गुरुवार, 22 जून 2023
EK DEVDUTT, AUR YAMRAJ KI KAHANI/एक देवदुत्त और यमराज की कहानी
बुधवार, 7 जून 2023
EK RAJA AUR USAKE TIN BETON KI KAHANI/एक राजा और उसके तीन बेटों की कहानी.
एक राजा और उसके तीन बेटों की कहानी, राजा अब बूढ़ा हो चुका था , राजा को अपनी राज गद्दी और राज्य का सारा निर्णय अपने किसी एक बेटे को देना था , पर तीनो भी समान तौर पर काबिल थे , निर्णय लेना राजा को कठिन हो रहा था , तभी राजा ने अपने बूढे नौकर को कहा , जो किसान था , उससे पूछा की कुछ तरकीब निकालो, उस बूढ़े ने राजा को एक ही तरकीब बताई, एक दिन सुबह राजा ने अपने तीनो बेटों को बुलाया , और तीनो को एक एक गेहू का बोरा भेट दी , और उनसे कहा की इसे संभाल के रखो, मैं तीर्थ यात्रा को जा रहा हूं,जब मैं तीर्थ यात्रा से लौटू तो मुझे ये वापस लौटा देना , तुम उत्तरदाई होगे इस अनाज के ,जैसे मैने दिया है वैसे ही लौटना है तुम्हे , तो इसे बहुत संभाल के रखो ,तीर्थ यात्रा करके आने का समय एक साल दो साल या तीन साल भी लग सकता है, तीनो ने अपने अपने गेहूं के बोरी लेके सोचने लगे , बड़े बेटे ने सोचा की मैं इसे तिजोरी मैं रख दूंगा , जब पिताजी वापस आयेंगे तो इन्हे मैं पिताजी को लौटा दूंगा, उसने बडी सावधानी से और सुरक्षा के साथ तिजोरी में रख दिया, छोटे बेटे ने उसे किसी जमीन पे फिकवा दिया , जिस जमीन पे उसने फिकवा दिया वह जमीन जंगल जैसी थी ,उसपे बहुत घास थी, बहुत सारे कंकर पत्थर थे, उसने न उस घास को काटा नही उस जमीन के कंकर पत्थर साफ किए , नही उस जमीन की जाज की की यह जमीन खेती के लिए योग्य है या नही , नही उसे खेती के बारेमे कोई जानकारी थी, तीसरे बेटे ने सोचा , की अगर मैं , इसे बड़े बाई जैसे तिजोरी में रखी तो वाह कुछ महीने बाद खराब हो जायेंगे, राख हो जायेंगे, मैं इससे खेती करूंगा , जो बाद में एक बोरी के कई बोरी बनेंगे , उसने एक जमीन ली , उसमेसे सभी घास काट दी, कंकर पत्थर साफ किए, जमीन की जाज की , और उसे उपजाव बनाया, फिर उसमे गेहूं के बीज बोए, तीन साल के बाद उनके पिताजी वापस आए , और अपने तीनो बेटो से मिले, और अपने गेहूं की बोरी वापस मांग ली, बड़े बेटे ने बड़ी सुरक्षा के साथ अपनी बोरी तिजोरी से बाहर निकली और , अपने पिताजी को सोप दी, पिताजी ने बोरी को खोल के देखा तो सब दाने राख हो चुके थे , सब सड़ गाएं थे , राजा ने उसे कहा , मैं ने तो तुम्हे जीवित गेहु के दाने दिए थे, जो विकसित हो सकते थे, जिसे तुम तीन सालो में कई हजार दाने तयार करते, इसकी कीमत तुम नही समझ पाए , और तुमने जीवित दाने मार दिए, तो तुम राज कैसे संभालो गे , इसीलिए मैं तुम्हे ये राज्य नही दे सकता , फिर राजा ने अपने छोटे बेटे से कहा की तुम्हारे दाने कहा है , उसने कहा में तो उसे , किसी जमीन पे फेक आया , तो राजा ने उससे पूछा की क्या गेहूं की फसल आई , उसने कहा , मैं ने देखा ही नहीं इन तीन सालो ने , राजा और उसके बेटे ने जाके देखा , की वहा पर