शनिवार, 5 अगस्त 2023

GAUTAM BUDDHA AUR RAJA SHRON KI KAHANI/गौतम बुद्ध और राजा श्रोण की कहानी.

एक राजा था, बड़ा ही ऐयाश था, उसे अपने राज्य की कोई चिंता नहीं थी नही परवा थी, वो बस अपने आप में मग्न  रहता था, उसने अपना महल सबसे सुंदर बनाया था,स्वर्ग से भी सुंदर , बहुत ही कीमती हीरे ,सोने ,चांदी से सजाया था , सब कुछ था उसके पास किसी भी चीज की कमी नही थी , महंगी शराब का सेवन करता था, दूसरे देशों से महंगी से महंगी शराब खरीदता था , और दिन रात पिता था , रात भर शराब पीता था , नर्तकी का नर्तक देखता था , सबसे सुंदर उसने सेविका रखी थी , अपसरा से भी सुंदर , दिन रात उसी मे डूबा रहता था , रात देर तक जागना जिंदगी का आनंद लेना और दुपहर देर से उठाना बस ये ही उसका काम था , उसके महल में सेवक कम और सेविका ज्यादा , अपने आजू बाजू में नग्न स्त्री को रखता था ,उसने ऐयाशी की पुरी हद पार कर दी थी।फिर एक दिन राज्य भर में चर्चा हुई की महाराज श्रोण अब दीक्षा ले ने जा रहा है वो अब बौद्ध भिक्षु बनाने जा रहा है , पूरे राज्य में और भिक्षु संघ में भी इसकी चर्चा हो रही थी,की इतना ऐयाश राजा भिक्षु बन रहा है , कुछ दिन बाद उसने  दीक्षा लेली . और वो बौदध भिक्षू बन गया , सबके मन में यह अतुरता थी जानने की, की ऐसा सम्राट , जो ऐयाश था , इतना सारा सुख होते हुवे भी ये भिक्षु कैसे बन गया, फिर सबने मिलकर तथागत गौतम बुद्ध से उनके संबंधित प्रश्न पूछे, भगवान बुद्ध ने कहा की येतो होना ही था , उसने बहुत ही ज्यादा सुख भोगा था , उसने उसमे अति करदी थी, अब उसके पास करने को कुछ बाकी ना रहा, उसके अहंकार , सुख के सामने एक दीवार सी आ गई थी , उसके पर कुछ नही था , जब आगे पाने को ही कुछ नही था , तब ऐसा इंसान परम संन्यासी बन जाता है , वह जान लेता है , की अब आगे कुछ भी नही है, और कुछ नया करने को भी नही है, रोज रोज वही सब है, उससे उसका मन ऊबने लगा , और फिर ऐसे इंसान परम संन्यासी हो जाते है, इसीलिए ज्यादा अति करना जीवन में ठीक नही, हमारा जीवन एक वीणा की तरह है , वीणा की तार ढीली हो तो उसमे से ठीक से संगीत नही आयेगा , उसका आवाज नही उठेगा, और अगर ज्यादा कसली तो वे तार छेड़ते ही टूट जायेगी , जीवन भी ऐसा ही है, माध्यम जीवन सबसे सुखमय जीवन है , जो हर सुबह नही चाह नई सोच और नई प्रगति को लेके आती हैं। इसीलिए ये भिक्षु वो , मनुष्य को  माध्यम तरीके का जीवन जीना चाहिए । ऐसा कहके तथागत गौतम बुद्ध ने अपने भिक्षुवो को समझाया , 

इस कहानी का बोध। हमारा जीवन एक वीणा की तरह है , वीणा की तार ढीली हो तो उसमे से ठीक से संगीत नही आयेगा , उसका आवाज नही उठेगा, और अगर ज्यादा कसली तो वे तार छेड़ते ही टूट जायेगी , जीवन भी ऐसा ही है, माध्यम जीवन सबसे सुखमय जीवन है , जो हर सुबह नही चाह नई सोच और नई प्रगति को लेके आती हैं। इसीलिए ये भिक्षु वो , मनुष्य को  माध्यम तरीके का जीवन जीना चाहिए ।

!!धन्यवाद!!



