धन, ज्ञान और विश्वास तीनों बचपन के अच्छे दोस्त थे, तीनो एक साथ घूमते थे खाते थे पीते थे साथ उठाते बैठते थे, उन तीनो में गहरा दोस्ताना था। कुछ सालो बाद वह बड़े हो गए , तीनो की मंजिले अलग थी , अब उन्हे उलग अपनी राह पे चलना था। तीनो ही बहुत दुखी हो गए, की अब हम हमारी मंजिलों पे जा रहे है। हम कभी मिलेंगे या नही कुछ भी पता नही। धन ने दोनो से कहा की हम कहा मिलेंगे । ज्ञान ने कहा मैं मंदिर मज्जित, गुरुद्वार, स्कूल किताबो में मिलूंगा , धन ने कहा मैं अमीरों के घर में मिलूंगा, उन्होंने विश्वास से पूछा की तुम इतने उदास क्यों हो तुम कहा मिलोगे, विश्वास ने कहा मैं एक बार चला गया तो दुबारा नहीं मिलता। फिर कोई भी कितनी भी कोशिश करे मैं दोबारा नही आता।
इस कहानी का बोध। धन गया तो आप फिर से मेहनत करके पा सकते हो, ज्ञान भी आप कही ना कही से अर्जित कर सकते हो, पर यदि विश्वास चला गया तो वह कभी भी लौट के नही आयेगा, इसीलिए जो अपने पर विश्वास करता है, रखता है , उसका विश्वास हमेशा बनाए रखे।
!!धन्यवाद!!
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