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बुधवार, 3 मई 2023

SIKANDER AUR USAKI AMARTA KI KAHANI/सिकंदर और उसकि अमरता की कहानी.

सिकंदर और उसकि अमरता की कहानी, सिकंदर को कोई ऐसा नहीं होगा जो नही जानता , पूरे विश्व को जीत चुका था, जीत की भूख इतनी थी कि , सब कुछ जीत लिया , अब उसे अमर होने की लालसा लग गई , कई साल प्रयास करने के बाद , उसे किसी ने कहा की , पृथ्वी के बीचों बीच जमीन के नीचे एक गुफा है , उस गुफा के अंदर कई मिल चलने के बाद एक झरना है, उस झरना का पानी पीने से कोई भी जीव अमर  हो जाता है। बहुत प्रयास के बाद सिकंदर को वह गुफा मिल गई, कई मिल चलने के बाद उसे वह झरना भी मिल गया , वह बहुत ही खुश हुवा, जैसे ही उसने पानी पीने के लिए अपनी हात की उंजली पानी पीने के लिए बड़ाई, सामने से एक आवाज आई की रुको, यह पानी पीने से पहले मेरी बात सुनो , फिर तुम पानी पी सकते हो , सिकंदर ने पीछे देखा तो एक कौवा, झरने के किनारे बैठा हुआ था , उसकी हालत बहुत ही खराब थी , पंख झाड़ चुके थे , पैर के पंजे गल गए थे , शरीर पर , पंख का एक भी पीस नही था , एकदम बूढ़ा और मरने के हालात में था वह कौवा, सिकंदर ने इस कौवे से पूछा तुम कोन हो , और ये तुम्हारी हालत किसने की, कौवे ने कहा कि मैं भी तुम्हारी तरह अमर बनने के लिए इस गुफा के झरने का पानी पीने के लिए आया था  , कई साल हो गए मैं , यह ही बैठा हु , न उड़ सकता हु नही चल सकता हु , न भूख लगती है नही प्यास , शरीर भी कमजोर हुवा है , शरीर के ऊपर कुछ भी नही बचा है , खाली जान बची है , मैं भी यह पानी पीने के बाद अमर हो गया , पर कुछ सालो के बाद मैं बूढ़ा होगया , सब कुछ खत्म हो गया , पर जान नही जाती, में भगवान से रोज प्रार्थना करता हु की मुझे मृत्यु दे मैं नही जी सकता ऐसी हालत में, पर मृत्यु नही आ सकेगि क्यों की मैं अमर हु, कौवे ने कहा ये सिकंदर तू ऐसी भूल न कर , जरा सोचले ध्यान से , फिर ये पानी पीना , तुम कुछ सालो के बाद बूढ़े होजावोगे, शरीर में ताकत नहीं बचेगी , तुम तुम्हारा अस्तित्व खत्म होते देखोगे पर कुछ कर नही पावोग , फिर तुम्हे रहने न रहने से कूच फर्क नहीं पड़ेगा ,तुम चहके भी कुछ कर नही पवोगे,और तुम्हारी भी हालत मेरे जैसे हो जायेगी मृत्यू की राह देखोगे और मृत्यु कभी आयेगे नही, तुम पहले जाके ऐसा झरना तलाश करो की कोई भी अमर हुवा जीव उस पानी को पीने से मृत्यू को प्राप्त हो जाए , फिर तुम यह पानी पी सकते हो, क्यों कि मृत्यू ही अंतिम सत्य है ,सभी पीड़ा का अंत मृत्यु ही है , मेरी बात पूरी होगई अब तुम्हारी मर्जी, यह सुनने के बाद सिकंदर की आखें खुल गई , और वह वहा से चला गया , 

बोध ,, की तुम चाहे कितना भी कुछ पलों पूरे विश्व को जीत लो, पर मृत्यु को कभी जीत नही पावोगे. मृत्यु ही अंतिम सत्य है , सारे दुख दर्द , पीड़ा , गर्व अहंकार  लालच पैसा इन सबका अंत मृत्यु ही है , बहुत ज्यादा लालच भी हमको बहुत बड़ा धोका दे सकती है , तब ऐसे समय में , हमारी जीवन में कोई एक  कौवे जैसा दोस्त होना चाहिए , जो हमको सही गलत और उसका परिणाम क्या होगा इसके बारे में बताने के लिए,

। । धन्यवाद। । 


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