कुछ भी नही था, केवल घास ही घास थी , राजा ने कहा तुमने भी , जीवित दानो को मार दिया , तब छोटे बेटे ने कहा , ऐसे तो कही पेड़ बिना लगाए उगते है , फिर उसे बो देने की क्या जरूरत है , राजा ने कहा की तुम भी ना समझ हो, तुम पर भी में भरोसा नही कर सकता , तुम्हे भी मैं ये राज्य नही दे सकता, तब राजा ने , अपने मंजले बेटे से कहा , की तुमने क्या किए गेहूं के दानों का , उसने राजा को , खेती में लेके गया , तब राजा को अपने मंजले बेटे ने चारो तरफ फैला हुवा गेहूं का खेत दिखाया , और कहा ये सब आपके उस बोरी से मैं ने यह खेत इन तीन सालो मे बनाया , राज देखके बहुत खुश हुवा, चारो तरफ हरियाली ही हरियाली , सुगंधित हवा, सूरज की किरणे पेड़ो पे चमक रही थी , राजा प्रसन्न होकर उसने अपने मंजले बेटे को अपनी राज गद्दी सोफ दी, इस तरह से बहुत आसानी से और समझदारी से राजा ने , राज्य को नया और सबसे अनोखा युवराज दिया ,
इस कहानी का बोध यह है ,, परमात्मा भी हमे छोटे छोटे बीज रूप मै कई अवसर देता है , उस अवसर में बड़ी संभावना होती है नया और बड़ा राज्य करने की ,पर हम भी राजा के तीन बेटो के जैसा व्यवहार करते है, कई लोग मिला हुवा धन तिजोरी में रखते , जो मरने के बाद राख हो जाता है , ना उससे वो अधिक धन कमाता है , नही किसी को मदत करता है , कुछ लोग मिला हुवा धन को , ऐसे ही किसी जगह पर लगा देते है , बाद में न उसके ऊपर ध्यान देते है नही उसकी चिंता करते है , पर बदमे उनके हात मे खालि पछतावा हि रहता है. अपने पैसे के व्यवहार के राजा के मंजले बेटे जैसा करना चाहिए, जो कही गुना बड़े , जिससे खुद का भरण पोषण हो जाए और दुसरो का भी ,
। । ध न्य वा द। ।
शनिवार, 6 मई 2023
AUSKER WIELD STORY/आस्कर वील्ड की ये बहुत हि पुरनि कहानी है
आस्कर वील्ड की ये बहुत हि पुरनि कहानी है ,आस्कर बहुत ही क्रूर किस्म का आदमी था , उसने अपने जीवन काल में बहुत ही उपद्रव, चोरी , बलात्कार , ऐसे न जाने कितने अपराध किए, एक दिन वह मर गया , मरने के बाद उसकी आत्मा, परमात्मा के पास चली गई, परमात्मा ने उसे पूछा, की तुमने पूरे जीवन काल में कोई भी अच्छा काम नही किया .उस आदमी ने कहा हा, मैने कोई भी अच्छा काम नही किया , परमात्मा ने कहा , तुमने खून किए ,चोरी की , बलात्कार किए , इसका तुम्हे जराभि अफसोस नहीं है, उसने कहा नही है , फिर परमात्मा ने कहा की ये सब तुमने किसी के कहने से किया , उसने कहा नही , में ने खुद किया , और इसका अफसोस भी नही मुझे , परमात्मा ने कहा की तुम्हारे चेहरे पे कोई दर शिकन नहीं है तुम एकदम शांत हो , क्यों, उस आदमी ने कहा , मुझे मालूम है मैने क्या किया और इसका उत्तरदाई भी मैं हु, परमात्मा ने कहा की तुम कैसे इंसान हो तुम्हे जरा भी डर नहीं लग रहा है , में तुम्हे नर्क भेज दूंगा , तब उस आदमी ने कहा की तुम मुझे नर्क नही भेज सकते हो , क्यू की मैं नर्क से ही इदर आया हु , में नर्क में रहके आया हु, तो तू मुझे नर्क का भय मत