मंगलवार, 29 अगस्त 2023

EK SMRAT KI KAHANI/ एक सम्राट की कहानी.

 एक सम्राट की कहानी , एक दीन एक सम्राट अपने बगीचे मे वीहार करते समय उसके पेर मे कांटा चुब गया राजा ने तुरंत राज्य के सभी विद्वानो को दरबार मे बुलाया और कहा, की पेरे पेर मे कांट चुब गया. मेरे पैरो मे दुबारा कांटा न चुबे ऐसा कोई उपाय निकालो . तो उसमे से किसी एक ने कहां क्यु न हम सभी पृथ्वी के उपर चमडे से ढक दे ऐसा करने से राजा के पैर मे कांटा नही चुबेगा , तभी कोसी ने कहां की ' डोसा करने केलीये बहुत सारा चमडा लगेगा और अगर सारी पृथ्वी को ढक दी तो किसान खेती कैसे करेंगे पृथ्वी पर पेड पौधे कैसे उगंगे . सभी पशू पक्षी का जीवन नष्ट हो जायेगा , फीर राजा ने कहा कोई दुसरा उपाय निकालो . तो उसमे से किसी एक ने कहां क्यु न हम सभी पृथ्वी को  साफ करे ऐसा करने से . सभी कांटे साफ हो जायेंगे . राजा ने सम्मीती दी . सभी लोग चारो तरफ से पृथ्वी को साफ करने लगे, कंकर पथर हटाने लग ' . ऐसा करने से चारो तरफ मीट्टी की धुल उडने लगी सभी जगह से मिट्टी के धुवे का बवंडर उडने लगा , लोगो का सांस लेना मुस्कील पड गया , एक छोटे से कांटे के लीये लोगे के जीवन से खीलवाड करने लगे . सभी लोग राजा के पास आये और राजा से प्राथना की । की आप कैसा न करे . इससे हमार जीवन दुशवार हो गया है . राजाने विद्वानो से कहां,कोई दुसरा उपाय निकालो, फीर कोसेने कहां, की पुरी धरती को पानी से सींच देगें ऐसा करने से पूरी धरती नरम हो जायेगी . उसके उपर राजा चलेगा तो कांटा नही चुबेगा . फीर सभी लोगो ने पुरी पृथ्वी को पानी से सीचने लगे . नदी का बहाव को मोडने लगे . सभी जगह पानी से भर गये . कई सारे खेत पानी के बहाव से बह गये . नदी तलाब सुख गये . कुवे खाली हो गये . मानव का जीवन खतरे मे आगया . भुखमरी और पानी के कमी से न जाने कितनी जाने गई ,सभी लोग फीर से राजा के दरबार मे आये . और कहां आप ने  मानव जीवन खतरे मे डाला . कृपया हमे जीने दो . और आप कोई दुसरा उपाय निकालो . फीर से राजा ने सारे पृथ्वी के वीद्वानो को बुलाया और कोई दुसरा उपाय निकालने के लीये कहां . तभी उन लाखो लोगो के बीच एक गरीब व्यक्ती सामने आया उस ने राजा को एक वस्तु भेट दी, और कहां इसे आप अपने पैरो मे पेहनीये इससे आपको कभी भी कांटा नही चुबेगा . यह देख राजा हैरान हूवा और उसे पेहनते ही उसे अपने पेरो की सुरक्षा का एहसास हुवा . वहां उपस्थीत सभी विद्वान देखत ही रह गए  राजा ने उसकी प्रशांशा की और उसे धन धान्य से समृद्ध किया .

इस कहानी का बोध:- इस कहानी का बोध य ह है की हर पडा लीखा ईन्सान समझदार नही हो सकता . पडने लिखने से कोई समझदार नहीं हो सकता . समझदारी तो अपने अनुभव से आती है .

!!धन्यवाद!!



गुरुवार, 24 अगस्त 2023

EK NADI AUR KUVAI KI KAHANI/ एक नदी और कुवे की कहानी.

