शनिवार, 30 सितंबर 2023

EK CHIDIYA AUR PED KI KAHANI/ एक चीडीया और पेढ की कहानी

 एक चिड़िया और पेड़ की कहानी। एक दिन एक चिड़िया अपने बच्चो के साथ एक पेड़ पर आई और उस पेड़ को कहा, की ,क्या तुम मुझे तुम्हारे किसी फंदी पे घोसाला बनाने दोगे , मेरे बच्चे बहुत छोटे है, उनकी सुरक्षा के लिए, यह सुनकर पेड़ ने कहा की नही, मैं तुम्हे घोंसला बनाने की अनुमति नहीं देता। तुम किसी दूसरे पेड़ पर जाके अपन घर बनावो। चिड़िया उस पेड़ को गुस्से से देखकर दूसरे पेड़ पर चली गई, उसने दूसरे पेड़ पर से अनुमति ली, दूसरे पेड़ ने घोंसला बनाने की अनुमति दी, चिड़िया अपना छोटा सा घोंसला बनके वहा रहने लगी। कुछ महीने बाद जोरसे तूफान आया , बारिश आई ,  वह पहिले वाले पेड़ की जड़े कमजोर थी वो , इस तूफान का सामना नहीं कर पाया , धीरे धीरे उसकी जड़े उखड़ने लगी , कुछ ही समय में वह पूरी तरह से उखड़ गया। और पानी के बहाव में चला गया , यह देख वह चिड़िया बोली , तूने मुझे अपने पेड़ पर घोंसला न बनाने देनेका नतीजा , तुझे तूफान ने अच्छी सजा दी, उस पर पेड़ ने मुस्कुराके उस चिड़िया ये कहा , की मै जानता था की मेरी जd कमजोर है , मैं बड़े तूफान बारिश का सामना कर नही सकूंगा , अगर तुम्हे मै घोसला बनाने देता तो तुम और तुम्हारे बच्चे सुरक्षित नही रह पाते, इसीलिए मैंने तुम्हे मुजपर घोंसला बनाने नही दिया , यह कहकर वह पेड़ पूरी तरह से पानी में बहकर गया। यह सुनकर चिड़िया के आंख में आसू आए, और कहा मैं समाज ही नही पाई इस पेड़ का दर्द , और अनजाने में उसे भला बुरा कहने लगी , उसने उस बहते हुवे पेड़ की क्षमा मांगी।

इस कहानी का बोध। हमे कभी कभी हमारे अपने बहुत बुरे लगते हैं जब वे हमे किसी चीज को करने  के लिए रोकते है, माना करते है , उस समय वह लोग हमारे दुश्मन नजर आते है, पर हमे पता नहीं चलता की उनकी मनाई ही हमारे जीवन में सफलता के प्राप्ति के लिए है , हमारा भविष्य उज्वल बनाने के लिए है। 

!!धन्यवाद!!



गुरुवार, 28 सितंबर 2023

EK VYAPARI KI KAHANI/ एक व्यापारी की कहानी

 एक व्यापारी था , उसने एक दिन सोने की खदान खरीदली , उस खदान को खोद के सोना निकलने के लिए कई लोग काम पे लगा दिए, कई सौ फीट इस खदान को खोदता रहा पर उसे , सोने का एक टुकड़ा भी नजर नहीं आया , कई महीनो बीत गए पर उसे कोई भी सफलता प्राप्त नही हुई, बहुत सारा पैसा और मेहनत खर्च हुई पर उसे कुछ भी हासिल नही हुवा, वह बहुत निराश हो गया, बहुत सारा पैसा जो उसने लगाया था , बहुत उम्मीद थी उसे की यहां से सोना निकलेगा , पर इतनी मेहनत करके भी उसे कुछ भी हात नही लगा, अब वह पूरी तरह से थक गया और अब उसके पास पैसे भी नही बचे, इतनी गहराई के बाद भी सोना नही मिलने के वजह से उसने सोचा की इसे मैं किसी और को बेच देता हु, क्यों की यहां कुछ नही मिलने वाला है। उसने खदान का काम बंद किया और कुछ दिनो बाद उसे एक दूसरे व्यापारी को बेच दिया। उस दूसरे व्यापारी ने बहुत ही जल्दी काम चालू किया, और केवल तीन फीट के बाद उसे सोना नजर आया, और वह कुछ ही दिनों में मालामाल हो गया , बहुत ही बड़ा अमीर , धनी व्यक्ति बन गया । यह सुनकर पहिले वाला व्यापारी बहुत दुखी हो गया, उसने सोचा थोड़ी और मेहनत करता तो मैं भी आज बड़ा अमीर हो जाता , अपनी मेहनत को बीच में छोड़ ने के वजह से वह सफल नहीं हो पाया.