दिखा, इतने साल मैं नर्क में ही रहता आया हु , फिर परमात्मा ने कहा की मै तुझे स्वर्ग लोक भेज देता हु , तो उस आदमी ने कहा , की तुम वहा भी नही भेज सकते ,मुझे स्वर्ग में रहने की आदत नही है ,नही मै कभी रहा हू , गर तुम मुझे स्वर्ग भेज दोगे तो मैं उसे नर्क बना दूंगा , क्यों कि मैं अपने स्वभाव को नही बदल सकूंगा , परमात्मा होने के बाद भी परमात्मा सोचने लगा , की मैं इसे भेजू तो कहा भेजूं, इसकी बात तो बिलकुल सही है , रहा तो ये नर्क में स्वर्ग में कैसे रहेगा और इसकी आदत भी नही बदलेगी , फिर परमात्मा ने सोचा की इसे यही छोड़ देता हु , और थोड़ा विचार करके कुछ मार्ग निकलता हूं,
बोध,, दोस्तो इस कहानी का मतलब यही है , की जबतक तुम न चाहो तब तबतक तुम्हे परमात्मा भी नही बदल सकता है , तुम्ही हो तुम्हारे जीवन के शिल्पकार, सभी उपद्रव , अच्छा , बुरा ,ये सब अपने भीतर है , इसे कोई भी बदल नही सकेगा जब तक तुम न चाहो , तो अपनी सोच को सकारात्मक रखो, कर्म पे विश्वास रखो, अच्छे कर्म करो , इससे आपकी हस्त रेखा भी अच्छे कर्म के स्वरूप बदल जायेगी,
। । धन्यवाद । ।
बुधवार, 3 मई 2023
SIKANDER AUR USAKI AMARTA KI KAHANI/सिकंदर और उसकि अमरता की कहानी.
शनिवार, 29 अप्रैल 2023
EK DHANURDHAR KI KAHANI/एक धनुर्धर की कहानी
एक धनुर्धर की कहानी, एक सम्राट ने अपने धनुर्विध को कहा की तुजसे बड़ा धनुर्विध इस राज्य में और इस संसार में मुझे नजर नहीं आता , तो तू घोषणा कर दे की मुझसे बड़ा धनुर्धारी है तो वो मुझसे सामना करे , मुझे हराके दिखाए, तब मैं इस देश के सबसे महान धनुर्विध तुम्हे घोषित करूंगा , उसने राजा से कहा उसकी कोई जरूरत नहीं कोई भी मुझसे बड़ा इस संसार में नही है , तभी एक बूढ़ा द्वारपाल हसा, उसने घोषणा करने के बाद उस द्वारपाल से कहा की तुम क्यू हस रहे थे , क्या बात है , क्या तुमको मुजपर शक है , तो उस द्वारपाल ने कहा , तुम्हे धनुर्विद्या का ज्ञान कहा है ,तुमसे बड़ा धनुर्विध इस संसार में है तुम तो कुछ भी नहीं और तुम्हे आता ही क्या , ऐसा सुन के वह बहुत ही शांत हवा और कहा की मुझे उस धनुर्विध का पता बताओ मैं उसे मिलता हु, उस द्वारपाल ने कहा की राज्य के पूर्व दिशा के पहाड़ी के नीचे वह रहता हैं, वह उसे ढूंढते हुवे चला गया, पहाड़ी की नीचे उसे एक बूढ़ा लकड़हारा मिला , लकड़ियाय बेच के वो अपना गुजारा करता , उस धनुर्विध ने कहा कि मैं एक महान धनुर्विध के तलाश में आया हूं, इस पहाड़ी की नीचे आप के सिवा कोई भी नही है , तो क्या आप मुझे उसका पता बतावोगे , उस बुडे ने काह की मैं ही हु, तीन दिन उस बूढ़े धनुर्विध के साथ रहने के बाद उसे पता चला कि मुझे तो कुछ आता हि नही है , तीन साल धनुर्विद्या सीखने के बाद , वह वापस लौट रहा था , तभी उसे ख्याल आया की , मैं तो अभी पूरी तरह से सिख गया अब मैं संसार का सबसे बड़ा धनुर्धारी बन गया , पर मन ही मन सोचने लगा की भले मैं कितनाही बड़ा क्यू ना हुवा पर रहूंगा तो