सफलता और नींद की कहानी। इस कहानी के मुख्य पात्र कोई साधारण व्यक्ति नही है, ये कहानी महादेव और माता पार्वती की है, जब महादेव माता पार्वती को तंत्र विद्या सिखाने जा रहे थे , तभी भगवान शिव ने पार्वती से कहा, ये मंत्र, तंत्र विद्या आत्मसात और सीखने के लिए तुम्हे महीनो लगेगे , पर इन महीनो में तुम्हे सोना नही है, आंख खुली होनी चाहिए, अगर तुम सो गई तो मुझे फिरसे पहिले से सीखना होगा , अगर तुम तयार हो तोही इस विद्या को सिख पवोगी यह सुनकर माता पार्वती ती ने मैं तयार हू ये कहके आप शुरू करो। महादेव ने माता पार्वती को मुंडमाल विद्या को सीखने आरंभ किया , दोनो नो ने आंख बंद करली , महादेव ने मंत्र उच्चरणा आरंभ किया , कुछ दिनों बाद महादेव ने आंख खोलो तो देखा की पार्वती सो गई, ये देख महादेव ने माता पार्वती को जगाया , और कहा की तुम सोना मत नही तो तुम इस विद्या को नही सिख पवोगी, मुझे इसे फिरसे सीखना होगा, फिरसे महादेव ने आरंभ किया , फिर कही महीने बीत गए, फिर महादेव ने आंख खोल के देखा तो , माता पार्वती फिर से सो गई, यह देख महादेव को बड़ा गुस्सा आया, उन्होंने माता पार्वती को बहुत चिल्लाया और कहा की तुम इसे नही कर पवोगी, तुम्हे फिर से मनुष्य रूप लेना होगा और मच्छियारो के साथ रहना होगा , और उनसे सीखना होगा की , एकाग्रता क्या होती है , कैसे वह घंटो महीनो एक ही जगह रहके मछिलिया पकड़ते है, ये कहके महादेव ने माता पार्वती को श्राप दिया, की तुम्हारा जन्म मच्छियारो के घर होगा वहा तुम्हे सीखना होगा, ये सुनकर माता पार्वती ने महादेव से क्षमा मांगी और उनका श्राप स्वीकार किया।
इस कहानी का बोध। दोस्तो नींद, आलस हमेशा सफलता में बाधा उत्पन्न करती है, जितनी नींद शरीर को चाहिए होती है उतनी ही लेलो और अपने मंजिल को तयार करो , उसपे एकग्रता से काम करो , आप जरूर सफल हो जावोगे।
!!धन्यवाद!!
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