एक कौवे की कहानी। एक झाड पर एक कौवे का घोसला था। और उस कोवे ने अपने घोसले मे चार अंडे दीये हुवे थे।जब भी वो खाने के तलाश मे जाता था तभी घोसले मे सांप आकर उसका एक अंडा खागया . कौवा जब घोसले मे आया उसने देखा की चार अंडे मे से केवल तिन अंडे बचे है। उसको समझ मे नही आराहा था की एक अंडा गया कीदर।सोचते सोचते रात निकल गई सुबह हो गई, दिन नीकल आया कौवे को बहुत जोर से भुक लगी थी . वह फिर खाने के तलाश मे नीकल गया . फीर से वही सांप आया और उसका और एक अंडा खा गया . फीर कौवे ने देखा की अब तो तीन मे से केवल दोही रह गये . उसको समझ नही आरहा था की कौन मेरे अंडे खा रहा है. दुसरे दीन फीर कोवा खाने के तलाश मे चला गया . जब वह अपने घोसले के नजदीक आया तो उसने देखा का सांप अंडा खाके जारहा है. कौवा बहुत परेशान हुवा . अब उसके पास केवल एक ही अंडा बचा। वह दिलो जान से उसे संभाल रहा था . फीर सांप आया उसक आखरी अंडा खाने को . कौवा पूरी ताकत लगाकर असे रोक रहा था पर सांप बहुत ही बडा था . उसने कौवे को हराके आखरी अंडा भी खा गया यह देख कोवा बहुत ही हाताश और दुखी हुवा . उसने सांप को सबक सिखाने की ठान ली . एक दोन कोवा उडते उडते राज महल पहुचा . वहा देखा तो महारणी अपने सेवीका के संग स्नान कर रही थी . और उसने अपने कीमती अभुशन निकालके राखे थे . कौवे ने यह देखा और उससे से एक बेहत किमती हार अपने चोच मे उठाया और उडने लगा . महारणी ने तुरत अपने सैनीकोको आदेश दिया की उस कोवे को पकडो और मेरा हार लेके आओ . सैनीक कोवे के पीछे भागे कोवे ने वह हार साप के बील मे डाल दिया और पेड पे जा के बैठ गया सैनीक सांप का बील तोडने लगे उतने मे बील मे से साप बाहर आया . सैनिको ने देखते ही साप को मार डाला, और महाराणी का हार ले गये। कौवे ने अपने अंडो का बदला इस तरह से लिया।
इस कहानी का बोध :- इस कहानी से हमे यह सिख मिलती हैं।अगर आप अपने ताकत से शक्ति से किसी को हरा नही सकते तो आप अपने बुद्धि का उपयोग करके उसे हरा सकते है। और एक उदाहरण देते हुए, अगर आप शारीरिक रूप से कमजोर है। विकलांग है , तभी भी आप अपने बुद्धि और ज्ञान के साथ आप आगे बड़ सकते है, पड़ लिख के आप अच्छी नौकरी अच्छा पद हासिल कर सकते है। फिर आप को कोई भी शारीरिक विकलांग और अशक्त नही कह सकेगा।
!!धन्यवाद!!
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