दूसरे नंबर पर , क्यू ना मैं अपने गुरु को मार दु, वह एक पेड़ के पीछे छुप गया , उसने देखा की उसका गुरु लकड़ियां लेके आ रहा है , उसने एक तीर निकाला और गुरु को निशाना बनाकर छोड़ दिया ,गुरु ने तीर को अपने तरफ आते हुवे देखा , और अपनी लकड़ियों में से एक छोटी लकड़ी उठाई और तीर के तरफ फेंक दी, तीर घुमा और शिष्य के सीने में जाके घुस गया, गुरु शिष्य के पास जाकर तीर निकाला और उसे कहा की मैं बस तुम्हे इस धनुर्विद्या को नही सिकाया, लकड़ी का कोई भी टुकड़ा उठा के फेंका तो तीर बन जाए और किसे को लगे तो खून की एक बूंद गिरे बिगर मार जाए , पर इससे बड़ी धनुर्विद्या मैं भी अभी सिख नही पाया , खाली आंखो से किसी को भी मार दे , बिना तीर और बिना लकड़ी के , मैं मेरे गुरु को आती है , मैं जनता हू, तुम जावो वहा ,वे तुम्हे मुझसे अच्छी धनुर्विद्या सीखा देगा , इस पहाड़ी के पीछे रहते है मेरे गुरु तुम जाके उनसे मिलो, वह धनुर्विध अपने गुरु के गुरु को ढूंढने चला गया , पहाड़ी के पीछे और एक पहाड़ के ऊपर उसका घर था वाह बहुत ही बुढा था कमर झुकी हुवि थी, ठीक से चल नही पा रहा था , उस शिष्य ने कहा की आप ही हो इस संसार के सबसे महान धनुर्धारी , उस बूढ़े ने कहा की , थोड़ी बहुत आती है मुझे धनुर्विद्या , क्या तुम्हे सीखना है , उस शिष्य ने कहा नही में तो सीख के आया हूं , उस बूढ़े ने कहा सीखे हो तो इस धनुष्य को क्यू अपने कंधे से लटकाया है , उसने कहा की मैं एक तीर से १०० पक्षी योंको मार गिरा सकता हु , उस बूढ़े गुरु ने कहा की ये तो मामूली सी बात है , यह तो कोई भी कर सकता है, जमीन पे खड़े होके , तब गुरु ने कहा की मै तुम्हे जहां से बतावू वहासे क्या तुम कक्ष लगा सकते हो उसने कहा हा, तब वह बूढ़ा गुरु, एक पहाड़ी के चोटी पे जाके एक पैर के पंजे पे खड़ा हवा और खड़ा भी ऐसे जगह हुवा की संसो का नियंत्रण खो गया तो हमेशा के लिए इस संसार से गायब , पीछे बड़ी खाई और आगे ढलान वाली चट्टान , वह शिष्य तो डर गया और उसने कहा की मेरे तो हात पाव कापने लगे , तब उस गुरु ने कहा की हात पाव कपेंगे तो तुम निशाना कैसे साधोगे , तुम्हारे हात पाव कप रहे है तो तुम आत्मा पे नियंत्रण कैसे पावोंगे , जब तुम आत्मा पे नियंत्रण रख पावोंगे तभी तुम सबसे बड़े धनुर्धारी कहलावोगे फिर तुम्हे न धनुष्य की जरूरत नहि पड़ेगी, नही लकड़ी के टुकड़े की , बस आंखो से ही तुम किसी को भी मार सकते हो , उस गुरु ने उस शिष्य को उदाहरण देते हुवे कहा की ऊपर देखो ३० पक्षी का थावा जा रहा है मैं अपनी आंखों से उन सारे पक्षियोंक मार गिरा ता हूं, उस गुरु ने ऊपर देखा अपनी आंख मिचकाई कुछ ही पल में ३० के ३० पक्षी मार के नीचे गिरे , वह शिष्य देखते ही रह गया और वह अपने अंहकार और गर्व पर हसने लगा इक और उसे समझ आई की पूर्ण ज्ञानी कभी भी अपने महंता का बखान नही करता , वह तो पेड़ की तरह चट्टन्नो में भी खड़ा रहता है और अपनी शीतल छाया से सबको सुख और आनंद देता हैं.
