एक लड़के को बहुत गुस्सा आता था, वह हर किसी से झगड़ता रहता था, घर मे, स्कूल में , बाहर दोस्तो में, सभी लोग उससे परेशान हो गए थे, हर रोज कोई ना कोई उसकी तकरार लेके घर आता था, घर के सभी लोग परेशान हो गए थे, एक दिन उसके पिताजी ने उसे समझाया की इतना गुस्सा ठीक नही है, ना ही तेरे सेहत को नही घर में नही बहार, इतना गुस्सा करने से समाज तुझे अपनाए गा नही, कोई तेरा दोस्त नही बनेगा , जरूरत के समय तुझे कोई मदत नही करेगा, तू ये अपना गुस्सा कम कर दे , उसपे वह बच्चा बोला की मैं क्या करू मुझे गुस्सा ज्यादा आता है, मैं इसे कैसे कम करू आप ही बताए। उसपर उसके पिताजी ने उसे किल की भरी एक थैली दी, और अपने पुराने स्टोर रूम में ले गया , और कहा , जब भी तुम्हे गुस्सा आए तो इस दरवाजे में एक किल ठोक देना , दिन भर में जितनी बार तुझे गुस्सा आए उतनी किल इस दरवाजे में ठोक देना, बच्चे ने पिताजी की बात सुनाली , दिन भर उसे किसी न किसी पे गुस्सा आता ही था , वह घर आके दरवाजे को किल ठोकता जाता, ऐसा रोज करने लगा, धीरे धीरे उसका गुस्सा कम होते गया , अब दिन भर में वह ३ या ४ बार गुस्सा होता, तो दरवाजे पे चार किल ठोकता , ऐसा करते करते वह एक किल पे आ गया, कुछ दिनों बाद वह दिन भर में एक बार भी गुस्सा नही हुवा, उसके ऐसे बर्ताव से सभी प्रभावित हुए, उसे अपनाने लगे , उसे लोगो का घर पर बहुत प्यार मिला , वह बहुत खुश हुवा, उसने अपने पिताजी से कहा की मेरा गुस्सा पूरी तरह खत्म हो गया, यह सुनकर पिताजी खुश हुवे, उसने अपने बच्चे को लेकर फिर से इस स्टोर रूम के दरवाजे के पास ले गया , और उसने दिखाया की इतना बड़ा दरवाजा पूरी तरह से किल से भर गया। उसके पिताजी ने फिर उसे एक चीज करने को कहा, जब भी तुम किसी से अच्छा बर्ताव या मदत करोगे तो तुम इस दरवाजे से किल निकालना , उसने पिताजी की बात मन ली, वह रोज अच्छा बर्ताव और कुछ न कुछ अच्छा करता रहा, घर में मां की काम में मदत करता रहता, ऐसा रोज करता , और रोज वह इस दरवाजे पे लगे किल निकलता , कुछ दिनों बाद दरवाजे के सभी किल निकल गए , और उसके अंदर अब बहुत बड़ा बदलाव भी आया था, वह अपने पिताजी को उस स्टोर रूम के दरवाजे के तरफ ले गया और कहा, मैंने इसके सभी किल निकल दिए , मैं अब पूरी तरह से बदल गया हूं, पिताजी ने कहा बहुत अच्छा । पर तुम इस दरवाजे तरफ देखो , तुम्हारे गुस्से ने इस दरवाजे की क्या हालत करदी, इसमें कितने सारे छेद कर दिए, यह दरवाजा बहुत ही मजबूत और बहुत ही पुराना था , पर तुम्हारे गुस्से के किल ने इसे खराब कर दिया , इसमें हजारों छेद हुए है, अब ये किसी काम का न रहा, और ऐसा दूसरा दरवाजा भी बाजार में नही मिलेगा , उसके पिताजी ने कहा , की हमारा गुस्सा भी ऐसा ही है, न जाने हम कितने दिलो में गुस्से की किल चुभोते है, और वह फिर हमसे दूर चले जाते है। इसीलिए बेटा गुस्सा कभी भी नही करना , जो जैसा करेगा वह वैसा भरेगा । तुम प्यार से सभी को जीत सकते हो पर गुस्से से नही। यह सुनकर बच्चे ने अपने पिताजी से क्षमा मांगी और वे दोनो हंसते हंसते घर लौट गए।
इस कहानी का बोध। गुस्सा बहुत हानिकारक है। गुस्से से हम किसी को जीत नही सकते, हमारा अहंकार ही गुस्सा बनकर बाहर आता है। गुस्से से हम अपनो से बिछड़ सकते है।