गुरुवार, 30 नवंबर 2023

BHAGVAN SHRI KRISHNA AUR UTANG RISHI KI KAHANI / भगवान श्री कृष्ण और उतंग ऋषी की कहानी।

  यह कहानी  महाभारत के युद्ध के बाद की है, भगवान श्री कृष्ण जब युद्ध समाप्त होने के बाद जब वह वृंदावन के लिए निकले तब एक घने जंगल में , बदलो के गरजने जैसी आवाज आ रही थी, श्री कृष्ण ने अपने सारथी से कहा की यह आवाज  एक महान तपस्वी के तप का ब्रभाव की है, रथ को उसी दिशा में ले चलो जहा से ये आवाज आ रही है, उनके दर्शन करके जायेंगे, वह दोनो तपस्वी के पास गए , श्री कृष्ण उनके दर्शन करने के लिए रथ से उतरे, तभी उतंग ऋषि ने अपने आंखे खोली और उर उनके मन को विचलित करने वाला प्रश्न किया की महाभारत का युद्ध नही हुवा न , कौरव और पांडव के बीच संबंध अब ठीक हुवे न, एक सांस में उतुंग ऋषि ने कही प्रश्न किए, उसपे भगवान श्री कृष्ण ने कहा की युद्ध हुआ और बड़ा ही भीषण युद्ध हुआ करोड़ों की संख्या में लोग मरे, केवल १० लोग बचे, इससे उतंग ऋषि क्रोधित हुए और श्री कृष्ण से कहा तुम्हारे होते हुवे इतना भीषण युद्ध कैसे हूवा, तुम चाहते तो इसे रोक सकते थे पर तुमने इसको होने दिया, इतनी बड़ी जीव हानि हुई, और तुम चुपचाप देखते रहे , इसीलिए मैं तुम्हे श्राप देता हु। इससे भगवान श्री कृष्ण बोले की रुको मेरी बात सुनो यह केवल युद्ध नही था यह युद्ध धर्म और अधर्म का युद्ध था , अगर ये युद्ध नही होता तो पृथी पर अराजकता फैल जाती, स्त्री यों पर अत्याचार होता, साधु संत को कोई पूजता नही , पशु पक्षी के ऊपर अन्याय होता उनकी हत्या हो जाती , चारो तरफ अन्याय अत्याचार होता अधर्म बढ़ता जाता, इसे रोकने के लिए यह युद्ध अनिवार्य था। मेरे इस अवतार को पहचानो, मुझे पहचानो मैं ही ब्रह्म हूं मैं ही महादेव मैं सारे भूतो में हू, मैं ही नारायण, मैं ही इंद्र मैं धर्म की स्थापना करने के लिए इस धरती पर अवतार लेता हु और अधर्म को मिटाकर धर्म की स्थापना करता हु। मैं काल से परे हूं, मुझे किसी भी प्रकार का श्राप नही लगता , मैं किसी के वश में नहीं आता , मुझसे ही यह संसार चलता है, मुझसे ही तुम्हारी तपस्या सफल होती है, मुझसे ही तुम्हारा श्राप सच सिद्ध होता है, अगर तुमने मुझे शर्म दिया तो जो शक्ति तुमने तप से अर्जित की है वह नष्ट हो जाएगी , तुम्हारा तपोबल शून्य हो जायेगा, यह सुनकर उतंग ऋषि ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी और अपने विराट दर्शन के लिए प्रार्थना की, भगवान श्री कृष्ण ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें अपने विराट रूप के दर्शन दिए।

इस कहानी का बोध। कौरव की ताकत पांडव के मुताबिक बहुत ज्यादा थी, बहुत ही पराक्रमी योद्धा लाखो की सेना थी, और पांडव के पास केवल भगवान श्री कृष्ण थे। केवल भगवान का साथ होने से पांडवो की जीत हो गई, क्यों की पांडवोके कर्म अच्छे थे, और वे धर्म के पक्ष में थे, इसीलिए पांडव जीत गए। हमारा जीवन भी महाभारत के युद्ध जैसा है , अगर हमारा कर्म और हम धर्म को अच्छा और सच्चा रखे तो हमे बड़ी से बड़ी ताकत नही गिरा सकेगी, हम हर मुसीबत में डट के खड़े रह पाएंगे। और कठिनाई असानिसे हल हो जाएगी।

!!धन्यवाद!!