सिख , कभी भी अपने आप पर गर्व मत करो , ज्ञानी बनो पर अहंकारी मत बनो , आप कितने भी बड़े क्यू न हो , आप से बड़ा कही ना कही इस संसार में है, और हमेशा रहेगा.
!!ध न्य वा द!!
गुरुवार, 6 अप्रैल 2023
NIRDHAN UPASAK AUR BHAGVAN BHUDDH KI KAHANI/ निर्धन उपासक और भगवान बुद्ध की कहानी.
निर्धन उपासक और भगवान बुद्ध की कहानी, अल्वी नगर के एक गांव में एक गरीब परिवार रहता था , बहुत ही गरीब था , खेती करके अपने पेट भरते थे, एक दिन उन्हें यह मालूम हुवा की तथागत भगवान बुद्ध हमारे गांव में कल आ रहे है, वह बहुत ही खुश हुव उसने सोचा की कल में भगवान के दर्शन करके उनसे उपदेश लूंगा, कुछ सिकुगा , फिर सुबह भगवान बुद्ध अपने ५०० भिक्षु के साथ अल्वी नगर आए , अल्वी नगर वासियोने भगवान से भोजन करने के लिए आग्रह किया, भगवान वही रूक गए, वह निर्धन उपासक भी भगवान के दर्शन के लिए आतुर था , पर जब वह सुबह उठा तो उसने देखा की उसका एक बैल कही चला गया, वह उसको ढूंढने के लिए चला गया , भूखा प्यासा दिन भर उसे ढूंढता रहा, दुपहर होते होते उसने उस बैल को ढूंढ निकाला , और वैसे ही भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए चला गया, भगवान बुद्ध ने उसे देखा और अपने पास बिठाया , और उसे भर पेट भोजन के लिए आग्रह किया, उसने मना करने के बाद भी भगवान ने उसे खाना खिलाया , और कुछ धर्म के उपदेश भगवान बुद्ध ने उस गरीब को दिए, वह सुनकर वह बहुत हि धन्य हुवा, पर यह बात भिक्षू संघ में बिजली की तरह फैल गई, सब को आशर्य हुवा, क्योंकि ऐसा कभी भी भगवान ने नही किया था , उन भिक्षु ने भगवान से जिज्ञासा कि, आप ने ऐसा क्यों किया, पहले तो आप ने ऐसा कभी भी नहीं किया , तब भगवान बुद्ध ने इन भिक्षु से कहा कि भूखे पेट किसी को धर्म नही सिखाया जा सकता है , नही कोई उपदेश , क्यों कि इस संसार में सबसे बड़ा रोग भूख हैं भूख से बडकर रोग इस संसार में नही है , क्यों कि भूख लगने के बाद शरीर की चेतना शरीर की भूख मिटाने के लिए जुड़ जाती हैं, फिर उसे कुछ दूसरा नही सूझता, उदाहरण, जब हमारे पैर में कांटा लग जाता है तो हमारी चेतना वही पैर के पास घूमती रहती है , जैसे सिर में दर्द हो तभी भी हमारी चेतना वही सिर के पास घूमती रहती हैं, उस समय हमारा ध्यान उसी चीज पे रहता हैं , इसीलिए भूख सबसे बड़ा रोग है और संस्कार सबसे बड़ा दुख है और निर्वाण सबसे बड़ा सुख है,
बोध : इस कहानी से हमे यह बात समझ में आई की भूखे पेट हम कुछ भी सिख नही पाते। नही धर्म नही संस्कार , क्योंकि शरीर का ध्यान पूरा भूख मिटाने में लग जाता हैं, अगर हम भूखे पेट प्राथना भी करे तो पूरी प्रार्थना पे भूख की भूख छा जायेगी.