एक नदी और कुवे की कहानी, एक दिन नदी घमेंड में आ कर कुवे से कहा , की तेरी क्या औकात है मेरे सामने तू देख अपने आप को कितना छोटा है , और मुझे देख मेरी लम्बाई देख , इस पर कुवे ने कहा , मैं तुज जैसा भटकता नही , मुजमे ठेहराव है , में शांत और स्थिर हू, तू  उछलती रहती है, तु प्यासे के पास जाती है , पर मेरे पास प्यासा आता है, तू ऊपर से नीचे की और बहती है और समुंदर में मिलके खरी होजती है, अगर कही तेरा बहाना रूक गया तो तुजामे गंदगी समा जाती है , फिर  तू पूरी तरह से गंदी हो जाती है ,फिर तुझे कोई नही पूछता , नही फिर तेरा पानी कोई पिता है , नही तू किसकी प्यास बुझा सकती है , में नीचे से ऊपर की तरफ बहता हु, और मीठा ही रहता हु , लोग मुझसे हजारों वर्षो से मेरे मीठे पानी से अपनी प्यास बुझाते है , यह सुनकर नदी को अपने किए पे पछतावा हुआ, उसने कुवे से क्षमा मांगी, और आगे निकल गई।

यह बहुत ही छोटी कहानी है, पर इसका अर्थ बहुत ही गहरा है।

इस कहानी का बोध :- हम जब नीचे से ऊपर की और बढ़ते है तब हमे बहुत कठनाई का समाना करना पड़ता है, पर जब हम सफल होते है तब हम आरो के बारे में भी सोचते है, नीचे से ऊपर को आने के वजह से हम , हर एक इंसान की जरूरत , और उस इन्सान की मजबूरी को जानते है , और फिर हम कुवे के जैसा मीठा होके हर एक जरूरतमंद को प्यास बुझाते है।

!!धन्यवाद!!



सोमवार, 21 अगस्त 2023

EK KAUVE KI KAHANI/एक कौवे की कहानी

एक कौवे की कहानी. एक दिन एक कौवा अपने काले रंग से परेशान होकर , एक महात्मा के पास गया और उसने महात्मा से कहा , भगवन इस काले रंग से मैं परेशान हु , ये भी क्या रंग है, और ये भी क्या जीवन है ,लोग मुजमे अपने मरे हुवे व्यक्ति को देखते है , श्राद्ध का खाना खिलाते है, मुझे कोई इंसान प्यार नही करता बाकी के पक्षियों जैसा. कृपया आप मुझे राज हंस  बना दो, महात्मा कौवे से बोले ठीक है , मैं तुझे राजहंस बना दूंगा पर शर्त ये है की, पहिले तू राजहंस से जाके मिल आ, और उसके जीवन के बारे में जान ले , कौवे ने कहा ठीक है , जल्दी ही वो , राज हंस के पास गया और कहा राजहंस मेरे भाई , तू मस्त पानी में तैरता है पता ही नही चलता की तू तैर रहा है या बैठा है , राजा जैसा तेरा स्वभाव उसपे ये तेरा सफेद  रंग , ये सुनके राज हंस ने कहा, क्या खाक सफेद रंग , इंसान मरने बाद सफेद कफन डालते है वैसा लगता है , और सफेद भी कोई अच्छा रंग है, लोग मेरी फोटो खींचते है तो पता ही नही लगता की पानी मैं कहा हु, कौवे ने कहा क्या तू खुश नही है इस रंग से उसने कहा नही , रंग होतो तोते जैसा ,यह सुनकर कौवा वापस उस महात्मा के पास आया