एक गांव में दो दोस्त रहते थे, वह दोनो बहुत ही गरीब थे उन दोनो ने सोचा क्यों न हम शहर जाकर पैसे कमाए और कुछ अच्छा बिजनेस करे, दोनो ही परिवार की सम्मति से शहर आए, जो भी काम मिला उसे करने लगे , और कुछ नया करने के लिए पैसे इकट्ठा करते लगे , कुछ सालों में ही उनके पास बहुत सारे पैसे जमा हो गए , उन्होंने उस पैसों से अपना खुदका एक बिजनेस शुरू किया , कुछ महीनो मे बिजनेस बड़ा हुवा और उन्हे बहुत फायदा भी हुवा, यह देख एक दोस्त के मन में लालच उत्पन्न हुई, उसने सोचा की अगर मैं इसे मार दु तो यह पूरा बिजनेस मेरा हो जायेगा और मैं पूरा मालिक बन जावुगा, ऐसा सोच कर उसने अपने दूसरे दोस्त को एक्सीडेंट करके मार डाला, सबलोगो ऐसा लगा की यह एक्सीडेंट में मारा गया । फिर वह पहिला दोस्त अब पूरे बिजनेस का अकेला मालिक बना , कुछ महीनो बाद उसकी शादी हो गई, और एक साल में उसे एक बच्चा भी हुवा, बच्चा ३ साल का होने के बाद उसे कुछ बीमारी हो गई, कही महीने वह उस बीमारी का इलाज करने लगा , दो तीन साल बीत गए, पर बच्चा का इलाज नहीं हो पाया, उसके इलाज के लिए उसका पूरा पैसा लग गया , और उसे अपने बच्चे के इलाज के लिए अपना बिजनेस भी बेचना पड़ा, अब वह पहिले जैसा गरीब हो गया , उसका घर , पैसा ,बिजनेस सब चला गया , उसकी हालत भिकारी से बत्तर हो गई। डॉक्टर ने कहा ये बच्चा अब कुछ दिनों में मार जायेगा , ज्यादा से ज्यादा दो या तीन दिन तक जिंदा रहेगा, अखरी दिनों में उसका पिताजी उसके पास बैठा , और अपने बच्चे को देख कर रोने लगा, बच्चे ने आंखे खोली और कहा की अब तुम क्यों रोते हो ये तो होना ही था, मुझे पहचानो मैं तुम्हारा वही दोस्त हू जिसको तुमने एक्सीडेंट में मरवा डाला था, मैं बदला लेने फिर तुम्हारे घर में जन्म लिया , में तुमको वापस उसी हालत में लाया , जहासे हमने शुरवात की थी। अब तुम कभी भी अमीर नही बन पवोगे। इतना बोल के वह बच्चा मर गया। उस दोस्त को बड़ा पछतावा हुवा और वो पागल बन गया और इधर उधर भटक ने लगा ।
इस कहानी का बोध। कर्म सिद्धांत को कोई भी नही बदल सकता है। तुम जितनी तकलीफ दूसरो के लिए खड़ी करोगे उससे कई गुना तकलीफ तुम्हे आने वाले समय में मिलेगी। इसीलिए एक दूसरे की मदत करो किसका सहारा बनो, फिर तुम्हे किसीभी तरह की तकलीफ नहीं होगी, और आने वाली परेशानी और तकलीफ आपका कुछ भी बिगाड़ेगी नही, इसीलिए अपने कर्म को अच्छा बनाए रखे।
!!धन्यवाद!!