रविवार, 22 अक्टूबर 2023

EK RAJA AUR USAKE PRAJA KI KAHANI/एक राजा और उसके प्रजा की कहानी।

 एक दिन राजा ने अपने राज्य दरबार में सारे प्रजा के सामने यह कहा, की कल इस दरबार में, बहुत सारी वस्तुए रखी जायेगी जोभी जिस वस्तु पे हात रखेगा वह वस्तु उसकी हो जायेगी, यह सुनकर नगर के सभी लोग उत्साहित और क्या क्या घर में लाना है यह सोचने लगे, अगले दिन सबेरे सबेरे दरबार खुल गया, लोगो की भीड़ लगी हुई थी, दरबार नए नए  वास्तु से भरा हुवा था, चारो तरफ वस्तुये थी, सभी प्रकार के , लोग यह सब देखके अपने अपने हिसाब से वस्तु वो पर टूट पड़े, दरबार में अफरा तफरी मची हुई थी, कोई भी किसी को पहचान नहीं राह था, कल तक जो साथ साथ चल रहे थे, घूम रहे थे आज वह अनजान होने लगे, कुछ पल में दरबार के सभी वस्तु लोगो ने ले लिए, राजा यह सब बैठ कर देख रहा था, सभी लोग अपना अपना सामान ले जाने के लिए तयारी में थे , उतने में एक छोटा लड़का आया और उसने राजा की उंगली पकड़ली, यह देख राजा मंद मंद मुस्कराने लगा , और फिर राजा ने सभी नगर वासियों से कहा की अब ये सारा सामान इस लड़के का हो चुका है, क्यूं की इसने मेरी उंगली पकड़के मुझे पा लिया , इस कारण यह मेरा सारा सामान इसी लड़का हो गया, सभी नगर वासी हैरान और चकित हो उठे, उसपे राजा बोले की तुम खाली समान जुटने में लगे , पर किसी ने अपनी बुद्धिमत्ता नही दिखाई, यहां मैं भी बैठा था , किसने भी मुझे नही छु लिया, जोभी मुझे छू ता तो मेरे सहित यह सब उसका हो जाता , पर इस छोटे लड़के ने समझदारी दिखाई , और अब यह सब इसका हो गया, तुम लोग सब अपने अपने घर जा सकते हो।

इस कहानी का बोध। हम अपने समझदारी और बुद्धिमत्ता से किसी भी चीज को हासिल कर सकते है।

!!धन्यवाद!!



गुरुवार, 19 अक्टूबर 2023

EK CHUHE KI KAHANI/एक चूहे की कहानी

 एक दिन एक चूहे के पीछे साप लग गया, जैसे तैसे अपनी जान बचाकर वह अपने बिल में घुस गया और कई दिन डर के मारे अंदर ही रह गया, उसने कही से यह सुनाता की जंगल में एक महात्मा रहते है, वह उस महात्मा के पास गया और उनसे प्रार्थना करने लगा की मुझे साप से बहुत डर लगता है, वह हमे खा जाता है, क्या आप मुझे खरगोश बना दोगे , जिसके कारण साप मुझे नही खा सकेगा , महात्मा ने कहा ठीक है , तथास्तु , और फिर वह खरगोश हो गया, कुछ दिनो बाद कई मनुष्य खरगोश की शिकार करने जंगल आए , और जो चूहे से खरगोश बना था उसके पीछे लग गए , जैसे तैसे अपनी जान बचाकर वह फिर से उस महात्मा के पास आया और कहा की , साप से तो मैं बच सकता हु पर मनुष्य से नही, कृपया आप मुझे , भेड़िया बनादो, उस साधु ने कहा जैसी तुम्हारी इच्छा, और वह भेड़िया बन गया , भेड़िया बन के जंगल में घूमता रहा , अचानक शेर उसके पीछे लगा , भागते भागते वह थक गया और बच गया , अगले दिन फिर से शेर पीछे लगा फिर वह जान बचाकर भागा, ऐसे ही चलता रहा। फिर उस भेड़िया बने चूहे ने सोचा क्यूं न मै शेर बनू और जंगल में राजा के जैसा घुमु, ये ठीक रहेगा, फिर से वह उस महात्मा के पास आया और कहा , भगवान भेड़िया का जीवन भी दर्द भरा है, रोज नई मुसीबत जान की आफत बनाती है, जीवन मै शांति नही, कृपया आप मुझे, जंगल का राजा शेर बनाइए। वह तपस्वी उसे कहता है जैसी तुम्हारी इच्छा ,तथास्तु, और वह शेर बन जाता है, और जंगल में निडर हो के घूमने लगता है, फिर एक दिन किसी सर्कस के लोग जंगल में शेर को पकड़ के ले जाने आते है, और कई सारे शेर को पकड़ के ले जाते है, ये शेर बना चूहा एक पेड़ के पीछे से देखते रहता है, उसे अब बहुत डर लगता है, वह सोचता है की जंगल के राजा को भी सर्कस वाले गुलाम बनाते है, और सिखाने के लिए बहुत मरते है, और भूखा भी रखते है। वह शेर बना चुका वापस उस महात्मा के पास आता है, और उनसे क्षमा मंगाके कहता है की महाराज आप मुझे फिर से चूहा बना दो , मेरा जीवन मेरे असली रूप में ही सुरक्षित है, फिर वह साधु उसे चूहा बना देता है।

