शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023

EK BHED CHARANE VALE BACCHE KI KAHANI/ एक भेड़ चराने वाले बच्चे की कहानी

 एक गांव में एक गरीब परिवार था ,उनका घर खेती करके और भेड़ पालन करके चलता था, उस घर का एक छोटा बच्चा रोज सुबह सुबह भेड़ को लेके चराने जाता था, भेड़ को चराते समय दूर एक पहाड़ी पर सोने जैसा चमकने वाला एक घर दिखता था, जैसे की वो किसी भगवान का घर हो या परियां रहती होगी उसमे, ऐसा वह बच्चा उसे देखके रोज सोचता था। उसकी बहुत इच्छा होती की वहा उस घर में जाए, पर भेड़ चराने के वजह से वो बच्चा वहा नही जा सकता, एक दिन उसके पिताजी बोले आज तुम घर पे रहो में भेड़ को चराने लेके जाता हूं, यह सुनकर बच्चा खुश हुवा, और वो उस सुनहरा घर देखने चला गया, रास्ता बहुत लंबा था, वहा पहुंचते पहुंचते शाम होने लगी, उस घर के अंदर पहुंचा तो उसे उसी उमर का एक बच्चा दिखाई दिया , वह घर एक साधारण गरीब परिवार का था, उस घर की खिड़कियां शीशे की थी, वह देख बच्चा अचरज हुवा, उसने उस बच्चे को कहा मैं नीचे से इस पहाड़ी पर आया हु, मुझे नीचे से यह घर सुनहरा और परियों के घर जैसा दिखता है, इसीलिए में इसे देखने आया हु, उड़ा पहाड़ी वाले बच्चे ने उसे भी कुछ ऐसा ही कहा, मुझे भी यहां से नीचे शाम को ऐसा ही एक घर दिखता है, जो बिलकुल सुनहरा , लाल चमकदार दिखाई देता है, आओ मैं तुम्हे इस खिड़की से दिखाता हूं, उस पहाड़ी वाले बच्चे खिड़की से वह घर दिखाया, वह बच्चा देख के बोला यह तो मेरा घर है, वह घर भी इसी घर जैसा है। दोनो एक दूसरे को देखके हसने लगे , और वे दोनो अच्छे दोस्त भी बन गए।

इस कहानी का बोध। दोस्त हम जब दूसरे को देखते है तो हमे लगता है ये कितना ऐश आरम में रहता होगा, अच्छा job है, गाड़ी है, अच्छी बीवी है। यही सिलसिला एक दूसरे के प्रति होते रहता है। पर ऐसा नहीं है, हर एक के जीवन संघर्ष भरा होता है , कोई अपना दुख दिखाता है कोई नही दिखाता है। इस संसार मैं केवल ज्ञान और दुःख ही हमेशा स्थिर रहेगा, बाकी सब आते जाते रहेंगे।

!!धन्यवाद!!



