नग्न राजा और भय की कहानी , एक दिन एक फकीर राजा के दरबार में आया, और उसने राजा को कहा की हे राजा तुम अद्भुत क्षमता वाले हो , तुम प्रजा के रक्षक हो , तुम पालन हार हो, हे राजा फिर तुम इतने साधारण वस्त्र में क्यों हो , तुम तो साधारण मानुष से भी बडकर हो , तुम्हे तो देवता वो के वस्त्र पहने चाहिए, यह सुनकर राजा अशर्य चकित हो उठा और उस फकीर से कहा कहा मिलते है ऐसे वस्त्र मुझे बताओ मैं लेके अवुंगा, उस फकीर ने कहा नही राजा तुम प्रजा को ,घर को, बीबी बच्चो को छोड़कर तुम वहा नही जा सकोगे वहा तो हम जैसे फकीर ही जाते है , उस वस्त्र को लाने में ६ महिने लगेगे बहुत लंबा सफर है और वहा तक जाने का खर्चा भी बहुत है , राजा ने कहा खर्चे की तुम चिंता मत करो जितना चाहिए उतना मै तुम्हें दुंगा, फकीर ने कहा ठीक है , उस दरबार में बैठे हुवे जनता ने कभी भी किदर भी देवतावो के वस्त्र के बारे में नहि कहा सुना था, और नही कहा पड़ा था, पर दरबार में राजा को कौन बताए ,राजा का अन्हंकार जाग उठा था । राजा ने कहा तुम ले आवो, वह फकीर रोज दरबार में आता था और हजारों रुपये ले जाता था , राजा के सेवक रक्षक भी कुछ नही बोल रहे थे उन्हें मालूम था कि ये फकीर राजा को लूट रहा है , ६ महिने होने को आए अब तक तो उस फकीर ने राजा से बहुत संपति हासिल की थी राजा को बहुत लूटा था , ६ महिने को कुछ दिन बाकी थे तब राजा ने उस फकीर के घर के बाहर अपने सैनिक को को पहरा देने लगा दिया , ताकि वह फकीर कही भाग न जाए , पर फकीर भागा नही, नही डरा , वह ६ महीनेनबाद एक बहुमुल्य पेटी लेके के दरबार मे आया , वह पेटी बहुत ही अद्भुत दिख रही थी , सोने हीरे से जड़ी थी , दरबार लोगों से भरा था हजारों की संख्या में लोग थे उस देवताओं के वस्त्र देखने के लिए , उस फकीर ने पेटी को खोलने से पहिले काह की ये वस्त्र उसी को दिखाई पड़ेंगे जो अपनी बाप की संतान हो , अपने बाप से पैदा हुवे हो,और फिर उसने पेटी को खोला , उस पेटी में कुछ भी नही था वह पेटी खाली मालूम हो रही थी पर कोई भी कुछ बोल नहीं रहा था , बोलेंगे भी कैसे , राजा भी देखता रहा , और कहा ये तो अद्भुत है , उस फकीर ने राजा से कहा की राजा तुम अभी अपने पुराने वस्त्र निकालो और ये देवताओं के वस्त्र पहनो, उस फकीर ने पेटी में से एक न दिखाने वाला कोट निकाला और राजा को पहनाया , और फिर कमीज , फिर धोती , ऐसे करके उसने रजको नग्न कर दिया , सभी देख रहे थे की कुछ भी नही है राजा के शरीर पे. पर सब लोग तालिया बजाके राजा की जयजयकार कर रहे थे राजा को भी पता था कि कुछ भी नही दिख रहा है, पर भय के कारण वह और सभी लोग जो दरबार मे थे वह कुछ भी नही कह पाए , पर बात इतनी तक नही रुकी , उस फकीर ने कहा की , इस अद्भुत देवताओं के वस्त्र पहने हुवे राजा का तो जुलूस निकाला जाना चाहिए ताकि सभी लोग इस देवतावोके वस्त्र देख सके ,यह देख एक बच्चा अपने पिता से बोला की राजा तो नग्न है वस्त्र तो कही दिखाई नही दे रहे ,पिता ने उसे डाट के चुप कराया , बोला की कुछ मत बोल नही तो मुसीबत खड़ी हो जायेगी . इस तरह राजा भय अन्हंकार और लालच के कारण नग्न हो गया.
बोध : इस कहानी से हमे यह सिख मिलती हैं की , हमे डराके रखा गया है, ऐसा भय की हम न चाहते हुए भी , अस्तित्व में है ऐसा मानने के लिए मजबूर किया है,
बच्चे ने हिम्मत करकेअपने पिताजी से बोला, की कोई वस्त्र नही है , बच्चे तो भय मुक्त होते निरागास होते है, निष्पाप होते है ,उन्हें संसार के बारे कुछ भी मालूम नही होता, वे जो देखते है उसी पे विश्वास रखते है , पर उसे इस संसार के लोग उसे भय दिखाते है और जो चीज अस्तित्व में नहीं है ,नही कभी देखी गई उसपर विश्वास रखने को मजबूर करते है ,राजा के दरबार मे जो भीड़ थी उस भीड़ में से कोई भी व्यक्ति बाहर आकर सच का सामना नही कर सका , भीड़ से हटकर नही कुछ बोल सका , इसका अर्थ यह है की हम सब को डराके रखा गया है, इसी डर के कारण कित्येक वर्ष हम जो नही है उसपर विश्वास रखते आ रहे है,और आगे भी रखेंगे , अंधश्र्धा और लालच में हम अपने अस्तित्व को खो रहे है।
!!ध न्य वा द!!