गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

EK GADHA AUR KUTTE KI KAHANI/एक गधा और कुत्ते की कहानी।

 एक दिन कुत्ते और गधे में दौड़ने की शर्यत लगी, इसका कारण यह था की जो भी जीतेगा वह उस पूरे राज्य का राजा बनेगा, कुत्ता बहुत फुर्तीला , होशियार और समझदार था, और गधा तो गधा था। कुत्ते ने सोचा की यह शर्यत तो मैं ही जीतूंगा गधा मेरे जैसा कहा दौड़ पाएगा। दोनो में सामना शुरू हुवा, कुत्ता तेजी से दौड़ने लगा, रास्ते में उस कुत्ते को कई कुत्तों ने घेर लिया उससे लड़ाई करने लगे जैसे तैसे वह कुत्ता उनसे लड़ झगड़कर आगे बड़ा, फिर कही दूर किसी और जगह और कुछ कुत्तों ने उसे घेर लिया  उसे आगे नहीं जाने दिया वहा भी वह लड़ाई करके आगे बड़ा, बहुत थक गया था , और मार भी बहुत खाया था, रास्ते में उसी तरह कई बार कुत्तों ने उसे रोका। उन सबसे जूझते हुवे वह आखिर वहा पहुंच गया। उसे लगा की मैं जीत गया , जब उसने सिंहासन के तरफ देखा तो गधा सरपे ताज पहन के बैठा था, गधा अब उस देश का राजा बन गया था, और वह होनहार ,हुशार कुत्ता हार गया। कुत्ते के आंख में आसू आए,और सोचा आसू इसलिए नही आए की में हार गया, आंसू इसलिए आए की मुझे अपने ही लोगो ने हराया , अगर वह मुझे नही रोकते तो आज मैं राजा बन जाता और मैं अपने ही लोगो का भला करता, उनकी जरूरत पूरी करता।

इस कहानी का बोध। कभी कभी हमे अपने ही लोग आगे बड़ने नही देते, वे हमे कोसते रहते है की यह तुमसे नही होगा ,तुम इसे मत करो, हमारे मन में निगेटिविटी को भर देते है, जिसके कारण हम आगे नही बढ़ते , हमारे में काबिलियत होने के बावजूद हम वही के वही रहते है। इसीलिए अपनी काबिलियत को पहचानो और आगे बड़ो।

!!धन्यवाद!!



सोमवार, 18 दिसंबर 2023

EK FAKIR KI KAHANI/एक फकीर और फरियादी की कहानी।

 एक दिन एक सरीपुत नाम का आदमी भाग्य और मेहनत में क्या अंतर है , क्या इनकी व्याख्या है , इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए कई मंदिर,  मस्जिद, गुरुद्वारा , कई जगह पर गया पर उसे मन को शांत करने वाला उत्तर नही मिला , फिर किसीने कहा की दूर एक गांव में एक फकीर रहता है, कोई लोग उसे पागल समझते हैं और कोई उनके दर्शन के लिए आते है , तुम उनसे मिलो वही दे सकेंगे तुम्हारे प्रश्न का उत्तर। वह सरिपुत नाम का आदमी उस फकीर से मिलने गया, फकीर मस्त होकर एक कुत्ते के ऊपर सर रखकर सो रहा था, फकीर उठने के कई घंटो बाद सरीपुत ने कहा , भगवन भाग्य और परिश्रम में क्या अंतर है, वह फकीर हसके बोला क्या तुम्हारा अकाउंट किसी बैंक में है , सरीपुत ने कहा हां, हां है, पर यह प्रश्न आप मुझे क्यों पूछ रहे हो, फकीर बोला बस मेरे प्रश्न का उत्तर देते रहो, फिर से इस फकीर ने प्रश्न किया तुमने बैंक के लॉकर में बहुत सारे गहने और पैसे रखे हैं, सरीपुत ने कहा हां रखे है। उसकी चाबी किसके पास है, सरीपुत ने कहा एक चाबी मेरे पास और एक चाबी बैंक मेनेजर के पास, क्या तुम इस चाबी से उस लॉकर को खोल सकोगे , सरीपुत ने कहा नही , मेरी चाबी लगाने के बाद बैंक मेनेजर अपनी रखी हुई चाबी लगता है, दोनो चाबी लगाने के बाद वह लॉकर खुलता है। उसपे उस फकीर ने कहा, मेहनत की चाबी हमारे ही पास रहती हैं, और भाग्य रूपी चाबी भगवान उस परमेश्वर के पास रहती है। तुम मेहनत की चाबी लगाते रहो भगवान भाग्य की चाबी लगाते रहेगा, जबतक तुम मेहनत नही करोगे तबतक भाग्य नही बदलेगा, क्या पता भगवान भाग्य की चाबी लेकर बैठे हो और तुम्हारी मेहनत की चाबी का इंतजार कर रहे है। अब ये तुम्हारे ऊपर है भाग्य को चमकदार बनाना है तो मेहनत करनी पड़ेगी , बिना मेहनत के भाग्य नही बदलेगा। उस फकीर की वह बात सुनकर सरीपुत धन्य हुवा, उसके मन को।शांत करने वाला उत्तर मिल गया। उसने उस फकीर के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और वहा से चला गया। 