और कहा  ,भगवन मुझे आप तोता बनादो, कितना रंग बिरंगी पक्षी है , भगवान ने कहा , ठीक है पर शर्त  ,वही है , तुझे तोते से मिलके उसके जीवन के बारे में जानना होगा , कौवे ने कहा ठीक है, जंगल में वह तोते को मिलने गया, तोते को मिलने के बाद कौवे ने कहा, तोता मेरे भाई, क्या मस्त  तेरा रंग उसपे लाल तेरी चोंच, लोग तुझे प्यार करते है, तुझे अपने पास रखते है, यह सुनकर , तोता बोला , क्या खाक हरा रंग , तू चार बार इसी पेड़ के ऊपर से चक्कर लगाया , उसके बाद मैं तुझे नजर आया , इस हरे रंग के वजह से मै पेडो पे बैठा हु या नही पता ही नही चलता , और मैं जो दिख गया तो इंसान लोग मुझे पकड़के पिंजरे में बंद करते है ,में उड़ न सकू इसीलिए मेरे पंख काट देते है, ये भी क्या जीवन है , कौवे ने तोते से कहा की तू खुश नही है , तोते ने कहा नही मै खुश नही हू, काश मैं मोर होता , सबका राजा होता , कौवे ने सोचा क्यू न मै मोर बनु, वह कौवा फिर से उस महात्मा , के पास आया और कहा तोता भी उसके जीवन से खुश नही कृपया आप मुझे मोर बनादो, उस महात्मा ने कहा , बना दूंगा पर शर्त वही है , फिर कौवा जंगल में जाके मोर से मिला , और कहा मोर भाई , जीवन होते आप के जैसा , तुम सभी पक्षी यो के राजा हो  , लोग तुम्हे जानते है , मानते है। बच्चो को स्कूल में तुम्हारे बारे में पढाया जाता हे . लोग तुम्हारा नाच देखने के लिए व्याकुल रहते है, तुम कितने बड़े और तुम्हारा ठाट राजा से भी बडकर है, तुम तो इस जीवन मै सबसे सुखी पक्षी हो, कौवे की इस बात पर मोर बोला क्या खाक सुखी , थोड़े शांत रहो और सुनो , तुम्हे क्या कोई आवाज आ रही है  कौवे ने कहा हा , आरही तो है, मोर ने कहा यह आवाज शिकारी के पैरो की है, वे हमारा शिकार करके , हमारे पंख को बेच के पैसे कमाते है , हमारा जीवन बहुत ही संकट में है, हम कही भी चैन से नहीं बैठ सकते , हमारे मन में हमेशा मरने का डर रहता है, इसीलिए हम एक जगह पर नही रहते , हमारा शरीर बड़ा होने के कारण हम कही चुप कर बैठ भी नही सकते , इस जीवन मे मरने  का डर  सदा बना रहता है ,यह सुनकर कौवा बोला मोर भाई तुम्हारे हिसाब से इस दुनिया मैं सबसे सुखी कौन है , मोर ने कहा , इस दुनिया में सबसे सुखी तुम हो मेरे भाई, कौवे ने कहा कैसे , तुम्हे कोई मरता है , कौवे ने कहा नही, तुम्हे कोई पकड़ के पिंजरे में बंद करता है , कौवा बोला नही , तुम्हारा इंसानों से कुछ लेना देना है,कौवे ने कहा नही, तुम्हे तो लोग अपना पूर्वज मानते है, तुम कितने सुखी हो, जीवन होती तुम्हारे जैसा, यह सुनकर कौवे के आंख में आसू आए , और वो उस महात्मा के पास गया और उनसे क्षमा मांगी. 

