एक व्यापारी का मछली बेचने का धंधा था , और उसके बगल में ही एक मच्छी बेचने वाला रहता था, वह बहुत गरीब था मछली बेचके अपना गुजारा करता था, वह उस व्यापारी से जलता भी था, एक दिन व्यापारी का बेटा बीमार पड़ गया , उसके इलाज का खर्च बहुत ज्यादा था , अपने बच्चे के इलाज के लिए उसे अपना घर , अपना मछली का धंधा बेचना पड़ा , वह बहुत ही गरीब हुवा, यह देख उसके बगल वाला जो मछुवारा था वह हसने लगा , और मन ही मन में बोला , इसको भगवान ने अच्छा सबक सिखाया कितना उड़ रहा था, अब गरीब क्या होता है समझ आये गा, वह व्यापारी अब ऊस मछुवारे के जैसा मछली पकडके सड़क पर बेचने लगा, और अपना गुजारा करने लगा, एक दिन दोनो मछुवारे को बहुत ही ज्यादा और अच्छी मछली मिली , दोनो ने उसे बेच के बहुत पैसा कमाया , पाहिला मछुवारा जो गरीब था , उसने उस पैसों से अच्छे कपड़े खरीदे, बीवी बच्चे के लिए नए कपड़े खरीदे , अच्छा खाना खाया बाहर जाकर , कुछ पैसों से दारू पी लिया, और इस तरह उसने सारे पैसे अपने ऐश और आराम में उड़ा दिए, पर जो दूसरा मछुवारा जो व्यापारी था , उसने कुछ थोड़े पैसे घर पे खर्च किए, जिसकी घरपे अत्याधिक जरूरत थी वही खर्च किए , और बाकी पैसों से , मछली पकड़ने के लिए पैसे देके मछुवारे रखे , और खुद भी मछली पकड़ने लगा , ऐसा कर के उसने कुछ दिनों में ही , वापस पहिले जैसा बड़ा मछली का व्यापारी बना, और बहुत अमीर भी। और जो मछुवारा था वह गरीब के गरीब ही रह गया।
इस कहानी का बोध। हम जोभी जमाते है उसका कुछ हिस्सा अगर हम हमारे धन की वृद्धि में लगाते है , ऐसा करने से हम जल्दी ही अमीर बन जाते है। फिर हम हमारे सारे शौक पूरे कर सकते है। इसके लिए संयम और हिम्मत , मेहनत बहुत जरूरी है।
!! धन्यवाद!!
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