इस कहानी का बोध। यह कहानी हमे ये सिखाती है की, मेहनत तब तक करो जब तक आप सफल नहीं हो जाते , मेहनत करने वालो को बहुत सारी कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। और जो उस कठिन परिस्थिति को मात देता है वह जीवन में सफल हो जाता है। 

!!धन्यवाद!!



बुधवार, 27 सितंबर 2023

SAFAL TA KA RAZ/ सफल ता का राझ

सफल ता का राज। एक दिन एक आदमी एक तपस्वी के पास आया , और उसने उस साधु से कहा की सफल ता का क्या राज है ये मुझे जानना है। साधु ने कहा ठीक है, कल सुबह आना , वो आदमी , सबेरे सबेरे उस साधु के पास आ गया , उस तपस्वी ने कहा हमे नदी के पास जाना है, वे दोनो नदी मे चले गए , नदी आने पर वह साधु बोला , मेरे साथ अंदर चलो, वह दोनो नदी के अंदर चलने लगे , पानी जब गले तक आगया , तब उस साधु ने अचानक उसकी गर्दन पानी में डुबोई, साधु उस आदमी से ताकतवर था, वह आदमी पानी में तड़प रहा था, सांस लेने की कोशिश कर रहा था, उसका शरीर अब कला नीला पड़ने लगा , तभी साधु ने उसे बाहर निकाला, वह आदमी हफते हुवे जोर जोर से सांस लेने लगा, उस आदमी को समझ नही आ रहा था की इस साधु ने मेरे साथ ऐसा क्यूं किया, और इससे कोनसा सफल ता का राज मालूम पड़ने वाला है।तभी वह तपस्वी ने उस आदमी से पूछा की पानी के अंदर तुम्हे सबसे ज्यादा किसकी जरूरत थी। उस आदमी ने कहा सांस की , तब उस साधु ने कहा , सफल ता भी ऐसी ही आती है। जब तुम दिल जन से चाहोगे , उसकी कमी होने पर अस्वस्थ होगे , तभी तुम उसको कड़ी मेहनत और कठिन परिश्रम से पवोगे , यही है सफल ता का राज। उस आदमी को अब सफलता का राज समझ में आ गया उसने उस तपस्वी के पेर छु कर आशीर्वाद लिया, और अपने मार्ग पर चला गया।

इस कहानी का बोध। यह कहानी सुनकर हमे ये बोध हुवा, की अगर हम पूरी ताकत और इच्छा शक्ति से कुछ भी हासिल करना चाहोगे तो वे हासिल हो जायेगा , उसके लिए कठिन परिश्रम, एकाग्रता , और हमारा उद्देश , होना चाहिए।

!!धन्यवाद!!