इस कहानी का बोध :- जीवन में कभी भी किसी से अपनी तुलना ना करो , क्या पता कोई इंसान अपना जीवन कितनी मुश्किल से जीता होगा , जो ऊपर से तो हस के जिरहा है, पर अंदर से रो रहा होगा , आप जैसे ही वैसे रहो, किसे के लिए अपने आप को मत बदलो , और  कीसेसी अपनी तुलना मत करो। 
!!धन्यवाद!!


शनिवार, 19 अगस्त 2023

GHAS KE PHOOL AUR GULAB KE PHOOL KI KAHANI/ घास के फुल और गुलाब के फुल की कहानी .

 घास के फुल और गुलाब के फुल की कहानी.  घास के फूल जमीन से लगकर इट के सहारे में जी रहे थे , बहुत ही छोटे थे , इटो के आड में जीते थे, सूरज के गर्मी नही लगती थी, बरसात में भी वे सुरक्षित थे ,  तुफानो में वे इटो के सहारे में सुरक्षित रहते थे , वे नैसर्गिक आपदा से पूरी तरह सुरक्षित थे,उन्हे किसी भी आपदा का समाना नही करना पढ़ता था. उनके की बाजुमे गुलाब का फूल था , उसे देखकर घास का फूल अपने साथियों से बोला देखो कितना सुंदर यह फूल है , कितने सारे लोग इसे प्यार करते है , मुझे भी गुलाब का फूल बनाना है , उसके साथी बोले हम जैसे है वैसे ठीक है , मत पड तु इस झांझट  में , उस घास के फूल ने उनकी नही सुनी और वो , परमात्मा से प्रार्थना करने लगा , की परमात्मा मुझे भी गुलाब का फूल बनादो, परमात्मा उसकी पुकार सुनकर उसके समक्ष आए और बोले की क्यू तुम्हे गुलाब का फूल बनाना है , तुम जैसे ही वैसे बहुत सुरक्षित हो , तुम गुलाब की पीड़ा नही झेल सकोगे , उसे प्रतिदिन तेज धूप का सामना करना पड़ता है, तेज आंधी में उसके पंखुड़ी या गिर जाते है, तेज तूफान में उसकी जड़े भी उखड़ जाती है, और कही बार तो इसके खिलने से पहले ही तोड़ देते है , तो तु ईस झंझट में मत पड़, तू यही सुरक्षित है , फिर भी वह घास का फूल नही माना , परमात्मा से बोला कब तक मैं इस ईट के आड का सहारा लू, कृपया मुझे एक दिन के लिए गुलाब का फूल बनावो , परमात्मा ने कहा जैसी तुम्हारी इच्छा, तथास्तू , आगले ही दिन वह घास का फूल गुलाब का फूल गुलाब का फूल बन गया , सुबह सुबह उसे बड़ी ही ठंड का सामना करना पड़ा , उसके कुछ देर बाद तेज धूप निकल आई , उस धूप ने उसे बेहाल कर दिया , फिर कुछ समय बाद जोर से हवा चली , तेज आंधी आई , वह उस आंधी से जूझता रहा, उसकी कुछ पंखुड़ी या भी झड़ गई, तूफान शांत हुव न हुवा तभी तेज बरसात आई , फिर वो उस बरसात में जूझता रहा, धीरे धीरे उसकी जड़े उखड़ने लगी , बरसात खत्म होते होते उसकी जड़े पूरी तरह से उखड़ गई, और वो जमीन पे घास के पुलो के बाजू में गिर पड़ा , उसके साथियों ने उसे कहा , आखिर क्या हासिल हुवा तुम्हे , यह तुम्हारी जिंदगी आराम से काट रही थी , क्यू इस झंझट में पड़े तुम , आखिर एक दिन में , जान भी गवा दी, उस पर पर वह गुलाब का फूल बोला , मैने इस एक दिन में मैने अपनी जिदगी जीली, सारी अपादा से लड़ा , तूफान , वर्षा , धूप ,इनका स्वाद चखा , मैने अपनी जिंदगी एक दिन में जी लिया , पर तुम जीतेजी मृत्यु समान हो , किसी की आड में जीना , यह कोई जीना नही है , जीना हो तो गुलाब के फूल के तरह हर मौसम का आनंद लेके मरना , इसीलिए दुनिया भर में गुलाब के फूल का नाम है, और घास के फूल को कौन पूछता है, यह बोलके गुलाब का वह फुल जो पहीले  घास का फुल था उसने मृत्यु को गले लगया और अमर हो गया .

इस कहानी का बोध :-  हमारी जिंदगी तभी सफल होगी जब हम हर एक कठिन परिस्थिति का सामना करने की हिम्मत रखते हैं, किसी आड में जीना यह कोई जीना नही होता , हमे हमारा comfort zone  से निकलना ही होगा , जिंदगी में सफल होने के लिए , अच्छी नींद , अच्छा खाना , टीवी , what's app, ऐसे बहुत सारी चीज़ जो सफल होने में बाधा बने , उसे त्यागना चाहिए । और अपने प्रगती की ओर ध्यान देना चाहीये.

!!धन्यवाद!!



सोमवार, 7 अगस्त 2023

EK HATTINI AUR KUTTIYA KI KAHANI/एक हत्तीनी और कुतिया की कहानी

  एक हत्तीनी और कुतिया की कहानी. एक हत्तीनी और कुतीया की गहरी दोस्ती थी, दोना भी एक साथ प्रेगनेन्ट हो गये कुछ दिनो बाद कुतीया ने छे बच्चे को जन्म दिये, ये खुश खबर उसने हत्तीनी को दी, और कहां तुमारी बारी कब आयेगी हत्तीनी,ने कहां अभी समय है . और छे महिने के बाद . कुतिया ने  औरp आठ बच्चे को जन्म दीये, फीर वो हत्तीनी क पास आई ओर फीर एक बार खुश खबर दी,फीर वापस हत्तीनी को सवाल किया की कब तुम्हारी बारी आयेगी. हत्तीनी ने कहां अभी समय है. फीर छे महीने बाद और छे बच्चे को जन्म दोये, इसी तरह कुतिया ने कुछ २ सालो मे २० से 22 बच्चे को जन्म दिया. फीर वो हत्तीनी के पास आई और फिर कहां की कब होयेगा तुम्हे बच्चा, मेरे तो २० २२ हो गये, तुम्हारा एक भी नही, हत्तीनी ने परेशान होके कहा की ये हाती का बच्चा हे, इसे समय लगता है जब ये पैदा होता है तो धरती भी इसकी भारी वजन को मेहसूस करती है,और जब वो चलता हे तो सारे लोग एक बजुमे खडे रहकर उसे देखते रहते है और उसे जाने के लिये रास्ता देते है. समज गई कुत्तीया.