मंगलवार, 5 दिसंबर 2023

MEHANTI BAAP AUR BETE KI KAHANI/ मेहनती बाप और बेटे की कहानी।

 एक बड़ा ही गरीब परिवार था, उसमे एक बेटा बीवी एक मां और वह खुद, रोज मेहनत मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट वह भरता था , वह अकेला ही कमाता था , पूरा परिवार उसी पर निर्भर था , एक दिन उसके बेटे ने जो करीब चार साल का था अपने पिताजी से कहा की मुझे तुम्हारे साथ खेलना है , बाहर घूमने जाना है तुम मुझे कही भी लेके नही जाते खाली काम और काम की करते रहते हो, पिताजी ने कहा की काम नही करूंगा तो तुम्हारा पेट कैसे भरूंगा काम करना ही पड़ेगा तभी तो मैं तुम्हारे लिए पैसे इकट्ठा करके खिलोने लता हूं खाने के लिए चॉकलेट लता हूं, तुम दिन भर इन खिलोनोसे खेलते रहो और मुझे काम।पर जाने दो , बेटे ने कहा की आप दिन भर काम करके कितना पैसा कमाते हो , उसके पिता ने हंस कर बोला दिन भर में मैं १०० रुपया कमाता हूं, इतना बोल कर वह पिता काम पर चला गया , अगले दिन सुबह सुबह पिता से बोला की मुझे एक रुपया चाहिए, पिता ने कुछ भी नही बोलते हुवे उसके हात में एक रुपया दिया और रोज की तरह काम पे चला गया, अगले दिन फिर एक रुपया मांगा, ऐसा रोज करने लगा , एक दिन पिताजी ने कहा की तुम रोज एक रुपया क्यों मांगते हो उसपे बेटा बोला , ऐसे ही मुझे खिलौना खरीदना है इसीलिए , तीन महीनो के बाद अचानक बेटा बोला पिताजी मुझे आज दस रुपए चाहिए यह सुनकर पिता गुस्से में आ गया , और कहा दस रुपए कितने होते है तुम्हे मालूम है, इतनी मेहनत करके मैं केवल दिन भर में १००रुपया कमाता हूं, तुम्हे मै नही दे सकता और यह आदत ठीक नही है, बेटा जिद्द पे अड़ा रहा और रोने लगा की मुझे चाहिए ही चाहिए नही तो मैं कल घर से भाग जावूंगा, वापस कभी नही अवूंगा , पिता ने कहा कल तुम्हे देता हु। रात को घर आते ही उसने अपने हात आगे बढ़ाए और कहा पहिले मुझे १० रुपए दो फिर अंदर जावो नही तो मैं यही से घर के बाहर निकल जवुगा ऐसा कहके वह रोने लगा पिता को अपने बेटे की यह जिद्द पसंद नही आई फिर भी उसे १० रुपए दिए , बच्चा खुश हुवा, पर उसके पिता बहुत क्रोधित हुवे थे उन्होंने अपना गुस्सा अपने पत्नी पे निकाला , घर का माहोल बहुत ही खराब हो गया था , रात को सोते समय बेटे ने अपने पिता को कहा , मेरे पास कुछ है जो मैं आपको देना चाहता हु, पिता गुस्से में था, बेटे ने एक डिब्बा उन्हे दिया पिता ने उसे खोला तो उसमे कुछ चिल्लर थी, बेटे ने कहा पिताजी इसे गिनो , पिता उसके जिद्द के आगे कुछ न कह सका और उसने गिने तो वह सौ रुपए थे, बेटे को बोला यह सौ रुपए है, बेटा बोला ये आप रखलो, कल का एक दिन तुम्हे मेरे साथ गुजरना होगा, यह सुनकर पिता के आंख में आंसू आ गए उसने अपने बेटे को गले लगाया और सॉरी भी बोला । अगले दिन उन दोनो ने अच्छा समय बिताया , बेटा बहुत खुश हुवा और पिता के स्वभाव में भी थोड़ा बदलाव आया । 

इस कहानी का बोध। पैसों के पीछे भागते भागते हैं हमारे बीवी बच्चे समाज इनको अनदेखा करते है, ऐसा लगता है की पैसों से हम सब कुछ खरीद सकते है, पर ऐसा नहीं है हम सब कुछ खरीद तो सकते है , पर बीता हुआ समय कभी भी नही खरीद सकते है, नही वह कभी वापस आ सकता है। और इंसान का क्या है आज है कल नही कब मौत आयेगी किसको पता है। इसीलिए अपने व्यस्त समय में से कुछ समय अपने बच्चे और बीवी को भी दिया करो ।

!!धन्यवाद!!