इस कहानी का बोध। मेहनत बहुत ही जरूरी होती है, भाग्य को चमकदार बनाना चाहते हो तो मेहनत बहुत जरूरी है। बिना मेहनत के तुम भाग्य नही बदल सकोगे।

!!धन्यवाद!!




शनिवार, 16 दिसंबर 2023

DHAN , GYAN AUR VISHWAS KI KAHANI/धन, ज्ञान और विश्वास की कहानी।

 धन, ज्ञान और विश्वास तीनों बचपन के अच्छे दोस्त थे, तीनो एक साथ घूमते थे खाते थे पीते थे साथ उठाते बैठते थे, उन तीनो में गहरा दोस्ताना था। कुछ सालो बाद वह बड़े हो गए , तीनो की मंजिले अलग थी , अब उन्हे उलग अपनी राह पे चलना था। तीनो ही बहुत दुखी हो गए, की अब हम हमारी मंजिलों पे जा रहे है। हम कभी मिलेंगे या नही कुछ भी पता नही। धन ने दोनो से कहा की हम कहा मिलेंगे । ज्ञान ने कहा मैं मंदिर मज्जित, गुरुद्वार, स्कूल किताबो में मिलूंगा , धन ने कहा मैं अमीरों के घर में मिलूंगा, उन्होंने विश्वास से पूछा की तुम इतने उदास क्यों हो तुम कहा मिलोगे, विश्वास ने कहा मैं एक बार चला गया तो दुबारा नहीं मिलता। फिर कोई भी कितनी भी कोशिश करे मैं दोबारा नही आता।

इस कहानी का बोध। धन गया तो आप फिर से मेहनत करके पा सकते हो, ज्ञान भी आप कही ना कही से अर्जित कर सकते हो, पर यदि विश्वास चला गया तो वह कभी भी लौट के नही आयेगा, इसीलिए जो अपने पर विश्वास करता है, रखता है , उसका विश्वास हमेशा बनाए रखे।

!!धन्यवाद!!