शुक्रवार, 24 नवंबर 2023

DO DOSTO KI KAHANI/ DO दोस्तों की कहानी।

 एक गांव में दो दोस्त रहते थे, वह दोनो बहुत ही गरीब थे उन दोनो ने सोचा क्यों न हम शहर जाकर पैसे कमाए और कुछ अच्छा बिजनेस करे, दोनो ही परिवार की सम्मति से शहर आए, जो भी काम मिला उसे करने लगे , और कुछ नया करने के लिए पैसे इकट्ठा करते लगे , कुछ सालों में ही उनके पास बहुत सारे पैसे जमा हो गए , उन्होंने उस पैसों से अपना खुदका एक बिजनेस शुरू किया , कुछ महीनो मे बिजनेस बड़ा हुवा और उन्हे बहुत फायदा भी हुवा, यह देख एक दोस्त के मन में लालच उत्पन्न हुई, उसने सोचा की अगर मैं इसे मार दु तो यह पूरा बिजनेस मेरा हो जायेगा और मैं पूरा मालिक बन जावुगा, ऐसा सोच कर उसने अपने दूसरे दोस्त को एक्सीडेंट करके मार डाला, सबलोगो ऐसा लगा की यह एक्सीडेंट में मारा गया । फिर वह पहिला दोस्त अब पूरे बिजनेस का अकेला मालिक बना , कुछ महीनो बाद उसकी शादी हो गई, और एक साल में उसे एक बच्चा भी हुवा, बच्चा ३ साल का होने के बाद उसे कुछ बीमारी हो गई, कही महीने वह उस बीमारी का इलाज करने लगा , दो तीन साल बीत गए, पर बच्चा का इलाज नहीं हो पाया, उसके इलाज के लिए उसका पूरा पैसा लग गया , और उसे अपने बच्चे के इलाज के लिए अपना बिजनेस भी बेचना पड़ा, अब वह पहिले जैसा गरीब हो गया , उसका घर , पैसा ,बिजनेस सब चला गया , उसकी हालत भिकारी से बत्तर हो गई। डॉक्टर ने कहा ये बच्चा अब कुछ दिनों में मार जायेगा , ज्यादा से ज्यादा दो या तीन दिन तक जिंदा रहेगा, अखरी दिनों में उसका पिताजी उसके पास बैठा , और अपने बच्चे को देख कर रोने लगा, बच्चे ने आंखे खोली और कहा की अब तुम क्यों रोते हो ये तो होना ही था, मुझे पहचानो मैं तुम्हारा वही दोस्त हू जिसको तुमने एक्सीडेंट में मरवा डाला था, मैं बदला लेने फिर तुम्हारे घर में जन्म लिया , में तुमको वापस उसी हालत में लाया , जहासे हमने शुरवात की थी। अब तुम कभी भी अमीर नही बन पवोगे। इतना बोल के वह बच्चा मर गया। उस दोस्त को बड़ा पछतावा हुवा और वो पागल बन गया और इधर उधर भटक ने लगा ।

इस कहानी का बोध। कर्म सिद्धांत को कोई भी नही बदल सकता है। तुम जितनी तकलीफ दूसरो के लिए खड़ी करोगे उससे कई गुना तकलीफ तुम्हे आने वाले समय में मिलेगी। इसीलिए एक दूसरे की मदत करो किसका सहारा बनो, फिर तुम्हे किसीभी तरह की तकलीफ नहीं होगी, और आने वाली परेशानी और तकलीफ आपका कुछ भी बिगाड़ेगी नही, इसीलिए अपने कर्म को अच्छा बनाए रखे। 

!!धन्यवाद!!