इस कहानी का बोध। इस चूहे ने सभी रूपों में जंगल में रहा यह तक शेर भी बना पर उसमे एक कमी थी वह ये की भले वह शेर बना पर उसका दिमख चूहे का ही था, इसीलिए वह उसी तरह सोचता और उसके अनुसार रहता। हमे भी जीवन में हमारी परिस्थिति के अनुसार अपना व्यवहार और आचरण करना चाहिए, जितना हमारे पास है उतने में ही रहना चाहिए। 

!!धन्यवाद!!



बुधवार, 18 अक्टूबर 2023

KARM FHAL KI KAHANI/ कर्म फल की कहानी।

 एक दिन एक मच्छी बेचने वाले से एक आदमी ने उसकी मच्छी छीन ली, मच्छी वाला बोला मुझे तुम इसके पैसे देदो और मच्छी ले जावो , पर उस आदमी ने उससे जोर जबरदस्ती करके मच्छी छीन ली , मच्छी वाला बुडा और कमजोर होने के कारण उससे लड नही पाया , उसने बस उस आदमी से यह कहां की तुम्हे भगवान देख लेगा , वह आदमी घर आया तो उसने देखा की अंगुठे मे छोट सा कांटा लगा है. उसने कांटा नीकाल के फेंक दिया , करीब करीब अंगुठे से एक बुंद खुन आया , कुछ दोनो बाद , अंगुठा सुज गया और उसे हलका हलका दर्द होने लगा , डॉक्टर को दाखाया तो डॉटर बोला यह यामुली सी जखम है , दो दीन मे ठीक हो जायेगा कुछ दीनो बाद अंगुठा ज्यादा सुज गया और जखम भी बडी हो गई, उसने डॉक्टर को बताय तो डॉक्टर बोला अंगुठा काटना पडेगा पुरा सड चुका है, उसने कहां ठीक हे , अंगुठा काट के पट्टी करायी , कुछ दोनो बाद वापस डॉक्टर के पास आया डॉक्टर को कहां की मेरा हात बहुत दुख रहा है. डॉक्टर ने देखा तो , अंगुठे के बजु वाली ऊंगली सड चुकी है.  अब बाजु वाली अंगुली काटने पड़ेगी, ऐसा करते करते ' उसका आधा हात कट गया , फिर उसने अपने दोस्त को सारी बात बताई की मेरी हालत बहुत खराब हे . डॉक्टर ने पुरा हात काटने  को कहां हो , नही तो मैं मर जाऊंगा , उसके दोस्त ने उससे  पुछा की ये सब कैसे हुवा है , उस आदमी ने अपने दोस्त को सब कुछ बताया की मैने कैसे उस बुढे मच्छी वाले से जबरदस्ती से मच्छी छीन ली , दोस्त को समझ आया उसने तुरंत उस आदमी को उस मच्छी वाले के पास ले गया , उसने उस मच्छी वाले के मच्छी के पैसे दे दिये और उसकी क्षमा भी मांगी , कुछ दोनो बाद उसकी जखम सुख गई और वो पुरी तरह से ठीक हो गया , पर उसने अपना एक हात गवा दीया था ।

इस काहानी का बोध | कर्म फल भुगताना ही पडता है. कर्म के चक्कर मेसे कोई भी नही बच सकता है , जैसे कर्म वैसे ही उसके अनुसार फल भी मिलते रहेंगे । कर्म के पास ना कागज है नाही कलम है , फीर भी वह पुरे जगत का हिसाब रखता है।

!!धन्यवाद!!