गुरुवार, 3 अगस्त 2023

EK CHUHE KI KAHANI/एक चुहे की कहानी

 एक चुहे की कहानी. हीरे का एक बडा व्यापरी था, उसे एक चुहे ने बडा परेशान किया था. एक दीन तो उस चुहे ने हद कर दी. उस व्यापरी का एक बडा ही मौल्यवान हीरा उस चूहे ने नीगल लीया , व्यापरी उस चुहे के पीछे भागने लगा . जब वो व्यापारी चुहे के पीछे एक गुफा मे पहुंचा तो वहां हजारो चुहे थे व्यापारी यह देखकर हाताश हो उठा . अब उसे समझ नही आरहा था की क्या करू कैसे उस चुहे को खोजू . तब उसने एक शिकारी को बुलाया और उसने सारी हकीकत बताई . शिकारी को उस जगह पर ले गया और कहां इन हजारो चुहे मे से एक चुहा है जिसने मेरा कीमती हीरा नीगल लीया ,शीकारी ने व्यापरी से कहां की आप चिंता मत करो आपका हीरा मील जायेगा, व्यापरी अपने घर चला गया, कुछ समय बाद वह शिकारी व्यापारी के समक्ष खडा हो गया, व्यापरी ने कहां क्या हुवा क्या तुमने हार मानली, शिकारी ने कुछ न बोलते हुवे अपने जेब से हीरा निकाल कर व्यापरी को दे दिया . व्यापरी बहुत खुश हुवा . उसने कहां की तुमने इतने जल्दी उस चुहे को कैसे पहचान लिया , शिकारी ने कहां की बहुत सरल हिसाब है सहाब . इस दुनीया मे ऐसे मुर्ख लोग हे की जीनको पैसे का घमंड हो जाता है तो वो दुसरे लोगो से नही मिलते , और फीर उन्हे अपने भी पराये लगने लगते है . इस चुहे ने भी हैस ही किया, ये भी एक पथ्यर के उपर चडके अकेले ही काफी देर से बैठा था.वह देख कर मै समझ गया की हीरा इसने ही नीगला होगा, व्यापरी ने उसे धन्यवाद किया और कुछ इनाम भी दिया .

बोध. इस कहानी का बोध यही है,की किसी भी चीज का आंकार नही करना चाहिये . घमंड नही करना चाहिए . जो कुछ है आपके पास उसे मील बाट के खाना चाहिए।

 !! धन्यवाद!!