शनिवार, 2 दिसंबर 2023

EK MURKH BACCHE KI KAHANI/ एक मूर्ख बच्चे की कहानी।

एक छोटा बच्चा करीब १२ या १३ साल का एक ढाबे पे काम करता था, लोग खाना खाने के बाद उनकी प्लेट उठता था, उनको पानी देता था, इस काम के कुछ पैसे मिलते थे , जिससे वह अपने घर का गुजारा करता था, एक दिन आदमी वहा खाना खाने को आया , खाना खाने के बाद उसने उस बच्चे को ५५० रुपए टीप दी, उस बच्चे ने उसमें से केवल ५० रुपए ही लिए, और ५०० रुपए वैसे ही रखे, उस इंसान ने ५०० रुपए लिए चला गया, दो दिन बाद वह फिर से वही खाना खाने आया , खाना खाने के बाद बिल भरा , और वापस उसने ५५० रुपए टीप रख दी, बच्चे ने फिरसे केवल ५० रुपए ही उठाए और ५०० रुपए वापस रख दिए, इस मूर्ख बच्चे की मूर्खता दिखाने के लिए अब वह आदमी रोज अपने नए दोस्तो को खाना खाने लेके आता, और अंत में वह उस बच्चे की मूर्खता अपने दोस्तो को दिखाता सब उस बच्चे पे हसकर लोकल जाते, यह खेल कई महीनो से चलता रहा। एक दिन उस बच्चे के साथ काम करने वाले लड़के ने कहा की तुम तो सचमुच मूर्ख हो, वह आदमी रोज पांसो और पचास की नोट रखता है, पर तुम केवल पचास की नोट ही उठाते हो, ऐसा क्यों , उसपे उस छोटे बच्चे ने जवाब दिया जिस दिन मैं ५००रूपये की नोट उठाऊंगा उस दिन ये खेल खल्लास हो जायेगा , आज तक मै पचास रुपए उठाकर ५००० हजार बना लिए है, वह आदमी मुझे मूर्ख समझता है , और मेरी मूर्खता को दिखाने के लिए रोज किसी न किसी को यहां खाना खाने लेके आता है। बच्चे की बात सुनकर वह लड़का चुप हो गया और उसने कहा की मूर्ख तो वह आदमी निकला जो रोज ५० रूपये दे जाता है और खाने का बिल भी भरता है। इस बात पे वह दोनो जोर जोर से हसने लगे।

इस कहानी का बोध। जीवन में कभी कभी ऐसा भी समय आता है , जहा समझदारी से नही मूर्ख ता से भी काम चलाना पड़ता है। उस परिस्थिति में हमे अगर मूर्ख बनकर फायदा हो रहा है, तो क्यों न मूर्ख बने। अंत में फायदा तो अपना ही होना है।

!!धन्यवाद!!



 

गुरुवार, 30 नवंबर 2023

BHAGVAN SHRI KRISHNA AUR UTANG RISHI KI KAHANI / भगवान श्री कृष्ण और उतंग ऋषी की कहानी।