रविवार, 15 अक्टूबर 2023

EK MENDHAK KI KAHANI/एक मेंढक की कहानी

 अगर आप मेंढक को गर्म पानी में रखोगे तो वह उसके अनुसार अपने शरीर का तापमान बदल सकता है, जैसे जैसे आप पानी गर्म करते रहोगे वैसे वैसे वह अपना शरीर उस गर्म पानी के अनुसार सेह सकता है पर एक तापमान के बाद मेढक गर्म पानी से मार जाता है, यह कहानी यही से शुरू होती है, आप को लगता होगा की उस मेंढक की मौत गर्म पानी के वजह से हो गई होगी , पर ऐसा नहीं है , मेंढक गर्म पानी के अनुसार अपना शरीर का तापमान बदलता रहा था, और सहन करने के चक्कर में उसने अपनी शरीर की पूरी ऊर्जा खर्च कर दी, उसके पास अंत में जरभी ऊर्जा नही बची , और नहीं उसने सही समय पे छलांग लगाई, अगर वह सही समय में छलांग लगाता था तो बच जाता , दोस्तो लाइफ भी ऐसी ही है , सही समय में छलांग लगाना जरूरी है, कुछ सिख के छलांग लगाने से बेहतर है की छलांग लगाने के बाद सिख लेना , फिर पूरा जीवन पड़ा है उसे दुरुस्त करने के लिए । मेहनत करो और जीवन को नई दिशा दो।

!!धन्यवाद!!



शनिवार, 14 अक्टूबर 2023

EK BACCHE KI KAHANI/ एक बच्चे की कहानी

एक दिन एक बच्चे को स्कूल की टीचर बहुत चिल्लाई और उसे कहा की कल अगर तुम स्कूल की फिज नही भर पाए तो स्कूल मत आना , जब तुम्हारे पास स्कूल की फिज भरने के लिए पैसे आए तो साथ में अपने पापा को भी लेकर आना , यह सुनकर बच्चा बहुत उदास और निराश हो उठा , स्कूल से छूटते ही वह समशान घाट चला गया , अपने मरे हुवे पिता के कब्र पर अपना बस्ता फेंक कर रोने लगा, और वह अपने पिता से कह रहा था, की पिताजी उठो कल टीचर ने तुम्हे फिज लेके बुलाया है, नहीतो मुझे स्कूल के अंदर आने नही देंगी नही तो आप मुझे पैसे देदो मैं कल जाके भर दूंगा, उसी समय सामने वाले कब्र पर बैठे एक इंसान ने यह बात सुन ली , वह किसी से कब्र पर कुछ हजार दो हजार की फूलो की चादर बुक कर रहा था, बच्चे की बात सुनकर उसने वह बुक किए हुई चादर कैंसल कर दी , और कहा मुझे याह फूलो की चादर मिल गई, फिर वो आदमी बच्चे के पास गया और कहा , अरे तुम यहां बैठे हो , मैं तुम्हारे स्कूल गया था तुम नही मिले तो यहां आया , तुम्हारे पापा ने तुम्हारे स्कूल की फिज भरने के लिए पैसे भेजे है, वह बच्चा झट से खुश हुआ और मुस्कराने लगा , और उस आदमी से कहा , मेरे पिताजी को थैंक्यू और i love u कहना मेरी तरफ से। यह सुनकर उस आदमी के आंखो में से आसू आए। और उस लड़के को पैसे देके चला गया।

इस कहानी का बोध। हर एक बच्चे का रियल हीरो उसका पिता होता है, उससे बडकर दुनिया में उसका कोई भी नही होता है। और बच्चे मन के सच्चे होते है, उनकी आवाज को तो भगवान को भी सुनना होता है।

!!धन्यवाद!!




 