सोमवार, 20 नवंबर 2023

EK VYAPARI AUR MACHVARE KI KAHANI/एक व्यापारी और मछुवारे की कहानी।

 एक व्यापारी का मछली बेचने का धंधा था , और उसके बगल में ही एक मच्छी बेचने वाला रहता था, वह बहुत गरीब था मछली बेचके अपना गुजारा करता था, वह उस व्यापारी से जलता भी था, एक दिन व्यापारी का बेटा बीमार पड़ गया , उसके इलाज का खर्च बहुत ज्यादा था , अपने बच्चे के इलाज के लिए उसे अपना घर , अपना मछली का धंधा बेचना पड़ा , वह बहुत ही गरीब हुवा, यह देख उसके बगल वाला जो मछुवारा था वह हसने लगा , और मन ही मन में बोला , इसको भगवान ने अच्छा सबक सिखाया कितना उड़ रहा था, अब गरीब क्या होता है समझ आये गा, वह व्यापारी अब ऊस मछुवारे के जैसा मछली पकडके सड़क पर बेचने लगा, और अपना गुजारा करने लगा, एक दिन दोनो मछुवारे को बहुत ही ज्यादा और अच्छी मछली मिली , दोनो ने उसे बेच के बहुत पैसा कमाया , पाहिला मछुवारा जो गरीब था , उसने उस पैसों से अच्छे कपड़े खरीदे, बीवी बच्चे के लिए नए कपड़े खरीदे , अच्छा खाना खाया बाहर जाकर , कुछ पैसों से दारू पी लिया, और इस तरह उसने सारे पैसे अपने ऐश और आराम में उड़ा दिए, पर जो दूसरा मछुवारा जो व्यापारी था , उसने कुछ थोड़े पैसे घर पे खर्च किए, जिसकी घरपे अत्याधिक जरूरत थी वही खर्च किए , और बाकी पैसों से , मछली पकड़ने के लिए पैसे देके मछुवारे रखे , और खुद भी मछली पकड़ने लगा , ऐसा कर के उसने कुछ दिनों में ही , वापस पहिले जैसा बड़ा मछली का व्यापारी बना, और बहुत अमीर भी। और जो मछुवारा था वह गरीब के गरीब ही रह गया।

इस कहानी का बोध। हम जोभी जमाते है उसका कुछ हिस्सा अगर हम हमारे धन की वृद्धि में लगाते है , ऐसा करने से हम जल्दी ही अमीर बन जाते है। फिर हम हमारे सारे शौक पूरे कर सकते है। इसके लिए संयम और हिम्मत , मेहनत बहुत जरूरी है।

!! धन्यवाद!!



