एक व्यापारी था , उसने एक दिन सोने की खदान खरीदली , उस खदान को खोद के सोना निकलने के लिए कई लोग काम पे लगा दिए, कई सौ फीट इस खदान को खोदता रहा पर उसे , सोने का एक टुकड़ा भी नजर नहीं आया , कई महीनो बीत गए पर उसे कोई भी सफलता प्राप्त नही हुई, बहुत सारा पैसा और मेहनत खर्च हुई पर उसे कुछ भी हासिल नही हुवा, वह बहुत निराश हो गया, बहुत सारा पैसा जो उसने लगाया था , बहुत उम्मीद थी उसे की यहां से सोना निकलेगा , पर इतनी मेहनत करके भी उसे कुछ भी हात नही लगा, अब वह पूरी तरह से थक गया और अब उसके पास पैसे भी नही बचे, इतनी गहराई के बाद भी सोना नही मिलने के वजह से उसने सोचा की इसे मैं किसी और को बेच देता हु, क्यों की यहां कुछ नही मिलने वाला है। उसने खदान का काम बंद किया और कुछ दिनो बाद उसे एक दूसरे व्यापारी को बेच दिया। उस दूसरे व्यापारी ने बहुत ही जल्दी काम चालू किया, और केवल तीन फीट के बाद उसे सोना नजर आया, और वह कुछ ही दिनों में मालामाल हो गया , बहुत ही बड़ा अमीर , धनी व्यक्ति बन गया । यह सुनकर पहिले वाला व्यापारी बहुत दुखी हो गया, उसने सोचा थोड़ी और मेहनत करता तो मैं भी आज बड़ा अमीर हो जाता , अपनी मेहनत को बीच में छोड़ ने के वजह से वह सफल नहीं हो पाया.
इस कहानी का बोध। यह कहानी हमे ये सिखाती है की, मेहनत तब तक करो जब तक आप सफल नहीं हो जाते , मेहनत करने वालो को बहुत सारी कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। और जो उस कठिन परिस्थिति को मात देता है वह जीवन में सफल हो जाता है।
!!धन्यवाद!!