बुधवार, 19 जुलाई 2023

EK PATTHAR AUR MURTIKAR KI KAHANI/एक पत्थर ओर मूर्तिकार की कहानी।

 एक दिन एक व्यक्ती ने मूर्तीकार को अपने मंदिर के लिये  एक मूर्ती बनांने के लिये काहा। मूर्तिकार ने जंगल मे जकर २ बहुत की उमदा किसम के पत्थर ले आया, और मूर्ती कार अपने सभी औजार लेके पत्थर को ताराशने लगा, जैसे ही मूर्तिकार ने पहिली छीनी पत्थर पे मारी,तो अंदर से एक आवाज आई की मुझे दर्द हो रहा है, मूर्तिकार ये सून नाही पाय ओर वापस अपने काम मे लग गाय , जैसे ही उसने छीनी दोबारा पत्थर मारी, तो अंदर से जोरसे आवाज आई , की मुझे बहुत दर्द हो रहा है , मूर्ती कार ने उससे कहा , की मे एक मूर्ती कार हु, मै तुम्हे तराश के मूर्ती बना रहा हू , अब तुम थोडा दर्द सह लो , तब ऊस पत्थर ने काह की नाही मे इस दर्द को नही सह सकुंगा तुम दुसरा पत्थर धुंड लो, उसने बाजू मे रखे पत्थर से पूछा की मे एक मूर्ती कार हू, क्या मे तुम्हे तराष के मूर्ती बनावू , तुम्हे थोडा बहुत दर्द होगा , ऊस पत्थर ने काह , तुम बनवो मूर्ती मेरी सहमती है, कुछ दिनो के बाद मूर्ती बनके तयार हो गई , बहुत ही सुंदर लग रही थी, अगले ही दीन वाह व्यक्ती मूर्ती कार के पास अपनी मूर्ती लेने जाने आ गया , वाह मूर्ती देख कार बहुत की खुश हो गया, बहुत ही अलोकिक मूर्ती ऊस मूर्तिकार ने बनवाई थी , जब वाह व्यक्ती मूर्ती को ले जा रहा था , तभी उसकी नजर ऊस पाहिले वाले पत्थर मे पाडी, उसने मूर्ती कार से काह क्या तुम मुझे ये पत्थर दे सकते हो, ऊस मूर्ती कार ने काह , हा जरूर पर तुम इसका क्या कारोगे, उसने काह की इस मूर्ती के सामने रखुंगा, भक्त जन को नारियाल फोडने के लिये काम आएगा, ओर फिर वाह व्यक्ती ऊस मूर्ती को ले गाय ओर उसकी स्थापना की, ऊस पत्थर को नारियल फोडणे के लिये मूर्ती के सामने रख दिया, अब रोज उसपे नारीयल फोडे जाते हैं, ओर मूर्ती पे फुल बरसाये जाते हैं

 इस कहानी का बोध । हम अपने आप को तराश ते नाही, हम अपने comfort zone से निकल नाही पाते, हम जब तक कठीण परिश्रम ओर कडी मेहनत नही कार लेते तब तक हम मूर्ती नही बन सकते हैं, नहीतो ऊस पत्थर की तरह रोज दीन भर ऊस नारीयाल से आजीवन पिडा मिलती रहेगी और उस पीड़ा को सहने भी पड़ेगी।तो दोस्तो तुम्ही हो तुम्हारे जीवन के शिल्पकार।

!!धन्यवाद!!




सोमवार, 17 जुलाई 2023

APANE HUNAR KO PEHACHANO/अपने हुनर को पहचानो।

दोस्तो आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से अपने हुनर को पहचान के लोगो के सामने लायेंगे, इसे आप हुनर से रोजगार भी कह सकते हो।आप के पास जो भी हुनर है उसे पहचानो और उसे प्रकाशित करो , जिससे आपकी उपजिविका को थोड़ी मदद मिलेगी, ऐसा कोई भी इंसान नही है जिसमे कोई भी हुनर नही होगा कुछ न कुछ तो जरूर होगा, इस भाग दौड़ और महंगी दुनिया में रहने के लिए अपने आप में कोई तो हुनर जरूर होना चाहिए, एक उदाहरण देता हूं, मिर्जा गालिब बहुत ही पियक्कड़ थे याने बहुत शराब पीते थे । बहुत ही मस्त मौला इंसान थे , उधर की शराब पीते थे , पैसे नही रहते थे , पर उनके पास शायरी और कविता का हुनर था । इसीलिए आज उन्हें पूरी दुनिया जानती हैं, उनके ऊपर फिल्म भी बनाई है। मरने के बाद भी दुनिया उनके हुनर के कारण उनको याद करती है। और एक उदाहरण देते हुवे , भगवान बुद्ध को जब ज्ञान की प्राप्ति हुई , तब भगवान बुद्ध ने उस ज्ञान को अपने तक सीमित नहीं रखा , उन्होंने दुनिया को अपना ज्ञान बाट दिया , बाटने से हमेशा बढ़ता है कभी भी काम नही होता , ऐसे बहुत सारे उदाहरण है, जैसे मेरी मां सरसो के तेल में लहसुन और अजवाइन डालके थोड़ा गरम करके सर्दी और बारिश की मौसम में उस तेल से मालिश करती हैं, आज मैं उस प्रकार का तेल बनाकर लोगो को बेचता हु, लोगो को उसका फायदा होता है और मुझे उसके बदले में पैसे मिलते है। थोड़े कम मिलते है पर , गाड़ी भाड़ा निकल जाता है, 
मेरे प्यारे दोस्तो अपना समय बर्बाद मत करो कुछ न कुछ करते रहो , अगर आपके पास कुछ भी हुनर नही है , तो यूट्यूब पर बहुत ही अच्छे अच्छे u tuber है, जो आप को मुफ्त में हुनर सिखाइगे।