सोमवार, 25 सितंबर 2023

SAFALTA AUR NIND KI KAHANI

 सफलता और नींद की कहानी। इस कहानी के मुख्य पात्र कोई साधारण व्यक्ति नही है, ये कहानी महादेव और माता पार्वती की है, जब महादेव माता पार्वती को तंत्र विद्या सिखाने जा रहे थे , तभी भगवान शिव ने पार्वती से कहा, ये मंत्र, तंत्र विद्या आत्मसात और सीखने के लिए तुम्हे महीनो लगेगे , पर इन महीनो में तुम्हे सोना नही है, आंख खुली होनी चाहिए, अगर तुम सो गई तो मुझे फिरसे पहिले से सीखना होगा , अगर तुम तयार हो तोही इस विद्या को सिख पवोगी यह सुनकर माता पार्वती ती ने मैं तयार हू ये कहके आप शुरू करो। महादेव ने माता पार्वती को मुंडमाल विद्या को सीखने आरंभ किया , दोनो नो ने आंख बंद करली , महादेव ने मंत्र उच्चरणा आरंभ किया , कुछ दिनों बाद महादेव ने आंख खोलो तो देखा की पार्वती सो गई, ये देख महादेव ने माता पार्वती को जगाया , और कहा की तुम सोना मत नही तो तुम इस विद्या को नही सिख पवोगी, मुझे इसे फिरसे सीखना होगा, फिरसे महादेव ने आरंभ किया , फिर कही महीने बीत गए, फिर महादेव ने आंख खोल के देखा तो , माता पार्वती फिर से सो गई, यह देख महादेव को बड़ा गुस्सा आया, उन्होंने माता पार्वती को बहुत चिल्लाया और कहा की तुम इसे नही कर पवोगी, तुम्हे फिर से मनुष्य रूप लेना होगा और मच्छियारो के साथ रहना होगा , और उनसे सीखना होगा की , एकाग्रता क्या होती है , कैसे वह घंटो महीनो एक ही जगह रहके मछिलिया पकड़ते है, ये कहके महादेव ने माता पार्वती को श्राप दिया, की तुम्हारा जन्म मच्छियारो के घर होगा वहा तुम्हे सीखना होगा, ये सुनकर माता पार्वती ने महादेव से क्षमा मांगी और उनका श्राप स्वीकार किया।

इस कहानी का बोध। दोस्तो नींद, आलस हमेशा सफलता में बाधा उत्पन्न करती है, जितनी नींद शरीर को चाहिए होती है उतनी ही लेलो और अपने मंजिल को तयार करो , उसपे एकग्रता से काम करो , आप जरूर सफल हो जावोगे।

!!धन्यवाद!!



शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

EK SHARABI KI KAHANI/एक शराबी की कहानी।

 एक शराबी ने अपने शराब के आदत से , घर परिवार , बच्चे , यह तक समाज में भी परेशान कर के रखा था, घर में शराब पी कर आता था, बीबी को मरता था, बच्चो का खयाल नहीं रखता था, अपनी ही मस्ती में धुंध रहता था। फिर एक दिन वह शराबी बहुत ही ज्यादा शराब पीके आया , और बीबी बच्चे को मरने लगा फिर वह नशे के हालात में ही सो गया , जब वो उठा तो तीन दिन बीत चुके थे, घर में कोई भी नही था , सब सामान इधर उधर बिखरा था, उसे बहुत जोर से भूख भी लगी थी, और घर में कुछ भी खाने को नही था, नही पानी था , उसे अपना घर बिखरा हुआ देख , और बिबी और बच्चे भी नही है, तो उसे रोना आ गया , उसे अपने किए पे पछतावा हो गया, वह बीबी बच्चो के पास जा कर उनकी क्षमा मांगी। तब उसने शराब छोड़ने की ठान ली , वह एक बौद्ध भिक्षु के पास गया, और उसने उनसे अपनी शराब की बुरी आदत छूड वा ने को कहा , उस भिक्षु ने कहा कल आना , अगले दिन वह फिर आया , वह बौद्ध भिक्षु एक पेड़ को पकडके लटक रहा था, वह भिक्षु फिर से उसे कल आने को कहा, ऐसे करते करते ८ से दस दिन बीत गए। वह बौद्ध भिक्षु वैसे ही पेड़ पे लटका हुआ था। वह शराबी जिसकी शराब छूडानी थी वह उस भिक्षु पे भड़क गया , की तुम इस पेड़ को छोड़ते क्यों नही, तुमने उसे क्यों पकड़ के रखा है, उसे तो नही पकड़ा तुम्हे , यह सुनकर वह बौद्ध भिक्षु हसने लगा , और कहा यही तो मैं तुम्हे समझना चाहता था , की शराब ने नही पकड़के रखा है तुम्हे , तुमने ही उसे पकड़के रखा है। तुम चाहो तो उसे कभी भी छोड सकते हो , और तुमने इन आठ दस दिनों में शराब भी नही पी होगी , तो तुम्हारी आदत तो वैसे ही छुट गई। शराबी ने उनके पेड़ पकड़के क्षमा मांगी और फिर कभी भी शराब नही पिबूंगा ये कसम खाई । 

