अंक ९ और अंक शून्य की कहानी। एक कक्षा में अंक ९,८,७,६,५,४,३,२,१ और शून्य पड़ते थे , उसमे नौ अंक सबसे बड़ा था , वह सबसे बड़ा होने के कारण उसने अंक आठ को एक थप्पड़ मारा, अंक आठ नौ अंक से छोटा होने कारण अंक नौ को थप्पड़ नही मार सका, क्यों की वह बड़ा था , तो आठ अंक ने अंक सात को एक थप्पड़ मारा, सात अंक ने अंक छै को एक थप्पड़ मारा , फिर छै ने पांच को मारा , पांच ने चार को मारा , चार ने तीन को मारा , तीन ने दो को मारा , यह सब देखते हुवे अंक जीरो जो सबसे छोटा था , वह डर के मारे एक कोने में दुब्बके बैठ गया, यह देख अंक एक अंक शून्य से कहा की तुम क्यू घबराते हो , हम दोनो एक साथ आयेंगे तो हम इन सबको मारेंग , तो इससे शून्य ने कहा कैसे , तो अंक एक शून्य के बाजू में खड़ा होगया , और फिर उनका अंक एक और शून्य से दस में बदल गया , अब उन दोनो में बहुत ही ज्यादा ताकत आ गई,और उनसे बड़े भी हो गए , दोनो ने मिलके सबकी जमके धुलाई की, और उनको गलती का एहसास दिलाया।
इस कहानी का बोध :- दोस्तो यह कहानी बहुत ही छोटी है पर इसका अर्थ बहुत ही शानदार और बड़ा है, इस कहानी से हमे यह सिख मिलती हैं, की हमे हर कमजोर इंसान की मदत करनी चाहिए ,कोई भी इन्सान, पैसे से महंगे कपड़े गाड़ी , इन सभी से बड़ा नही होता , बड़ा इंसान तो वह होता है जिसकी सोच बड़ी हो और वह ज्ञानी हो , ज्ञान और अच्छी सोच इन्सान की सबसे बड़ी ताकत है ।