इस कहानी का बोध. अप जो भी काम काम करोगे या कर रहे होगे, शुरुवात मे भले ही आप कठीन परीस्थिती का सामना ही क्यु ना करना पडे पर आप हाताश मत हो जाना, भले आपका साथी आपसे जल्दी कामयाब हो जाये,उसे देख लोग आपको बोलंगे कोसेगे पर आप हाताश मत होजाना उपने कर्य को पुरी मेहनत और इमानदरी से करते रहो , और कभी भी अपने आप को Target मात करो,याने की इतने समय के बाद कामयाब नहि दुवा तो मै दुसरा काम करूंगा, कुछ और करूंगा ऐसा वीचार मत करो.जब आप कामयाब होगे. तब आप से कहानी बनेगी आप सब जगह छा जावो गे ओर फीर आप कभी भी पीछे तरफ नही जावोगे. आगे ही बडते रहोगे .

!!धन्यवाद!!



शनिवार, 5 अगस्त 2023

GAUTAM BUDDHA AUR RAJA SHRON KI KAHANI/गौतम बुद्ध और राजा श्रोण की कहानी.

एक राजा था, बड़ा ही ऐयाश था, उसे अपने राज्य की कोई चिंता नहीं थी नही परवा थी, वो बस अपने आप में मग्न  रहता था, उसने अपना महल सबसे सुंदर बनाया था,स्वर्ग से भी सुंदर , बहुत ही कीमती हीरे ,सोने ,चांदी से सजाया था , सब कुछ था उसके पास किसी भी चीज की कमी नही थी , महंगी शराब का सेवन करता था, दूसरे देशों से महंगी से महंगी शराब खरीदता था , और दिन रात पिता था , रात भर शराब पीता था , नर्तकी का नर्तक देखता था , सबसे सुंदर उसने सेविका रखी थी , अपसरा से भी सुंदर , दिन रात उसी मे डूबा रहता था , रात देर तक जागना जिंदगी का आनंद लेना और दुपहर देर से उठाना बस ये ही उसका काम था , उसके महल में सेवक कम और सेविका ज्यादा , अपने आजू बाजू में नग्न स्त्री को रखता था ,उसने ऐयाशी की पुरी हद पार कर दी थी।फिर एक दिन राज्य भर में चर्चा हुई की महाराज श्रोण अब दीक्षा ले ने जा रहा है वो अब बौद्ध भिक्षु बनाने जा रहा है , पूरे राज्य में और भिक्षु संघ में भी इसकी चर्चा हो रही थी,की इतना ऐयाश राजा भिक्षु बन रहा है , कुछ दिन बाद उसने  दीक्षा लेली . और वो बौदध भिक्षू बन गया , सबके मन में यह अतुरता थी जानने की, की ऐसा सम्राट , जो ऐयाश था , इतना सारा सुख होते हुवे भी ये भिक्षु कैसे बन गया, फिर सबने मिलकर तथागत गौतम बुद्ध से उनके संबंधित प्रश्न पूछे, भगवान बुद्ध ने कहा की येतो होना ही था , उसने बहुत ही ज्यादा सुख भोगा था , उसने उसमे अति करदी थी, अब उसके पास करने को कुछ बाकी ना रहा, उसके अहंकार , सुख के सामने एक दीवार सी आ गई थी , उसके पर कुछ नही था , जब आगे पाने को ही कुछ नही था , तब ऐसा इंसान परम संन्यासी बन जाता है , वह जान लेता है , की अब आगे कुछ भी नही है, और कुछ नया करने को भी नही है, रोज रोज वही सब है, उससे उसका मन ऊबने लगा , और फिर ऐसे इंसान परम संन्यासी हो जाते है, इसीलिए ज्यादा अति करना जीवन में ठीक नही, हमारा जीवन एक वीणा की तरह है , वीणा की तार ढीली हो तो उसमे से ठीक से संगीत नही आयेगा , उसका आवाज नही उठेगा, और अगर ज्यादा कसली तो वे तार छेड़ते ही टूट जायेगी , जीवन भी ऐसा ही है, माध्यम जीवन सबसे सुखमय जीवन है , जो हर सुबह नही चाह नई सोच और नई प्रगति को लेके आती हैं। इसीलिए ये भिक्षु वो , मनुष्य को  माध्यम तरीके का जीवन जीना चाहिए । ऐसा कहके तथागत गौतम बुद्ध ने अपने भिक्षुवो को समझाया , 