इस कहानी का बोध। अपनी कोई भी बुरी आदत हमे कभी भी पकड़के नही रखती , हमी उसे पकड़के रखते , आप उससे जब चाहे तब छुटकारा पा सकते है।

!!धन्यवाद!!



बुधवार, 20 सितंबर 2023

BHAKTI AUR SHAKTI KI KAHANI /भक्ति और शक्ति की कहानी.

 भक्ति और शक्ति की कहानी। भगवान शिव ने अपने पुत्र कार्तिकेय को शस्त्र विद्या का पूरा प्रशिक्षण दिया। वो जब उसपे निपुर्ण हो गया , तभी उसमे अहंकार आया , कार्तिकेय को लगने लगा की अब मेरे में बहुत सारी शक्तियां आ गई है , मैं अब किसको भी हर सकता हु , और इसी गुरमी में , अपने सीखे हुवे विद्या का सराव करना छोड़ दिया , उसे लगने लगा की अब इसकी मुझे क्या जरूरत , अब तो मैं सब कुछ सिख गया हू, ये बात भगवान शिव को पता चली , उन्होंने देखा की , कार्तिकेय पूरा दिन युही बिता रहा है, कुछ भी सराव नही कर रहा है, महादेव ने कार्तिकेय से पूछा , की तुम दिए गए प्रशिक्षण का सराव क्यू नही कर रहे हो, अगर तुमने सराव नही किया तो तुम सब कुछ भूल जावोगे, तुम्हारी शक्ति कम हो जायेगी, इसपे कार्तिकेय ने कहा , मैं तो शिव पुत्र हू और मैंने सब कुछ सिख लिया है , अब मैं युद्ध के लिए तयार हू, ये सुनकर महादेव चिंता में पड़ गए , और उन्होंने सोचा की इसका अहंकार तो तोड़ना होगा , महादेव ने कहा की , मुझे ऐसा लग रहा है की , तुम्हारी शक्ति कम हो रही है , अब तुम तो मेरे प्रेत से भी हार जवीगे , उसपे कार्तिकेय बोला ठीक है मैं उनसे मुकाबला करने को तयार हू, इसपे महादेव ने अपने एक भक्त से कार्तिकेय का मुकाबला रखा , शर्त यह थी की उस महादेव के भक्त को , धक्का देके जमीन पे गिराना है, यह सुनकर कार्तिकेय जोर जोर से हंसने लगा , और प्रतियोगिता के लिए सामने आया , उसने उस शिव भक्त हो नजदीक से धक्का दिया पर वो जरा भी हिला नही, यह देख कार्तिकेय ने जोर से धक्का दिया, वो फिर भी नही हिला , फिर कार्तिकेय ने दौड़ के धक्का दिया फिर भी वह नही हिला , सुबह से शाम हो गई पर वह शिव भक्त , जैसे की वैसे ही खड़ा रहा, पर कार्तिकेय पूरी तरह से थक गया , फिर उसे अपने किए पर पछतावा हुवा, उसने अपने माता पिता की और सभी शिव भक्तों की क्षमा मांगी , और कहा की भक्ति में बहुत शक्ति होती है, और जिसे भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया हो, उसे इस संसार में कोन हरा सकता है।