सोमवार, 13 नवंबर 2023

EK KISAN AUR USAKE CHOR BETE KI KAHANI/एक किसान और उसके चोर बेटे की कहानी।

 एक बूढ़ा किसान था , उसका एक जवान बेटा था। दोनो मिलके खेती करके अपना , गुजारा करते थे। फसल अच्छी होने के कारण आजू बाजू के गांव वाले जलने लगे , एक दिन किसान के बेटे को चोरी के मामले में किसी एक गांव वाले ने फसा दिया उन्होंने पोलिस को कंप्लेन की, पोलिस ने उसे पकड़े के जेल ले गए, चोरी साबित हुई और उस बेकसूर लड़के को कई सालो की सजा हो गई। किसान बूढ़ा होने के कारण खेती नही कर सकता था, जो कुछ उसके पास जमा किया गया था , अब सब खत्म होने लगा , बेटा भी कब जेल से छूटेगा उसे समझ नहीं आ रहा था। उसने अपने बेटे को खत लिखा और कहा, मुजमे अब खेती करने की ताकत नहीं बची, मैं हल नही जोत सकूंगा, मैं तुम्हारी राह कब तक देखू,  अपनी राय दो नही तो मुझे ये खेत बेचना पड़ेगा , तभी मेरा गुजारा होगा। बेटे ने जेल में खत पड़ते ही , पिताजी को जवाब में लिखा की मैने चोरी का धन खेत में गाड़ दिया है। तुम उसे निकलो और अपना गुजारा करो। ऐसा पत्र लिखके उसने दरोगा को दे दिया, दरोगा ने पत्र खोला और पड़ा तो उनको आंके चौक गई, उन्होंने तुरंत सभी पोलिस को लेके खेत उखड़ने लगे , चारो तरफ हल चलाने लगे चोरी का सामान डूंडने के लिए, पर उन्हे कुछ नही मिल पाया। वह खाली हात लौट गई पर पूरा खेत कुछ ही दिनों में खेती के लिए तयार हो गया। बेटे ने फिर एक खत अपने पिताजी को लिख दिया। की, खेत की खुदाई अच्छे से हो गई है, आप अब बीज बो सकते है। पिताजी को लगा की पोलिस वालो ने हमारी मदत को , पिताजी ने बीज बोए और कुछ महीनो बाद फसल बहुत अच्छी हो गई , उस किसान को कई गुना मुनाफा हो गया , वह बहुत खुश हुआ। और गांव वाले फिर से दुखी हुए। पोलिस वालो ने भी उस बेटे की होशहरी की दाद दी गई, और उसे बेगुनाह छोड़ दिया।

इस कहानी का बोध। की काम हमारे बुद्धि से जीवन मैं आए हुवे है हर एक तकलीफ का सामान कर सकते है, हम मिलो दूर से भी अपने बुद्धि से किसी को भी मदत कर सकते है। 

!! धन्यवाद !! 



गुरुवार, 9 नवंबर 2023

EK HIRE KI KAHANI/ एक हीरे की कहानी।

 एक दिन एक महल में एक मां अपने बच्चे के साथ वहा महल की साफ सफाई करने रोज जाति थी, एक दिन उसके बच्चे को एक हीरा मिला , उसने तुरंत अपने मां को बताया , मां ने देखा की यह तो एक हीरा है। उसने अपने बच्चे से कहा यह तो एक कांच का टुकड़ा है, ऐसे कहकर  उस हीरे को बाहर फेंक दिया। और घर जाते समय उसे वहा से उठा लिया, फिर उसने एक सोनार को वह हीरा दिखाया और कहा जरा इसकी कीमत तो बताइए , उस सोनार ने देख कर कहा , यह तो एक कांच का टुकड़ा है, ऐसा कहकर उसे बाहर फेंक दिया, उन मां और बच्चे को भी वह कांच का टुकड़ा लगा, वह वापस घर जाते देखकर उस सोनार ने वह हीरा उठा लिया , और अगले ही दिन वह हीरा लेके वो एक जोहरी के पास गया और कहा की जरा इसकी कीमत तो बताइए, जोहरी ने हीरे को ध्यान से देखा और मन ही मन सोचा यह तो एक नायाब और बैश कीमती हीरा मालूम होता है, उसने उस सोनार को कहा अरे ये तो एक कांच का टुकड़ा है, और बाहर फेंक दिया , हीरा जैसे ही बाहर फेंका वैसे ही टूट के बिखर गया। यह सब घटना एक आदमी देख रहा था, उसने हीरे के पास आके कहा , तुम तो इतने मजबूत हो की तुम कैसे टूट गए , तब हीरे ने उस आदमी को कहा , वह औरत और बच्चा मेरी कीमत नही जानते थे, पर यह जोहरी तो मेरी कीमत जनता था, उसने मेरी कीमत जान के भी मुझे बाहर फेंक दिया, इसीलिए मैं टूटके बिखर गया।

इस कहानी का बोध। कभी कभी हमारे जीवन में भी ऐसी घटना घटती है, की हमारा टैलेंट, हुनर ,को लोग नजर अंदाज करते है, हमारी कीमत नही करते , फिर वह लोग जीवन मैं आगे नहीं बढ़ते , निराश और हताश हो जाते है। हमे एक दूसरे का हुनर और टैलेंट समझ कर उसे उत्साहित और मोटीवेट करना चाहिए, उनका मनोबल बड़ाना चाहिए, तभी हर एक इंसान जीवन में कामयाब और तरक्की करेगा।



!! धन्यवाद!!