  यह कहानी  महाभारत के युद्ध के बाद की है, भगवान श्री कृष्ण जब युद्ध समाप्त होने के बाद जब वह वृंदावन के लिए निकले तब एक घने जंगल में , बदलो के गरजने जैसी आवाज आ रही थी, श्री कृष्ण ने अपने सारथी से कहा की यह आवाज  एक महान तपस्वी के तप का ब्रभाव की है, रथ को उसी दिशा में ले चलो जहा से ये आवाज आ रही है, उनके दर्शन करके जायेंगे, वह दोनो तपस्वी के पास गए , श्री कृष्ण उनके दर्शन करने के लिए रथ से उतरे, तभी उतंग ऋषि ने अपने आंखे खोली और उर उनके मन को विचलित करने वाला प्रश्न किया की महाभारत का युद्ध नही हुवा न , कौरव और पांडव के बीच संबंध अब ठीक हुवे न, एक सांस में उतुंग ऋषि ने कही प्रश्न किए, उसपे भगवान श्री कृष्ण ने कहा की युद्ध हुआ और बड़ा ही भीषण युद्ध हुआ करोड़ों की संख्या में लोग मरे, केवल १० लोग बचे, इससे उतंग ऋषि क्रोधित हुए और श्री कृष्ण से कहा तुम्हारे होते हुवे इतना भीषण युद्ध कैसे हूवा, तुम चाहते तो इसे रोक सकते थे पर तुमने इसको होने दिया, इतनी बड़ी जीव हानि हुई, और तुम चुपचाप देखते रहे , इसीलिए मैं तुम्हे श्राप देता हु। इससे भगवान श्री कृष्ण बोले की रुको मेरी बात सुनो यह केवल युद्ध नही था यह युद्ध धर्म और अधर्म का युद्ध था , अगर ये युद्ध नही होता तो पृथी पर अराजकता फैल जाती, स्त्री यों पर अत्याचार होता, साधु संत को कोई पूजता नही , पशु पक्षी के ऊपर अन्याय होता उनकी हत्या हो जाती , चारो तरफ अन्याय अत्याचार होता अधर्म बढ़ता जाता, इसे रोकने के लिए यह युद्ध अनिवार्य था। मेरे इस अवतार को पहचानो, मुझे पहचानो मैं ही ब्रह्म हूं मैं ही महादेव मैं सारे भूतो में हू, मैं ही नारायण, मैं ही इंद्र मैं धर्म की स्थापना करने के लिए इस धरती पर अवतार लेता हु और अधर्म को मिटाकर धर्म की स्थापना करता हु। मैं काल से परे हूं, मुझे किसी भी प्रकार का श्राप नही लगता , मैं किसी के वश में नहीं आता , मुझसे ही यह संसार चलता है, मुझसे ही तुम्हारी तपस्या सफल होती है, मुझसे ही तुम्हारा श्राप सच सिद्ध होता है, अगर तुमने मुझे शर्म दिया तो जो शक्ति तुमने तप से अर्जित की है वह नष्ट हो जाएगी , तुम्हारा तपोबल शून्य हो जायेगा, यह सुनकर उतंग ऋषि ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी और अपने विराट दर्शन के लिए प्रार्थना की, भगवान श्री कृष्ण ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें अपने विराट रूप के दर्शन दिए।

इस कहानी का बोध। कौरव की ताकत पांडव के मुताबिक बहुत ज्यादा थी, बहुत ही पराक्रमी योद्धा लाखो की सेना थी, और पांडव के पास केवल भगवान श्री कृष्ण थे। केवल भगवान का साथ होने से पांडवो की जीत हो गई, क्यों की पांडवोके कर्म अच्छे थे, और वे धर्म के पक्ष में थे, इसीलिए पांडव जीत गए। हमारा जीवन भी महाभारत के युद्ध जैसा है , अगर हमारा कर्म और हम धर्म को अच्छा और सच्चा रखे तो हमे बड़ी से बड़ी ताकत नही गिरा सकेगी, हम हर मुसीबत में डट के खड़े रह पाएंगे। और कठिनाई असानिसे हल हो जाएगी।

!!धन्यवाद!!