इस कहानी का बोध। इस कहानी का बोध यही है की, भक्ति में समर्पण बहुत जरूरी है, तुम पूरी श्रद्धा और विश्वास से अपने भगवान पर छोड़ दो , और अपने कर्म को साफ और निष्पाप रखो , फिर तुम्हे कोई नही हरा सकेगा ।

!!धन्यवाद!!





सोमवार, 18 सितंबर 2023

BHAGVAAN SHIV AUR EK BACCHE KI KAHANI/एक बच्चे और भगवान शिव की कहानीl

 एक बच्चे की कहानी। एक दिन एक बच्चा बहुत ही भूखा था। घर में मां बीमार रहने के कारण कुछ भी खाने के लिए बनाया नहीं था , भूख से व्याकुल हो रहा था, वह भूख के कारण घर से बाहर आया, बाहर आते ही उसे बेल का एक पेड़ दिखाई दिया उसपे फल लगे थे, पर उसका फल पे हात नही पहुंच रहा था , तब उसने सोचा की कैसे इसे मैं झाड़ पे से फल तोड़ू, नीचे भगवान शिव की पिंडी थी, उसने सोचा क्यूं न मै इस पिंडी के ऊपर चढ जावू और फल तोडू। उस पिंडी की पूजा करने के लिए बहुत से भक्त आ रहे थे, वह थोड़ी देर प्रतीक्षा में खड़ा रहा , धूप भी बहुत तेज निकली थी. और उस लड़के को भूख भी बड़ी लगी थी, कोई भी नही आस पास यह देखकर वह लड़का उस पिंडी के ऊपर चड गया, और उस बेल के झाड़ के फल तोड़ने लगा , उसी समय एक शिव भक्त ने देखा की , ये बच्चा शिव के पिंडी के ऊपर पैर रखकर बेल के झाड़ से फल तोड़ रहा है, वह ये देखकर उस लड़के को बहुत चिल्लाया , सभी गांव वाले वहा जमा हो गए , और उस बच्चे को कहा तूने ये क्या अनर्थ किया , हम तुम्हारे परिवार को इस गांव से बाहर निकाल देंगे , तुमने भगवान शीव के उपर पैर रखा, अब भगवान का प्रकोप पुरे गांव को भुगतना पडेग, उतने में स्वयं भगवान शिव वहा प्रकट हुए, और उस बच्चे से कहा , तुम डरो मत , तुमने कोई पाप नहीं किया , तुम ने तो मुझपे अपने पसीने का जल और फल तोड़ते समय मुझपे तुमने बेल पत्र गिराए , तुमने इससे मेरा अभिषेक किया , तो तुम कैसे पापी हुए , फिर शिव ने कहा की मांगों तुम्हे क्या चाहिए , ये सुनकर बच्चा खुश हुआ और उसने कहा की मैं भूखा हु मेरी भूख मिटा दो। भगवान शिव ने तथास्तु कहा।यह देख  गांव वालो ने अपना सर झुकाए भगवान शिव की क्षमा मांगी।

इस कहानी का बोध। इस कहानी का बोध यही है , निष्काम भक्ति कभी भी अच्छी ही होती है। और भगवान शीव तो बहुतही भोले है.

!!धन्यवाद!!



EK CHIDIYA AUR CHIDE KI KAHANI/ एक चिड़िया और चीडे की कहानी।

 एक चिड़िया और चौड़े में प्रेम हो गया, दोनो ने सोचा की अब हमे शादी कर लेनी चाहिए, दोनो ने शादी कर दी अब वह दोनो एक साथ रहने लगे, चिड़िया ने ...