मंगलवार, 12 दिसंबर 2023

EK BAZ KI KAHANI/ एक बाज की कहानी।

 एक बाज की कहानी सुनकर आप भी अपने आप को हर एक कठिन परिस्थिति का सामना करने के लिए तयार करोगे, बाज करीब करीब 70 से 80 साल तक जीता है। पर जब वो 40 साल का हो जाता है , तब वो थोड़ा बूढ़ा हो जाता है, उसके साथ साथ उसके पैर के नाखून बड़ जाते हैं , वे इस तरह से बढ़ते है , की उससे बाज शिकार नही पकड़ सकता , उसकी चोंच भी बड जाति है , और पूरी तरह से टेडी हो जाती है, उसके कारण उसे खाने में भी बहुत तकलीफ होती है, ऐसी हालत में उसे जल्दी ही मौत आने वाली होती है। पर वह हार नही मानता , वह दूर किसी पहाड़ी पर जाता है, और वह अपनी चोंच को पत्थरोपे रगड़ता है, जोर जोर से मरता है, उसे बहुत दर्द और तकलीफ होती है, पर जीने के लिए वह सब सहन करता है, वैसे ही अपने नाखून को भी वैसे ही घिसता है , उसे बहुत पीड़ा , और दर्द होता है, कई बार खून भी निकलता है और वह भूखा ही ये सब वह सेहता रहता है, करीब करीब 6 महीने लग जाते है उसे फिर से पहिले जैसे बननेके लिए, उसके बाद वह फिर से आकाश में लंबी उड़ान भरता है और अपने शिकार को ढूंढता है। उसके बाद करीब करीब 30 साल और जीता है।

इस कहानी का बोध। हम भी कभी कभी निराश और हताश हो जाते हैं, जीने की चाह नही रहती , शरीर में शक्ति नही रहती, हम में बहुत सारी नेगेटिविटी भर जाती, आत्मविश्वास खो जाता है, अगर हम अपनी इच्छा शक्ति को बढ़ाएंगे , अपने माइंड को पॉजिटिव रखेंगे तो आप किसी भी उम्र में संघर्ष करने के लिए और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए सदा तत्पर रहोगे। बाज की तरह फिरसे लंबी उड़ान भरोगे।

!!धन्यवाद!!



शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023

EK BHED CHARANE VALE BACCHE KI KAHANI/ एक भेड़ चराने वाले बच्चे की कहानी

 एक गांव में एक गरीब परिवार था ,उनका घर खेती करके और भेड़ पालन करके चलता था, उस घर का एक छोटा बच्चा रोज सुबह सुबह भेड़ को लेके चराने जाता था, भेड़ को चराते समय दूर एक पहाड़ी पर सोने जैसा चमकने वाला एक घर दिखता था, जैसे की वो किसी भगवान का घर हो या परियां रहती होगी उसमे, ऐसा वह बच्चा उसे देखके रोज सोचता था। उसकी बहुत इच्छा होती की वहा उस घर में जाए, पर भेड़ चराने के वजह से वो बच्चा वहा नही जा सकता, एक दिन उसके पिताजी बोले आज तुम घर पे रहो में भेड़ को चराने लेके जाता हूं, यह सुनकर बच्चा खुश हुवा, और वो उस सुनहरा घर देखने चला गया, रास्ता बहुत लंबा था, वहा पहुंचते पहुंचते शाम होने लगी, उस घर के अंदर पहुंचा तो उसे उसी उमर का एक बच्चा दिखाई दिया , वह घर एक साधारण गरीब परिवार का था, उस घर की खिड़कियां शीशे की थी, वह देख बच्चा अचरज हुवा, उसने उस बच्चे को कहा मैं नीचे से इस पहाड़ी पर आया हु, मुझे नीचे से यह घर सुनहरा और परियों के घर जैसा दिखता है, इसीलिए में इसे देखने आया हु, उड़ा पहाड़ी वाले बच्चे ने उसे भी कुछ ऐसा ही कहा, मुझे भी यहां से नीचे शाम को ऐसा ही एक घर दिखता है, जो बिलकुल सुनहरा , लाल चमकदार दिखाई देता है, आओ मैं तुम्हे इस खिड़की से दिखाता हूं, उस पहाड़ी वाले बच्चे खिड़की से वह घर दिखाया, वह बच्चा देख के बोला यह तो मेरा घर है, वह घर भी इसी घर जैसा है। दोनो एक दूसरे को देखके हसने लगे , और वे दोनो अच्छे दोस्त भी बन गए।

इस कहानी का बोध। दोस्त हम जब दूसरे को देखते है तो हमे लगता है ये कितना ऐश आरम में रहता होगा, अच्छा job है, गाड़ी है, अच्छी बीवी है। यही सिलसिला एक दूसरे के प्रति होते रहता है। पर ऐसा नहीं है, हर एक के जीवन संघर्ष भरा होता है , कोई अपना दुख दिखाता है कोई नही दिखाता है। इस संसार मैं केवल ज्ञान और दुःख ही हमेशा स्थिर रहेगा, बाकी सब आते जाते रहेंगे।

!!धन्यवाद!!