बुधवार, 11 अक्टूबर 2023

BUDDHI, BHAKTI AUR SHAKTI KI KAHANI/ बुद्धी, भक्ती और शक्ति की कहानी

दोस्तो यह कहानी हर एक इंसान को पता है। फिर भी मैं इसे लिख रहा हूं, यह कहानी है , भगवान शिव के परिवार की। देवो में सभी को एक बात का प्रश्न पड़ा की हम में से प्रथम पूज्य कोन है और किसकी पूजा प्रथम होनी चाहिए , सभी देवो को ऐसा लग रहा था की मै प्रथम पूज्य हु , मैं संसार को चलता हु, सब में अहंकार आ गया था , सभी देव भगवान शिव के पास आए और हम में से प्रथम पूज्य कोन है इसका फैसला किया जाय । सभी देव लोग अपने अपने विचार रखने लगे , इंद्र बोले मैं हु, वरुण बोले मैं हु, सूर्य बोले मैं हु, सभी ने अपनी अपनी बात रखी , यह सुनकर महादेव बोले, हम एक प्रतियोगिता रखेंगे जो जीत जायेगा उसे प्रथम पूज्य का मान प्राप्त होगा । सभी उत्सुक थे की प्रतियोगिता क्या होगी तभी भगवान शिव बोले की इस पृथ्वी की इस संसार की ,तीन पर परिक्रमा लगानी है जो भी प्रथम आयेगा वह प्रथम पूज्य देव होगा , कल सुबह इसकी शुरवात होगी तुम सब तयारी को लग जावो , सभी अपने अपने वाहन को प्रतियोगिता जितने के लिए तयार करने लगे। अगली सुबह प्रतियोगिता शुरू हो गई, सभी अपने वाहन पे बैठकर दौड़ने लगे, पर इनमे गणेश जी का वाहन जो की एक चूहा था , वह इतनी तेजी से दौड़ नही पा रहा था , ऐसा लग रहा था की वह हार जायेंगे , फिर गणेश जी को अपनी पिता की कही बात याद आई, की मां और पिता ही एक संतान का संसार होता है पृथ्वी होती है , इनकी पूजा और परिक्रमा करना मतलब संसार की पूजा और परिक्रमा करना। गणेश जी अपने वाहन चूहे पे से उतरकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की और तीन बार उनकी परिक्रमा की , यह देख भगवान शिव अति प्रसन्न हुए, और बोले तुम इस प्रतियोगिता में प्रथम आए , तुमने हमारी पूजा और परिक्रमा लगाई इसका मतलब तुमने पूरे संसार की परिक्रमा लगाई ।उसके बाद सबसे पहिले कार्तिकेय आए उसके बाद अन्य देव, भगवान शिव ने उन्हें समझा के बताया की गणेश कैसे प्रथम पूज्य हुवे। सभी ने भगवान गणेश जी को अभिनंदन करते कहा की तुम्हारी भक्ति शक्ति और बुद्धि ने तुम्हे इस प्रथम पूज्य का स्थान दिया।

इस कहानी का बोध। हम शरीर से कितने भी विकलांग क्यू न हो, अगर हमारे पास बुद्धि ज्ञान हो तो हम किसी भी चीज को हासिल कर सकते है , जैसे गणेश जी ने किया उनका वाहन बहुत ही धीमे गति से चल रहा था। फिर भी अपने बुद्धि और भक्ति से आज वह प्रथम पूज्य बने।
!!धन्यवाद!!


सोमवार, 9 अक्टूबर 2023

EK PATHAR KI KAHANI/एक पत्थर की कहानी

 एक पत्थर की कहानी। एक दिन एक तूफान आया उस तूफान  में पेड़ पौधे उड़ रहे थे , जमीन के ऊपर से हर वो एक चीज जो हल्की थी वह भी उड़ रही थी। फिर तेज हवा के चलते जंगल में आग भी लग गई, पेड़ पौधे जलने लगे , पर उनके बीच एक पत्थर को कुछ भी नहीं हुवा, यह देख पत्थर को घमेंड होने लगा , उसे अपने भार और मजबूती पे बहुत ही ज्यादा घमेंड हुवा , वह उन सभी पेड़ पौधे को देख कर बोल रहा था की देखी मेरी ताकत मेरा वजन मेरी मजबूती, वह पत्थर उनपे हसने लगा, तभी एक पेड़ ने उसे कहा की ज्यादा घमेंड करना अच्छी बात नहीं है । इसी घमेंड के कारण एक दिन तुम्हे पछतावा होगा, कई दिन बीत गए, एक दिन जोर से बरसात आई , चारो तरफ पानी भरने लगा , पेड़ पौधे गा रहे थे झूम रहे थे,पर पत्थर रो रहा था क्यो की पानी बड रहा था और वह अपने मजबूत और भार के कारण डूब रहा था , देखतेही देखते पत्थर पूरी तरह से डूब गया । अब उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा । देख ते ही देखते पत्थर डुबके मार गया। 

इस कहानी का बोध। दोस्तो पत्थर कितना भी बजबूत और वजनदार क्यों न हो , पर जब उसका सामना नदी से होता है तो वह डूब जाता हैं। इसीलिए कभी भी किसी भी चीज का घमेंड नही करना चाहिए, सबको साथ लेके चलना चाहिए, सबका साथ सबका विकास इसी में है।

!!धन्यवाद!!



EK CHIDIYA AUR CHIDE KI KAHANI/ एक चिड़िया और चीडे की कहानी।

 एक चिड़िया और चौड़े में प्रेम हो गया, दोनो ने सोचा की अब हमे शादी कर लेनी चाहिए, दोनो ने शादी कर दी अब वह दोनो एक साथ रहने लगे, चिड़िया ने ...