शुक्रवार, 24 नवंबर 2023

DO DOSTO KI KAHANI/ DO दोस्तों की कहानी।

 एक गांव में दो दोस्त रहते थे, वह दोनो बहुत ही गरीब थे उन दोनो ने सोचा क्यों न हम शहर जाकर पैसे कमाए और कुछ अच्छा बिजनेस करे, दोनो ही परिवार की सम्मति से शहर आए, जो भी काम मिला उसे करने लगे , और कुछ नया करने के लिए पैसे इकट्ठा करते लगे , कुछ सालों में ही उनके पास बहुत सारे पैसे जमा हो गए , उन्होंने उस पैसों से अपना खुदका एक बिजनेस शुरू किया , कुछ महीनो मे बिजनेस बड़ा हुवा और उन्हे बहुत फायदा भी हुवा, यह देख एक दोस्त के मन में लालच उत्पन्न हुई, उसने सोचा की अगर मैं इसे मार दु तो यह पूरा बिजनेस मेरा हो जायेगा और मैं पूरा मालिक बन जावुगा, ऐसा सोच कर उसने अपने दूसरे दोस्त को एक्सीडेंट करके मार डाला, सबलोगो ऐसा लगा की यह एक्सीडेंट में मारा गया । फिर वह पहिला दोस्त अब पूरे बिजनेस का अकेला मालिक बना , कुछ महीनो बाद उसकी शादी हो गई, और एक साल में उसे एक बच्चा भी हुवा, बच्चा ३ साल का होने के बाद उसे कुछ बीमारी हो गई, कही महीने वह उस बीमारी का इलाज करने लगा , दो तीन साल बीत गए, पर बच्चा का इलाज नहीं हो पाया, उसके इलाज के लिए उसका पूरा पैसा लग गया , और उसे अपने बच्चे के इलाज के लिए अपना बिजनेस भी बेचना पड़ा, अब वह पहिले जैसा गरीब हो गया , उसका घर , पैसा ,बिजनेस सब चला गया , उसकी हालत भिकारी से बत्तर हो गई। डॉक्टर ने कहा ये बच्चा अब कुछ दिनों में मार जायेगा , ज्यादा से ज्यादा दो या तीन दिन तक जिंदा रहेगा, अखरी दिनों में उसका पिताजी उसके पास बैठा , और अपने बच्चे को देख कर रोने लगा, बच्चे ने आंखे खोली और कहा की अब तुम क्यों रोते हो ये तो होना ही था, मुझे पहचानो मैं तुम्हारा वही दोस्त हू जिसको तुमने एक्सीडेंट में मरवा डाला था, मैं बदला लेने फिर तुम्हारे घर में जन्म लिया , में तुमको वापस उसी हालत में लाया , जहासे हमने शुरवात की थी। अब तुम कभी भी अमीर नही बन पवोगे। इतना बोल के वह बच्चा मर गया। उस दोस्त को बड़ा पछतावा हुवा और वो पागल बन गया और इधर उधर भटक ने लगा ।

इस कहानी का बोध। कर्म सिद्धांत को कोई भी नही बदल सकता है। तुम जितनी तकलीफ दूसरो के लिए खड़ी करोगे उससे कई गुना तकलीफ तुम्हे आने वाले समय में मिलेगी। इसीलिए एक दूसरे की मदत करो किसका सहारा बनो, फिर तुम्हे किसीभी तरह की तकलीफ नहीं होगी, और आने वाली परेशानी और तकलीफ आपका कुछ भी बिगाड़ेगी नही, इसीलिए अपने कर्म को अच्छा बनाए रखे। 

!!धन्यवाद!!



सोमवार, 20 नवंबर 2023

EK VYAPARI AUR MACHVARE KI KAHANI/एक व्यापारी और मछुवारे की कहानी।

 एक व्यापारी का मछली बेचने का धंधा था , और उसके बगल में ही एक मच्छी बेचने वाला रहता था, वह बहुत गरीब था मछली बेचके अपना गुजारा करता था, वह उस व्यापारी से जलता भी था, एक दिन व्यापारी का बेटा बीमार पड़ गया , उसके इलाज का खर्च बहुत ज्यादा था , अपने बच्चे के इलाज के लिए उसे अपना घर , अपना मछली का धंधा बेचना पड़ा , वह बहुत ही गरीब हुवा, यह देख उसके बगल वाला जो मछुवारा था वह हसने लगा , और मन ही मन में बोला , इसको भगवान ने अच्छा सबक सिखाया कितना उड़ रहा था, अब गरीब क्या होता है समझ आये गा, वह व्यापारी अब ऊस मछुवारे के जैसा मछली पकडके सड़क पर बेचने लगा, और अपना गुजारा करने लगा, एक दिन दोनो मछुवारे को बहुत ही ज्यादा और अच्छी मछली मिली , दोनो ने उसे बेच के बहुत पैसा कमाया , पाहिला मछुवारा जो गरीब था , उसने उस पैसों से अच्छे कपड़े खरीदे, बीवी बच्चे के लिए नए कपड़े खरीदे , अच्छा खाना खाया बाहर जाकर , कुछ पैसों से दारू पी लिया, और इस तरह उसने सारे पैसे अपने ऐश और आराम में उड़ा दिए, पर जो दूसरा मछुवारा जो व्यापारी था , उसने कुछ थोड़े पैसे घर पे खर्च किए, जिसकी घरपे अत्याधिक जरूरत थी वही खर्च किए , और बाकी पैसों से , मछली पकड़ने के लिए पैसे देके मछुवारे रखे , और खुद भी मछली पकड़ने लगा , ऐसा कर के उसने कुछ दिनों में ही , वापस पहिले जैसा बड़ा मछली का व्यापारी बना, और बहुत अमीर भी। और जो मछुवारा था वह गरीब के गरीब ही रह गया।

