरूरत होती है। घूमने फिरने के लिए , अपना टाइम पास करने के लिए , बुरे वक्त में साथ देने के लिए, पर इनमे भी कुछ दोस्त , बिना किसी मतलब के साथ रहते है। दोस्ती होती तो भगवान श्री कृष्ण जैसी , और दानवीर कर्ण जैसी। क्यों कि भगवान श्री कृष्ण ने बिना हत्यार से ही महाभारत का इतना बड़ा युद्ध जिताया , उनका साथ ही अर्जुन के लिए काफी था । और दूसरी ओर दानवीर कर्ण जिसे पता था की ये युद्ध मैं हारने वाला हु , में एक अधर्मी का साथ दे रहा हु, फिर भी कर्ण ने अपनी दोस्ती निभाई । इस तरह के विचार वाले दोस्त अपने जीवन में होने चाहिए, अगर आपके पास एक भी ऐसा दोस्त है , तो आप सबसे अमीर व्यक्ति हो इस दुनिया के।
इस कहानी का बोध। इस कहानी का बोध यह है।की दोस्त तो भगवान श्री कृष्ण और कर्ण जैसा होना चाहिए, फिर आप किसी भी मुसीबत से जीत सकते हो।
!!धन्यवाद!!