मंगलवार, 5 दिसंबर 2023

MEHANTI BAAP AUR BETE KI KAHANI/ मेहनती बाप और बेटे की कहानी।

 एक बड़ा ही गरीब परिवार था, उसमे एक बेटा बीवी एक मां और वह खुद, रोज मेहनत मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट वह भरता था , वह अकेला ही कमाता था , पूरा परिवार उसी पर निर्भर था , एक दिन उसके बेटे ने जो करीब चार साल का था अपने पिताजी से कहा की मुझे तुम्हारे साथ खेलना है , बाहर घूमने जाना है तुम मुझे कही भी लेके नही जाते खाली काम और काम की करते रहते हो, पिताजी ने कहा की काम नही करूंगा तो तुम्हारा पेट कैसे भरूंगा काम करना ही पड़ेगा तभी तो मैं तुम्हारे लिए पैसे इकट्ठा करके खिलोने लता हूं खाने के लिए चॉकलेट लता हूं, तुम दिन भर इन खिलोनोसे खेलते रहो और मुझे काम।पर जाने दो , बेटे ने कहा की आप दिन भर काम करके कितना पैसा कमाते हो , उसके पिता ने हंस कर बोला दिन भर में मैं १०० रुपया कमाता हूं, इतना बोल कर वह पिता काम पर चला गया , अगले दिन सुबह सुबह पिता से बोला की मुझे एक रुपया चाहिए, पिता ने कुछ भी नही बोलते हुवे उसके हात में एक रुपया दिया और रोज की तरह काम पे चला गया, अगले दिन फिर एक रुपया मांगा, ऐसा रोज करने लगा , एक दिन पिताजी ने कहा की तुम रोज एक रुपया क्यों मांगते हो उसपे बेटा बोला , ऐसे ही मुझे खिलौना खरीदना है इसीलिए , तीन महीनो के बाद अचानक बेटा बोला पिताजी मुझे आज दस रुपए चाहिए यह सुनकर पिता गुस्से में आ गया , और कहा दस रुपए कितने होते है तुम्हे मालूम है, इतनी मेहनत करके मैं केवल दिन भर में १००रुपया कमाता हूं, तुम्हे मै नही दे सकता और यह आदत ठीक नही है, बेटा जिद्द पे अड़ा रहा और रोने लगा की मुझे चाहिए ही चाहिए नही तो मैं कल घर से भाग जावूंगा, वापस कभी नही अवूंगा , पिता ने कहा कल तुम्हे देता हु। रात को घर आते ही उसने अपने हात आगे बढ़ाए और कहा पहिले मुझे १० रुपए दो फिर अंदर जावो नही तो मैं यही से घर के बाहर निकल जवुगा ऐसा कहके वह रोने लगा पिता को अपने बेटे की यह जिद्द पसंद नही आई फिर भी उसे १० रुपए दिए , बच्चा खुश हुवा, पर उसके पिता बहुत क्रोधित हुवे थे उन्होंने अपना गुस्सा अपने पत्नी पे निकाला , घर का माहोल बहुत ही खराब हो गया था , रात को सोते समय बेटे ने अपने पिता को कहा , मेरे पास कुछ है जो मैं आपको देना चाहता हु, पिता गुस्से में था, बेटे ने एक डिब्बा उन्हे दिया पिता ने उसे खोला तो उसमे कुछ चिल्लर थी, बेटे ने कहा पिताजी इसे गिनो , पिता उसके जिद्द के आगे कुछ न कह सका और उसने गिने तो वह सौ रुपए थे, बेटे को बोला यह सौ रुपए है, बेटा बोला ये आप रखलो, कल का एक दिन तुम्हे मेरे साथ गुजरना होगा, यह सुनकर पिता के आंख में आंसू आ गए उसने अपने बेटे को गले लगाया और सॉरी भी बोला । अगले दिन उन दोनो ने अच्छा समय बिताया , बेटा बहुत खुश हुवा और पिता के स्वभाव में भी थोड़ा बदलाव आया । 