रविवार, 5 नवंबर 2023

DO BHAI KI KAHANI/दो भाई की कहाणी।

 एक दिन दो भाई एक साथ समुंदर के किनारे घुमने गये, उतने  में बड़े भाई और छोटे भाई में झगड़ा हुआ, बड़े भाई ने छोटे भाई को एक थप्पड़ मारा, छोटे भाई ने गुस्से में रेत पर लिख दिया की मेरे बड़े भाई ने मुझे मारा, कुछ दिनों बाद दोनो भाई नदी किनारे घूमाने गए , घूमते घूमते उन्होंने सोचा की क्यों न हम इस नदी में नहाले , दोनो जन नदी किनारे नहाने लगे, इतने में छोटे भाई का पैर फिसला और वह पानी में डूबने लगा , बड़े भाई ने वह देख झट से अपने छोटे भाई को बचा लिया , उसे नदी के बाहर लेके आया उसे पूछताछ की , कही तुम्हे चोट तो नही आई, तुम ठीक तो हो , छोटा भाई बोला , तुम साथ हो तो मुझे किसका डर लग सकता है। उतने में छोटे भाई ने पत्थर पे यह लिखा की मेरे बड़े भाई ने आज मेरी जान बचाई , यह देख बड़ा भाई उसे कहने लगा की, उस दिन समुंदर किनारे जब हम घूमने गए और मैंने तुम्हे थप्पड़ मारा था , तब तुमने रेत पे लिखा था , की मेरे बड़े भाई ने मुझे मारा , फिर तुमने आज पत्थर पे क्यों लिखा , इसपे छोटा भाई विवेक पूर्ण उसे बताया कि , रेत पे लिखने से वह कुछ दिनों में मिट जायेगा , और हम भी उसे भूल जाएंगे, और पत्थर पे लिखी यह कभी नहीं मिटेगी , और यह हमेशा याद रहेगी की मुझे मेरे बड़े भाई ने मरते मरते बचाया ,ऐसी चीज अपने पास क्यों रखे जिसे रिश्ते में दरार आए, उसे मिटा देना ही अच्छा है। इससे बड़ा भाई को रिश्ते की कीमत अपने छोटे भाई से मालूम हो गई, इसके बाद दोनो भी हंसते हंसते घर गए।

इस कहानी का बोध। हम जीवन में नेगेटिव चीजे और यादें रखेंगे तो लाइफ बहुत खराब हो जाती है। और ऐसे में अच्छे रिश्ते में दरार आ जाती है। इसीलिए रिश्तों को संभालना बहुत ही जरूरी है। क्या पता किस वक्त कोन मुसीबत में काम आ जाए।

!!धन्यवाद!!