!!धन्यवाद!!


रविवार, 16 जुलाई 2023

EK LADKI KI KAHANI/एक लडकी की कहानी

 एक लाडकी को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया , बहुत की काम उम्र मे उसे यह पुरस्कार मिला , उसके बाद उसने और अगे की शिक्षा लेने की सोची, घर से दूर एक गाव था, वाहा एक गुरुजी राहते थे, वाहा जाके उसने आगे की शिक्षा के लिये अपनी सहमती जाताई, गुरुजी ने देखा और उसे काहा, जावो रस्ते पर उखड़े हुवे पत्थर कुटो और नाय रस्ता बनावो , रस्ता बहुत खराब हुवां है, रोज रोज उखड रहा है , तुम उखडे हुवे पत्थर को कुटो और नया रस्ता बनावो ओर द्यांन रहे जब तक मैं न काहू रुकने के लिए तूम रुकना नही , और किसी भी समय मैं तुमसे बोलू यह करने के लिए तुम तयार रहना , उसने सोचा नाही कोई फार्म भरने दिया नाही कोई पुस्तक पडने दी यह कैसे गुरू हैं.वह सुबह सुबह चली गई , मन में सोचा की कैसा गुरु है , कैसा काम दिया है करने के लिए, मैं नोबेल विजेता हु, यह सोचकर वह पत्थर कुटने चली गइ.धूप निकल आई वह पत्थर कुटते कूटते थक गई , उसका शरीर पसीने से भीग गया, हात पे छाले आ गए , उसने सोचा अब ये कहेगा की रूक जवो, उसे तरस आएगा , मैं एक लड़की हु , मुझसे पत्थर कूटने के लिए लगा दिया , ये कोन सी शिक्षा है, और वह बाहर बैट के सिगरेट पी रहा है । वह देखने भी न आया की मै कोतनी मेहनत से ये पथ्यर कुट रही हू करी ब करीब शाय के ८ बजे उसने रुकने को कहां, वह थक के उसके सामने आई तो उस गुरु ने उसे देखा तक नही, वह अंदर चली गई आंख मे थोडे असु भी थे हात पे छाले पडे थे . उसने मन ही मन मे सोच की कल से यह काम नही करूंगी। उस गुरुजी ने फिर रात को २ बजे उसे उठाया और काम पे लगजावो ऐसा कहां . वह लडकी फीर से काम पे लग गई . कभी न खत्म होने वाला रास्ते के पथ्यर कुटने लगी . उसने सोचा की ऐसा  करके तो मे मर जाऊंगी . पर गुरू को जरा भी फर्क नही पड रहा था. वह तो मस्त था दीन भर सिगरेट बीडी का धुवा उडाता रहता था . ऐसा करते करते 3 महीने बीत गये . उस लड़की ने सोचा की तीन महीने बीत गये पर मै कुछ भी नही साख पाई . फीर एक दिन गुरु ने कहां तुम जावो तुम्हरी शीक्षा पूरी हो गई . वह खुशी खुशी घरपर गई . जब वे घर के अंदर गई तो उसे घुटन जैसे होने लगी सभी महंगी वस्तू अब उसे न के बराबर लगने लगे . सब नश्वर लगने लगा . उसके मन के अंदर से सभी प्रकार के दोष दुर जो हो गये थे . लोभ ' क्रोध' मोह . इर्ष्या वह एकदम नई बनकर आई थी . उस लड़की को अब पता चला की तीन महीने से वह गुरुजी मेरे अंदरसे सभी दुशीत वीचारों को बाहर निकाल राहा था  . उसने वापस जाकर उस गुरू के चरण स्पर्श कोये . और आर्शीवाद लाया .