इस कहानी का बोध। पैसों के पीछे भागते भागते हैं हमारे बीवी बच्चे समाज इनको अनदेखा करते है, ऐसा लगता है की पैसों से हम सब कुछ खरीद सकते है, पर ऐसा नहीं है हम सब कुछ खरीद तो सकते है , पर बीता हुआ समय कभी भी नही खरीद सकते है, नही वह कभी वापस आ सकता है। और इंसान का क्या है आज है कल नही कब मौत आयेगी किसको पता है। इसीलिए अपने व्यस्त समय में से कुछ समय अपने बच्चे और बीवी को भी दिया करो ।

!!धन्यवाद!!



शनिवार, 2 दिसंबर 2023

EK MURKH BACCHE KI KAHANI/ एक मूर्ख बच्चे की कहानी।

एक छोटा बच्चा करीब १२ या १३ साल का एक ढाबे पे काम करता था, लोग खाना खाने के बाद उनकी प्लेट उठता था, उनको पानी देता था, इस काम के कुछ पैसे मिलते थे , जिससे वह अपने घर का गुजारा करता था, एक दिन आदमी वहा खाना खाने को आया , खाना खाने के बाद उसने उस बच्चे को ५५० रुपए टीप दी, उस बच्चे ने उसमें से केवल ५० रुपए ही लिए, और ५०० रुपए वैसे ही रखे, उस इंसान ने ५०० रुपए लिए चला गया, दो दिन बाद वह फिर से वही खाना खाने आया , खाना खाने के बाद बिल भरा , और वापस उसने ५५० रुपए टीप रख दी, बच्चे ने फिरसे केवल ५० रुपए ही उठाए और ५०० रुपए वापस रख दिए, इस मूर्ख बच्चे की मूर्खता दिखाने के लिए अब वह आदमी रोज अपने नए दोस्तो को खाना खाने लेके आता, और अंत में वह उस बच्चे की मूर्खता अपने दोस्तो को दिखाता सब उस बच्चे पे हसकर लोकल जाते, यह खेल कई महीनो से चलता रहा। एक दिन उस बच्चे के साथ काम करने वाले लड़के ने कहा की तुम तो सचमुच मूर्ख हो, वह आदमी रोज पांसो और पचास की नोट रखता है, पर तुम केवल पचास की नोट ही उठाते हो, ऐसा क्यों , उसपे उस छोटे बच्चे ने जवाब दिया जिस दिन मैं ५००रूपये की नोट उठाऊंगा उस दिन ये खेल खल्लास हो जायेगा , आज तक मै पचास रुपए उठाकर ५००० हजार बना लिए है, वह आदमी मुझे मूर्ख समझता है , और मेरी मूर्खता को दिखाने के लिए रोज किसी न किसी को यहां खाना खाने लेके आता है। बच्चे की बात सुनकर वह लड़का चुप हो गया और उसने कहा की मूर्ख तो वह आदमी निकला जो रोज ५० रूपये दे जाता है और खाने का बिल भी भरता है। इस बात पे वह दोनो जोर जोर से हसने लगे।

इस कहानी का बोध। जीवन में कभी कभी ऐसा भी समय आता है , जहा समझदारी से नही मूर्ख ता से भी काम चलाना पड़ता है। उस परिस्थिति में हमे अगर मूर्ख बनकर फायदा हो रहा है, तो क्यों न मूर्ख बने। अंत में फायदा तो अपना ही होना है।

!!धन्यवाद!!



 

EK CHIDIYA AUR CHIDE KI KAHANI/ एक चिड़िया और चीडे की कहानी।

 एक चिड़िया और चौड़े में प्रेम हो गया, दोनो ने सोचा की अब हमे शादी कर लेनी चाहिए, दोनो ने शादी कर दी अब वह दोनो एक साथ रहने लगे, चिड़िया ने ...