। । ध न्य वा द। ।
मंगलवार, 4 अप्रैल 2023
EK RAJA AUR BUDDHIMAN VAZIR KI KAHANI/एक राजा और बुद्धिमान वजीर की कहानी
एक राजा और बुद्धिमान वजीर की कहानी. एक दिन राजा का वजीर मर गया , राजा बहुत दुखी हुवा, क्योंकि राजा का वह प्रिय वजीर था , उस जैसा दूसरा मिलना बहुत ही कठिन था , ना के बराबर था , फिर राजा ने राज्य में घोषणा करदी की कोई बुद्धिमान वजीर चाहिए , और एक प्रतियोगिता रखी गई , हजारों की संख्या में लोगो ने भाग लिया , क्यांकि उसके बाद बड़ा ही महत्वपूर्ण पद मिलने वाला था, पर उस हजारों की संख्या में खाली ३ व्यक्तियों को ही चुना गया , उस तीन व्यक्तियों में से खाली एक बुद्धिमान व्यत्ति को चुनना था , वह तीन लोग उत्सुक थे की आगे की प्रतियोगिता क्या होगी , राजा की प्रतियोगिता के बारे में राज्य मे खबर फैल गई, की उन्हें एक कमरे में बंद करेंगे और उस कमरे को तला लगा देंगे , पर वह तला कोई मामूली तला नही रहेगा , उस ताले पर कुछ आंकड़े रहेंगे, गणित की पहिली रहोगी , जोभी इस गणित की पहिली को हल करके बाहर आएगा। वही राजा का वजीर बनेगा , यह बात उन तीन लोगो को मालूम हो गई , उस तीनो में से दो व्यत्ति ने बाजार में जाकर गणित के ऊपर जितनी भी किताबे थी सब ले आए , उसमे से तीसरा व्यक्ति बहुत ही अजीब था, वह बहुत ही शांत था , कुछ नही कर रहा था , शायद वह डर गया होगा या फिर उसने इस प्रतियोगिता से हार मनली होगी , ऐसा उस दो जन को लग रहा था , वे दोनो उसपे हस रहे थे , और उसे कहां की , की कुछ तो तयारी करो नहीतो तुम हार जावोगे , वह फिर भी शांत था , फिर राजा एक दिन पहिले आके उन तीनो को प्रतियोगिता के बारे में बताया , जो उन्हे पहिले से मालूम थीं, की तुम तीनो को एक कमरे में बंद किया जाएगा , और एक गणित की पहिली का तला दरवाजे में लगाया जाएगा जो भी पहिले बाहर आएगा वही व्यत्ति वजीर बनेगा , ऐसा कह के राजा चला गया , कल सुबह प्रतियोगिता के लिए जाना था , वह दोनो अभ्यास करने लगे , गणित की सारी किताबे पड़ डाली , रात भर सोए नही, क्योंकि पद भी उतना भरी था , पर जो तीसरा व्यक्ति था वह तो चादर वोड के सो गया, सुबह तीनो भी राज महल पोहचे तीनो में से दो के आंखे लाल थी चहरे पे थकान थी , रात भर न सोने के कारण , पर एक व्यक्ति की आंखे बहुत शांत थी चेहरा भी शांत था , प्रतियोगिता शुरू हो गई, उन तीनो को एक कमरे में बंद कर दिया , दोनो जन पहिली को हल करने में जुज गाए पर वह तीसरा व्यक्ति , एक कोने में शांत बैठा था , और अचानक उठके दरवाजा धकेला और बाहर आगया , और वही वजीर बन गया , दरवाजा को तो ताला लगा ही नहीं था। वह तो खुला था , पर उन दोनो ने यह भी मालूम करने की कोशिश नही की की दरवाजा सच में बंद है या फिर खाली धकेल के रखा है,
इस कहानी का अर्थ यह है , जीवन भी ऐसा ही है , हम कभी कभी पुस्तकी ज्ञान में इतना खो जाते है की , वास्तविकता में यह सच है या नहीं , यह भी जानने को कोशिश नही करते , और हम रेस लगाने में लग जाते है , इसीलिए अपनी बुद्धि को जागृत करना बहुत की जरूरी है ,
। । ध न्य वा द। ।
EK CHIDIYA AUR CHIDE KI KAHANI/ एक चिड़िया और चीडे की कहानी।
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