इस कहानी का बोध। हमारा जीवन एक वीणा की तरह है , वीणा की तार ढीली हो तो उसमे से ठीक से संगीत नही आयेगा , उसका आवाज नही उठेगा, और अगर ज्यादा कसली तो वे तार छेड़ते ही टूट जायेगी , जीवन भी ऐसा ही है, माध्यम जीवन सबसे सुखमय जीवन है , जो हर सुबह नही चाह नई सोच और नई प्रगति को लेके आती हैं। इसीलिए ये भिक्षु वो , मनुष्य को  माध्यम तरीके का जीवन जीना चाहिए ।

!!धन्यवाद!!



गुरुवार, 3 अगस्त 2023

EK CHUHE KI KAHANI/एक चुहे की कहानी

 एक चुहे की कहानी. हीरे का एक बडा व्यापरी था, उसे एक चुहे ने बडा परेशान किया था. एक दीन तो उस चुहे ने हद कर दी. उस व्यापरी का एक बडा ही मौल्यवान हीरा उस चूहे ने नीगल लीया , व्यापरी उस चुहे के पीछे भागने लगा . जब वो व्यापारी चुहे के पीछे एक गुफा मे पहुंचा तो वहां हजारो चुहे थे व्यापारी यह देखकर हाताश हो उठा . अब उसे समझ नही आरहा था की क्या करू कैसे उस चुहे को खोजू . तब उसने एक शिकारी को बुलाया और उसने सारी हकीकत बताई . शिकारी को उस जगह पर ले गया और कहां इन हजारो चुहे मे से एक चुहा है जिसने मेरा कीमती हीरा नीगल लीया ,शीकारी ने व्यापरी से कहां की आप चिंता मत करो आपका हीरा मील जायेगा, व्यापरी अपने घर चला गया, कुछ समय बाद वह शिकारी व्यापारी के समक्ष खडा हो गया, व्यापरी ने कहां क्या हुवा क्या तुमने हार मानली, शिकारी ने कुछ न बोलते हुवे अपने जेब से हीरा निकाल कर व्यापरी को दे दिया . व्यापरी बहुत खुश हुवा . उसने कहां की तुमने इतने जल्दी उस चुहे को कैसे पहचान लिया , शिकारी ने कहां की बहुत सरल हिसाब है सहाब . इस दुनीया मे ऐसे मुर्ख लोग हे की जीनको पैसे का घमंड हो जाता है तो वो दुसरे लोगो से नही मिलते , और फीर उन्हे अपने भी पराये लगने लगते है . इस चुहे ने भी हैस ही किया, ये भी एक पथ्यर के उपर चडके अकेले ही काफी देर से बैठा था.वह देख कर मै समझ गया की हीरा इसने ही नीगला होगा, व्यापरी ने उसे धन्यवाद किया और कुछ इनाम भी दिया .

बोध. इस कहानी का बोध यही है,की किसी भी चीज का आंकार नही करना चाहिये . घमंड नही करना चाहिए . जो कुछ है आपके पास उसे मील बाट के खाना चाहिए।

 !! धन्यवाद!!



EK CHIDIYA AUR CHIDE KI KAHANI/ एक चिड़िया और चीडे की कहानी।

 एक चिड़िया और चौड़े में प्रेम हो गया, दोनो ने सोचा की अब हमे शादी कर लेनी चाहिए, दोनो ने शादी कर दी अब वह दोनो एक साथ रहने लगे, चिड़िया ने ...