घास के फुल और गुलाब के फुल की कहानी. घास के फूल जमीन से लगकर इट के सहारे में जी रहे थे , बहुत ही छोटे थे , इटो के आड में जीते थे, सूरज के गर्मी नही लगती थी, बरसात में भी वे सुरक्षित थे , तुफानो में वे इटो के सहारे में सुरक्षित रहते थे , वे नैसर्गिक आपदा से पूरी तरह सुरक्षित थे,उन्हे किसी भी आपदा का समाना नही करना पढ़ता था. उनके की बाजुमे गुलाब का फूल था , उसे देखकर घास का फूल अपने साथियों से बोला देखो कितना सुंदर यह फूल है , कितने सारे लोग इसे प्यार करते है , मुझे भी गुलाब का फूल बनाना है , उसके साथी बोले हम जैसे है वैसे ठीक है , मत पड तु इस झांझट में , उस घास के फूल ने उनकी नही सुनी और वो , परमात्मा से प्रार्थना करने लगा , की परमात्मा मुझे भी गुलाब का फूल बनादो, परमात्मा उसकी पुकार सुनकर उसके समक्ष आए और बोले की क्यू तुम्हे गुलाब का फूल बनाना है , तुम जैसे ही वैसे बहुत सुरक्षित हो , तुम गुलाब की पीड़ा नही झेल सकोगे , उसे प्रतिदिन तेज धूप का सामना करना पड़ता है, तेज आंधी में उसके पंखुड़ी या गिर जाते है, तेज तूफान में उसकी जड़े भी उखड़ जाती है, और कही बार तो इसके खिलने से पहले ही तोड़ देते है , तो तु ईस झंझट में मत पड़, तू यही सुरक्षित है , फिर भी वह घास का फूल नही माना , परमात्मा से बोला कब तक मैं इस ईट के आड का सहारा लू, कृपया मुझे एक दिन के लिए गुलाब का फूल बनावो , परमात्मा ने कहा जैसी तुम्हारी इच्छा, तथास्तू , आगले ही दिन वह घास का फूल गुलाब का फूल गुलाब का फूल बन गया , सुबह सुबह उसे बड़ी ही ठंड का सामना करना पड़ा , उसके कुछ देर बाद तेज धूप निकल आई , उस धूप ने उसे बेहाल कर दिया , फिर कुछ समय बाद जोर से हवा चली , तेज आंधी आई , वह उस आंधी से जूझता रहा, उसकी कुछ पंखुड़ी या भी झड़ गई, तूफान शांत हुव न हुवा तभी तेज बरसात आई , फिर वो उस बरसात में जूझता रहा, धीरे धीरे उसकी जड़े उखड़ने लगी , बरसात खत्म होते होते उसकी जड़े पूरी तरह से उखड़ गई, और वो जमीन पे घास के पुलो के बाजू में गिर पड़ा , उसके साथियों ने उसे कहा , आखिर क्या हासिल हुवा तुम्हे , यह तुम्हारी जिंदगी आराम से काट रही थी , क्यू इस झंझट में पड़े तुम , आखिर एक दिन में , जान भी गवा दी, उस पर पर वह गुलाब का फूल बोला , मैने इस एक दिन में मैने अपनी जिदगी जीली, सारी अपादा से लड़ा , तूफान , वर्षा , धूप ,इनका स्वाद चखा , मैने अपनी जिंदगी एक दिन में जी लिया , पर तुम जीतेजी मृत्यु समान हो , किसी की आड में जीना , यह कोई जीना नही है , जीना हो तो गुलाब के फूल के तरह हर मौसम का आनंद लेके मरना , इसीलिए दुनिया भर में गुलाब के फूल का नाम है, और घास के फूल को कौन पूछता है, यह बोलके गुलाब का वह फुल जो पहीले घास का फुल था उसने मृत्यु को गले लगया और अमर हो गया .
इस कहानी का बोध :- हमारी जिंदगी तभी सफल होगी जब हम हर एक कठिन परिस्थिति का सामना करने की हिम्मत रखते हैं, किसी आड में जीना यह कोई जीना नही होता , हमे हमारा comfort zone से निकलना ही होगा , जिंदगी में सफल होने के लिए , अच्छी नींद , अच्छा खाना , टीवी , what's app, ऐसे बहुत सारी चीज़ जो सफल होने में बाधा बने , उसे त्यागना चाहिए । और अपने प्रगती की ओर ध्यान देना चाहीये.
!!धन्यवाद!!
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