इस कहानी का बोध। हम जोभी जमाते है उसका कुछ हिस्सा अगर हम हमारे धन की वृद्धि में लगाते है , ऐसा करने से हम जल्दी ही अमीर बन जाते है। फिर हम हमारे सारे शौक पूरे कर सकते है। इसके लिए संयम और हिम्मत , मेहनत बहुत जरूरी है।

!! धन्यवाद!!



सोमवार, 13 नवंबर 2023

EK KISAN AUR USAKE CHOR BETE KI KAHANI/एक किसान और उसके चोर बेटे की कहानी।

 एक बूढ़ा किसान था , उसका एक जवान बेटा था। दोनो मिलके खेती करके अपना , गुजारा करते थे। फसल अच्छी होने के कारण आजू बाजू के गांव वाले जलने लगे , एक दिन किसान के बेटे को चोरी के मामले में किसी एक गांव वाले ने फसा दिया उन्होंने पोलिस को कंप्लेन की, पोलिस ने उसे पकड़े के जेल ले गए, चोरी साबित हुई और उस बेकसूर लड़के को कई सालो की सजा हो गई। किसान बूढ़ा होने के कारण खेती नही कर सकता था, जो कुछ उसके पास जमा किया गया था , अब सब खत्म होने लगा , बेटा भी कब जेल से छूटेगा उसे समझ नहीं आ रहा था। उसने अपने बेटे को खत लिखा और कहा, मुजमे अब खेती करने की ताकत नहीं बची, मैं हल नही जोत सकूंगा, मैं तुम्हारी राह कब तक देखू,  अपनी राय दो नही तो मुझे ये खेत बेचना पड़ेगा , तभी मेरा गुजारा होगा। बेटे ने जेल में खत पड़ते ही , पिताजी को जवाब में लिखा की मैने चोरी का धन खेत में गाड़ दिया है। तुम उसे निकलो और अपना गुजारा करो। ऐसा पत्र लिखके उसने दरोगा को दे दिया, दरोगा ने पत्र खोला और पड़ा तो उनको आंके चौक गई, उन्होंने तुरंत सभी पोलिस को लेके खेत उखड़ने लगे , चारो तरफ हल चलाने लगे चोरी का सामान डूंडने के लिए, पर उन्हे कुछ नही मिल पाया। वह खाली हात लौट गई पर पूरा खेत कुछ ही दिनों में खेती के लिए तयार हो गया। बेटे ने फिर एक खत अपने पिताजी को लिख दिया। की, खेत की खुदाई अच्छे से हो गई है, आप अब बीज बो सकते है। पिताजी को लगा की पोलिस वालो ने हमारी मदत को , पिताजी ने बीज बोए और कुछ महीनो बाद फसल बहुत अच्छी हो गई , उस किसान को कई गुना मुनाफा हो गया , वह बहुत खुश हुआ। और गांव वाले फिर से दुखी हुए। पोलिस वालो ने भी उस बेटे की होशहरी की दाद दी गई, और उसे बेगुनाह छोड़ दिया।

इस कहानी का बोध। की काम हमारे बुद्धि से जीवन मैं आए हुवे है हर एक तकलीफ का सामान कर सकते है, हम मिलो दूर से भी अपने बुद्धि से किसी को भी मदत कर सकते है। 

!! धन्यवाद !! 



EK CHIDIYA AUR CHIDE KI KAHANI/ एक चिड़िया और चीडे की कहानी।

 एक चिड़िया और चौड़े में प्रेम हो गया, दोनो ने सोचा की अब हमे शादी कर लेनी चाहिए, दोनो ने शादी कर दी अब वह दोनो एक साथ रहने लगे, चिड़िया ने ...