गुरुवार, 2 नवंबर 2023

EK PATI AUR PATNI KI KAHANI/एक पति और पत्नी की कहानी।

 एक दिन एक पति पत्नी साथ एक चिडिया घर में घूमने गए। वहा उन्हे बहुत सारे पक्षी , तरह तरह के फूल दिखे, यह सब देखते देखते वहा बंदर का बड़ा सा बगीचा जैसा घर था , वहा एक बंदर का जोड़ा , बड़े प्यार से खेल रहे थे, यह देख पत्नी अपने पति से बोली की देखो ये  बंदर का जोड़ा कितना खुश है, और कितने प्यार से खेल रहे है। लाइफ होती ऐसी, कोई झगड़ा नहीं न ही कोई डिमांड, मस्त होकर जी रहे है। उसपे पति कुछ भी नही बोला चुप रहा, फिर वह आगे गए उन्हे , एक शेर का पिंजरा दिखा , वहा शेर और शेरनी साथ साथ बाजू में बैठे थे। उन्हे देखके पत्नी बोली , ये कितने उदास बैठे है, शेर और शेरनी एक दूसरे के बाजू मे तो बैठे है पर इन दोनों में प्यार नही दिख रहा है, शेर और शेरनी एक दूसरे के तरफ देख भी नही रहे है। ये दोनो ऐसे बैठे है , जैसे बाजू में कोई बैठा ही नही, अकेले से लग रहे है। पत्नी पति से पूछ रही है ,ऐसा क्यों बैठे है ये दोनो, इससे पति ने कुछ न कहते हुवे कहा, ये पत्थर लेलो और शेरनी के तरफ फेको, पत्नी ने पत्थर लिया और शेरनी के तरफ फेंका , जैसे ही पत्थर शेरनी के तरफ फेंका , शेर गुस्से में उठके दहाड़ने लगा, दौड़के पत्नी के पास आया , यह देख पत्नी डर गई , पर शेरनी वही बैठी रही, जैसे कुछ हुवा ही नही। इसपे पति बोला , इनमें प्यार तुम्हे नजर नही आया पर एक दूसरे के खातिर विश्वास और सुरक्षा तो नजर आई ना, इसे कहते सच्ची मोहब्बत , सच्चा प्यार। अब हम बंदर के पास चलते है, फिर से पति ने अपनी पत्नी को एक पत्थर दिया और कहा, की इसे तुम बंदरिया के तरफ फेंको, जैसे ही पत्नी ने पत्थर बंदरिया के तरफ फेंका , वह देख बंदर झाड़ पे तुरंत अपनी जान बचाके चढ़ गया। इससे पति बोला यह खाली दिखावे वाला प्यार है, इसे खोखला प्यार कहते है, साथ खेल रहे है हस रहे है, इसका मतलब प्यार और सुरक्षा नही होती, यह दुनिया के सामने एक दिखावा है। जैसे ही खराब और कठिन परिस्थिति आई तो बंदर भाग गया । पत्नी को सारी बात समाज आई । उसे अब अपने पति पे ज्यादा विश्वास और भरोसा हुवा, और कही अधिक प्यार भी बड़ा । पत्नी ने मन ही मन भगवान का शूक्रिय अदा करके , अपने पति का हात , पकड़के चलने लगी।

इस कहानी का बोध। जो पति घर में शांत रहता है, गंभीर रहता है, और जराभी रोमांटिक नही रहता , इसका यह अर्थ नही है की उसे अपनी पत्नी की बच्चो की चिंता नही है। बल्कि उसका पूरा ध्यान और मन पत्नी और बचो में ही लगा रहता है। उनकी खुशी और सुरक्षा के खातिर हमेशा तत्पर रहता है। 

!! धन्यवाद!!