इस कहानी का बोध . जीस को भी जीवन का सत्य समझ आया फीर उसके सामने सभी प्रकार के पुरस्कार नीरर्थक है . सब नश्वर है . खाली सत्य ही अमर है .



मंगलवार, 11 जुलाई 2023

EK BANDER KI KAHANI/एक बंदर की कहानी!

एक बंदर की कहानी, कही साल तप , साधना करने बाद एक साधु पे भगवान प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए, और उसे वरदान मांगने को कहा, साधु ने कहा मुझे मानुष से देवता बना दो, तब भगवान बोले की यह तो मैं नही कर सकता, क्यों की ये मृत्यू लोक है , यहां जन्मे हर जीव को मरना ही होता है, अगर तुम्हे भगवान बना दिया तो तुम अमर हो जावोगे, और ये नियति के विरुद्ध है, पर एक उपाय है, हिमालय पर्वत पर एक झील है, उसमे जो भी मनुष्य डूपकी लगता है वह भगवान बन जाता है, और जो भी प्राणी , पक्षी डूपकी लगता हैं वह मनुष्य बन जाता है, वाहा तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी, पर वहा का रास्ता बहुत कठिन है,उस साधु ने कहा मैं जरूर वहा जाऊंगा, उसी झिल के पास एक पेड़ था , उस पेड़ पर एक बंदर और बंदरिया रहती थी, कही सालो से वह वही रहते आए थे, पर उन्हे उस झील के बारे मालूम नही था, एक दिन वह साधु झील के पास पहुंच गया, बंदर


और बंदरिया ने देखा की यह साधु यहां क्या करने आया , इतने सालो में कभी भी कोई मानुष्य को नही देखा तो ये क्यू यहां आया, उन्होंने देखा की वह साधु झील को प्रणाम करके उसके अंदर चला गया, कुछ देर बाद वह साधु भगवान बनके बाहर आया, बंदर देख कर वे चकित रह गए , उन्हे इसके बारे में मालूम न था, यह देख उन दोनो ने उसी झिल में कूद गए, और कुछ देर बाद बहुत ही सुंदर मनुष्य बन कर बाहर आए , बंदरिया तो बहुत ही सुंदर और आकर्षक दिख रही थी, दोनो भी बहुत खुश हुवे, पर बंदर ने सोचा की क्यू न और एक बार इस झील में दुपकी मारू, यह सुनकर उस सुंदरी ने इनकार किया,कहा की कही तुम फिर से बंदर न बन जावो, पर वह नाही मना , आखिर बंदर जो था , मनुष्य होने के बावजूद भी उसके हरकते बंदर जैसे थे , उसने उसकी नही सुनी, और कूद गया, कुछ देर बाद वह बंदर बनकर बाहर आया, बंदरिया जो सुंदर स्त्री बनी थी वह बहुत नाराज हो गई , और वह बंदर कही बार डूपकि लगाने के बाद भी बंदर रहा ,कुछ महीने बाद बंदर को किसी मदारी ने पकड़ लिया, और उस सुंदरी पर एक राजा मोहित होके,उससे शादी कर ली, कुछ दिन बाद राजा के दरबार में  बंदर का खेल दिखाने मदारी उसी बंदर को ले आया, रानी और बंदर ने एक दूसरे को देख के पहचान लिया , रानी ने कहा काश तुम मेरी बात मान लेते, अति लालच और ज्यादा की चाह ने तुम्हे फिरसे बंदर बना दिया, यह सुनकर बंदर रोने लगा और कहा अगले जनम में तुम्हारी राह देखूंगा,रानी ने भी कहा कि मैं भी तुम्हारी राह देखूंगी। और उस मदारी ने खेल समाप्त कर के बंदर को ले गया, दिनों के आंखो में आसु थे।

कहानी का बोध। की इंसान को कभी भी लालची नही होना चाहिए, जितना है उसी मे समाधान मानना चाहिए, अति करने के चाह में कही हम बंदर की तरह फिरसे बंदर न बन जाए।

!!धन्यवाद!!


