एक दिन एक चिड़िया समुंदर का पानी अपने चोंच से बाहर निकाल रही थी, यह देख उसके बाजुमे और एक चिड़िया आई , और उससे कहने लगी की तुम यह क्या कर रही हो, समुंदर का पानी अपने चोंच से क्यू बाहर फेंक रही हों, यह सुनकर वह चिड़िया बोली मैं और मेरे तीन बच्चे यहां खेल रहे थे , उतने में इस समुंदर ने मेरे तीन बच्चो को बहके अपने अंदर डुबो दिया , मैं तड़पती रही पर में अपने बच्चो को नही बचा पाई , मैने और मेरे बच्चे इस दुष्ट समुंदर का क्या बिगाड़ा था, उतने में दूसरी चिड़िया कहती है , की तुम पूरी जीवन काल में इसे खाली नहीं कर सकोगी, उसके ऊपर वह पहिली चिड़िया कहती है, मुझे सलाह नही चाहिए तुम्हारी साथ चाहिए, साथ देना होती दो, नहितो जवो यह से, वह सुनकर दूसरी चिड़िया को बहुत बुरा लगता हैं, वह उसे साथ देने लगती है, उन दोनो को देख और भी पक्षी वहा आते है, उसे भी वह सारी कहानी बता ते है, और कहते है, हमे सलाह नही तुम्हारा साथ चाहिए, सभी पक्षी समुंदर को खाली करने में जुट जाते है। हजारों से लाखो पक्षी समुंदर को खाली करने को जुट जाते है। समुंदर यह सब देख के हसने लगता हैं, उतने में भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ भी समुंदर को खाली करने के लिए आने लगता है, तभी भगवान विष्णु उसे कहते हैं, तुम भी समुंदर को खाली करने जा वो ge तो मेरा सारा काम रुक जायेगा , सृष्टि को चलाने के लिए बढ़ा उत्पन हो जायेगी, उसपे गरुड़ उनसे कहता है , भगवान मुझे सलाह नही आपका साथ चाहिए , आपको साथ देना है तो दो नही तो मैं जा रहा हु, अपने बही बहन का साथ देने, यह सुनकर भगवान विष्णु भी साथ देने को तैयार होते है। और धरती पर आके समुंदर का पानी खाली करने लग जाते है, उनके एक ही हात में आधा समुंदर समा जाता है। वह देख समुंदर बाहर आके भगवान विष्णु से क्षमा मांगता है, और उस चिड़िया के तीनो बच्चे लौटा देता है। चिड़िया और बही पक्षी बहुत खुश होते है, और भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेते है। भगवान विष्णु उस चिड़िया से कहते हैं , तुम्हारी समझदारी सूझ बूझ, पुत्र प्रेम और अपनो का साथ इससे तुम बड़े से बड़े समुंदर को खाली कर सकते हो, मेरा आशिर्वाद तुम सबपे सदा बना रहे गा।
इस कहानी का बोध। जब तक हम एक दूसरे का साथ देते रहेंगे तब तक कितनी भी बड़ी समस्या हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। और अपनी इच्छा शक्ति से हम कुछ भी कर सकते है।
!!धन्यवाद!!