बुधवार, 1 नवंबर 2023

EK GUSSEL LADKE KI KAHANI/एक गुस्सैल लड़के की कहानी।

 एक लड़के को बहुत गुस्सा आता था, वह हर किसी से झगड़ता रहता था, घर मे, स्कूल में , बाहर दोस्तो में, सभी लोग उससे परेशान हो गए थे, हर रोज कोई ना कोई उसकी तकरार लेके घर आता था, घर के सभी लोग परेशान हो गए थे, एक दिन उसके पिताजी ने उसे समझाया की इतना गुस्सा ठीक नही है, ना ही तेरे सेहत को नही घर में नही बहार, इतना गुस्सा करने से समाज तुझे अपनाए गा नही, कोई तेरा दोस्त नही बनेगा , जरूरत के समय तुझे कोई मदत नही करेगा, तू ये अपना गुस्सा कम कर दे , उसपे वह बच्चा बोला की मैं क्या करू मुझे गुस्सा ज्यादा आता है, मैं इसे कैसे कम करू आप ही बताए। उसपर उसके पिताजी ने उसे किल की भरी एक थैली दी, और अपने पुराने स्टोर रूम में ले गया , और कहा , जब भी तुम्हे गुस्सा आए तो इस दरवाजे में एक किल ठोक देना , दिन भर में जितनी बार तुझे गुस्सा आए उतनी किल इस दरवाजे में ठोक देना, बच्चे ने पिताजी की बात सुनाली , दिन भर उसे किसी न किसी पे गुस्सा आता ही था , वह घर आके दरवाजे को किल ठोकता जाता, ऐसा रोज करने लगा, धीरे धीरे उसका गुस्सा कम होते गया , अब दिन भर में वह ३ या ४ बार गुस्सा होता, तो दरवाजे पे चार किल ठोकता , ऐसा करते करते वह एक किल पे आ गया, कुछ दिनों बाद वह दिन भर में एक बार भी गुस्सा नही हुवा, उसके ऐसे बर्ताव से सभी प्रभावित हुए, उसे अपनाने लगे , उसे लोगो का घर पर बहुत प्यार मिला , वह बहुत खुश हुवा, उसने अपने पिताजी से कहा की मेरा गुस्सा पूरी तरह खत्म हो गया, यह सुनकर पिताजी खुश हुवे, उसने अपने बच्चे को लेकर फिर से इस स्टोर रूम के दरवाजे के पास ले गया , और उसने दिखाया की इतना बड़ा दरवाजा पूरी तरह से किल से भर गया। उसके पिताजी ने फिर उसे एक चीज करने को कहा, जब भी तुम किसी से अच्छा बर्ताव या मदत करोगे तो तुम इस दरवाजे से किल निकालना , उसने पिताजी की बात मन ली, वह रोज अच्छा बर्ताव और कुछ न कुछ अच्छा करता रहा, घर में मां की काम में मदत करता रहता, ऐसा रोज करता , और रोज वह इस दरवाजे पे लगे किल निकलता , कुछ दिनों बाद दरवाजे के सभी किल निकल गए , और उसके अंदर अब बहुत बड़ा बदलाव भी आया था, वह अपने पिताजी को उस स्टोर रूम के दरवाजे के तरफ ले गया और कहा, मैंने इसके सभी किल निकल दिए , मैं अब पूरी तरह से बदल गया हूं, पिताजी ने कहा बहुत अच्छा । पर तुम इस दरवाजे तरफ देखो , तुम्हारे गुस्से ने इस दरवाजे की क्या हालत करदी, इसमें कितने सारे छेद कर दिए, यह दरवाजा बहुत ही मजबूत और बहुत ही पुराना था , पर तुम्हारे गुस्से के किल ने इसे खराब कर दिया , इसमें हजारों छेद हुए है, अब ये किसी काम का न रहा, और ऐसा दूसरा दरवाजा भी बाजार में नही मिलेगा , उसके पिताजी ने कहा , की हमारा गुस्सा भी ऐसा ही है, न जाने हम कितने दिलो में गुस्से की किल चुभोते है, और वह फिर हमसे दूर चले जाते है। इसीलिए बेटा गुस्सा कभी भी नही करना , जो जैसा करेगा वह वैसा भरेगा । तुम प्यार से सभी को जीत सकते हो पर गुस्से से नही। यह सुनकर बच्चे ने अपने पिताजी से क्षमा मांगी और वे दोनो हंसते हंसते घर लौट गए।

इस कहानी का बोध। गुस्सा बहुत हानिकारक है। गुस्से से हम किसी को जीत नही सकते, हमारा अहंकार ही गुस्सा बनकर बाहर आता है। गुस्से से हम अपनो से बिछड़ सकते है।



EK CHIDIYA AUR CHIDE KI KAHANI/ एक चिड़िया और चीडे की कहानी।

 एक चिड़िया और चौड़े में प्रेम हो गया, दोनो ने सोचा की अब हमे शादी कर लेनी चाहिए, दोनो ने शादी कर दी अब वह दोनो एक साथ रहने लगे, चिड़िया ने ...