मंगलवार, 4 जुलाई 2023

NASTIK AUR KUTTE KI KAHANI/ नास्तिक और एक कुत्ते की कहानी

 एक नास्तिक और कुत्ते की कहानी, एक बहुत ही बड़ा नास्तिक था। वह हर एक मठ मंदिर और आश्रम में जाकर , आत्मा , मन शरीर, भगवान कर्म, ऐसे न जाने कैसे कैसे सवाल पूछता रहता था, पर उसका उसे मन चाहा जवाब नही मिलता था, फिर एक दिन वह महान तपस्वी साधु के पास जाकर अपने सवाल पूछा , पर उस महान तपस्वी साधु भी उसका जवाब न दे सका , फिर उस साधु ने , उस नास्तिक से कहा , की एक गांव है वहा एकनाथ नाम का एक इंसान रहता है , उससे जाकर अपने सवाल पूछो, अगर उससे भी जवाब नही मिला तो समझो की, इस संसार में कोई नही है ऐसा जो तुम्हारे सवाल का जवाब देगा , वह नास्तिक इस एकनाथ को ढूंढने निकला , पहुंचते पहुंचते सुबह हो गई, गांव पोहचतेही उसने किसी गांव वाले से पूछा की एकनाथ कहा रहता है, उसने कहा वहा एक शंकर का मंदिर है वही मिलगा एकनाथ, मंदिर देखते ही उसके चेहरे पे खुशी आई , उसने मन ही मन सोचा की अब मेरे सवालो का जवाब मिलेगा , वह जैसे ही मंदिर के भीतर गाया, उसने देखा की एक आदमी शंकर के पिंडी के ऊपर पाव रखकर सो रहा है , उसको बहुत अजीब लगा , फिर सोचा कोई पागल मालूम होता है , साधु संत तो ब्रह्म मुहूर्त में उठते है, शायद एकनत कही ध्यान करते होगे। फिर उसने एक मंदिर ने आने वाले व्यक्ति से पूछा की एकनाथ कहा मिलेंगे , उसने कहा यही तो है एकनाथ , अब सो रहे है, उस नास्तिक के मन में जोर से झटका लगा , और सोचा ये कैसा इंसान है, शंकर के पिंडी के ऊपर पैर रखकर सो रहा है, मैं नास्तिक तो हु पर इतना भी नही, मेरे मन में कभी भी ऐसी सोच नही आयेगी और नही मै ऐसी हिम्मत करूंगा , भला शंकर के पिंडी पे कोई पैर रखकर थोड़ी सीता है, सुबह के आठ बज चुके है, साधु संत तो ब्रह्म मुहूर्त पर उठ जाते है, मेरा यह आना व्यर्थ हुवा, यह से जाना ही उचित है, फिर मन में खयाल आया की आया हु तो इस एकनाथ से मिलके की जाता हु, उस तपस्वी ने मुझे इसे मिलनेको कहा था , अब आया हू तो मिलकर ही जावूंगा, वह नास्तिक बहुत निराश होकर उस एकनाथ के उठने की रह देखता रहा, करीब १० बजे एकनाथ उठे , उस नास्तिक ने उनसे कहा की साधु संत तो ब्रह्म मुहूर्त पर उठते है , तुम तो अभी उठे है , एकनाथ ने कहा , मैं जभी उठता हु तो ब्राम्ह मुहूर्त होता है, क्यों की मै ही ब्रह्म हु, और तुम भी ब्रह्म ही हो, जब उठे तब ब्रह्म मुहर्थ होता है, उस नास्तिक ने कहा पर तुम शंकर के पिंडी पर पैर रखकर क्यू सोए थे, तब उसने कहा , जो दिखाता है वह कभी कभी सत्य नही होता , मन की आंखों से देखोगे तो चारो तरफ शंकर की शंकर है , और ये सब उसका ही तो है, मैं भी तुम भी, इस नास्तिक को कुछ अजीब लगा , उसने सोचा यह आके मेरा समय व्यर्थ ही नष्ट हो गया , फिर उस नास्तिक ने कहा की तुम नहाते नही हो क्या , उसने कहा मेरा मन बुद्धि , एकदम साफ है , फिर शरीर साफ रखने की क्या जरूरत , मन किया तो नहा लेता हु , नहीतो ऐसे ही रहता हु, फिर उस नास्तिक ने सोचा यह रुकने का कोई मतलब नही बनता , उसने एकनाथ से कहा की मैं जाता हु , एकनाथ ने कहा आज रूक जावो खाना खाकर जाना देर बहुत हो गई है, फिर एकनाथ ने गांव में भिक्षा मानकर कुछ आटा जमा किया , और आटे की बाटी बनाने लगा , उसने जैसे ही एक बाटी चूले पर से निकली , वहा से एक कुत्ता आकार उस बाटी को मुंह में लेकर भागने लगा , यह देखकर एकनाथ जोर से चिल्लाया , रूक जा राम , बहुत मरूंगा , ऐसा बोलकर कुत्ते के पीछे भागा , यह देखकर वह नास्तिक हैरान हवा,वह नास्तिक भी उसके पीछे भागने लगा। उसको लगा की अब ये पागल कुत्ते को मार डालेगा ,उस कुत्ते की जान बचाने वह भी भागा, एकनाथ ने कुत्ते को पकड़ा और जोर जोर से चिल्लाया की राम ऐसा गलत काम मत करो,एक तो एक मिल दौड़ाया मेरी बाटी लेके भागा , तुझे मैने हजार बार कहा की , बाटी को घी में डालने के बाद ले जा , सुखी बाटी अच्छी नहीं लगेगी तुझे , तू मेरी सुनता ही नही, वह  नास्तिक ये सब दृष देख रहा था, फिर उस एकनाथ ने कुत्ते के मुंह से बाटी निकली , वह बाटी कुत्ते की लार से पूरी गीली हो गई थी , बाटी हात में लेकर कुत्ते को गोदी में उठाकर वापस मंदिर के तरफ जाने लगा , और उसने उस कुत्ते की लार से भरी झुटी बाटी घी में पूरी डुबाकर फिर उस कुत्ते को दी , और कहा फिर जो तू सुखी बाटी लेकर खाने लगा तो तेरी हड्डी पसली एक कर दूंगा , घी वाली बाटी लेकर जाना, उस नास्तिक की आंखे खुल गई और उसने आखरी सवाल किया की कुत्ते का नाम राम क्यू रखा , उसने कहा देखो तो हर जगा राम है , मुझमें तुम्हारे भीतर, हर सजीव निर्जीव वास्तु में , फिर क्यों जाना मंदिर में मठ में , सब कुछ अपने भीतर है , यह सुनकर उस नास्तिक की आंखे खुल गई, और सत्य के दर्शन उसे उस दिन हो गए , उसने एकनाथ जी को धन्यवाद दिया और उनके पैर पड़कर हसते हंसते लौट गया।

बोध।। इस कहानी का बोध यह है, को सब कुछ अपने भीतर है , बस उसे जानना और समझना चाहिए, मन और कर्म साफ हो तो , ब्रह्म भी हम है और राम भी, 

।।धन्यवाद।।



EK CHIDIYA AUR CHIDE KI KAHANI/ एक चिड़िया और चीडे की कहानी।

 एक चिड़िया और चौड़े में प्रेम हो गया, दोनो ने सोचा की अब हमे शादी कर लेनी चाहिए, दोनो ने शादी कर दी अब वह दोनो एक साथ रहने लगे, चिड़िया ने ...